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विधानसभा में सरकार ने दिखाया अपना दम, कमलनाथ पहले ही कर चुके थे तैयारी - जेपी धनोपिया

बीजेपी विधायकों ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया है, इस पर कांग्रेस का कहना है कि ये उन लोगों को करारा जवाब है जो सरकार गिराने का दंभ भर रहे हैं.

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Published : Jul 24, 2019, 9:28 PM IST

भोपाल। सदन में आज जो कुछ भी हुआ, उसका अंदाजा कमलनाथ को पहले ही लग चुका था. कमलनाथ जानते थे कि कभी भी वोट डिवीजन या बहुमत साबित करने की स्थिति बन सकती है. इसके लिए कमलनाथ ने पहले से तैयारी कर रखी थी. लेकिन वह इस तरह का जवाब कभी बीजेपी को नहीं देना चाहते थे, जो आज उन्हें देना पड़ा. अगर बीजेपी सुबह विधानसभा में कांग्रेस पर इस तरह हमलावर नहीं होती, तो शाम को जो बीजेपी को झटका लगा है वो शायद नहीं लगता. कांग्रेस का कहना है कि ये उन लोगों को कमलनाथ सरकार का जवाब है जो सरकार गिराने की बात करते हैं


मध्यप्रदेश विधानसभा में जो कुछ हुआ, उसका अंदाजा शायद बीजेपी को बिल्कुल नहीं था. नहीं तो बीजेपी आज वह गलती नहीं करती, जो उसने विधानसभा की कार्रवाई शुरू होते ही शुरू कर दी थी. दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिरने के साथ ही बीजेपी मध्य प्रदेश की सरकार गिरने की बात करने लगी थी. आज जैसे ही विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमलनाथ सरकार पर हमले शुरू कर दिए और अल्पमत की सरकार कहना शुरू कर दिया.


नंबर 1 और नंबर 2 इशारा कर दें
प्रदेश सरकार को अल्पमत की सरकार कहे जाने पर काफी हंगामा हुआ, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कह दिया कि नंबर 1 और नंबर 2 इशारा कर दें, 24 घंटे में सरकार गिरा देंगे. बीजेपी कांग्रेस को बैकफुट पर मानकर अपने तेवर दिखा रही थी. लेकिन बीजेपी यह भूल गई कि उनका मुकाबला एक ऐसे व्यक्ति से था. जिसे करीब 45 साल का राजनैतिक अनुभव है और यूपीए-2 का फ्लोर मैनेजमेंट कमलनाथ के हवाले ही था.

विधानसभा में सरकार ने दिखाया अपना दम


जैसा सोचा, वैसा ही हुआ
खबरें तो कई दिनों से मिल रही थी कि बीजेपी के तीन विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिल चुके हैं और किसी भी दिन कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. लेकिन सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी के इन विधायकों को ऐसे ही किसी दिन के लिए तैयार करके रखा था, जो स्थिति आज विधानसभा में बनी. दरअसल, कमलनाथ को अंदाजा हो गया था कि कर्नाटक की सरकार गिरते ही बीजेपी विधानसभा में हंगामा करेगी और सरकार को अल्पमत की सरकार बताने की कोशिश करेगी. बुधवार को सदन की शुरुआत होते हुए वैसा ही हुआ.

पहले से तैयार थे मुख्यमंत्री
सीएम कमलनाथ स्क्रिप्ट पहले ही लिख चुके थे और बीजेपी के तेवर देख उन्होंने आज ही बहुमत सिद्ध करने का दावा किया. हालांकि बीजेपी तैयार नहीं थी और सिर्फ तेवर दिखा रही थी. लेकिन कमलनाथ ने एक तय रणनीति के तहत बीएसपी के विधायक से वोट डिवीजन की मांग कराई और जब वह डिवीजन हुआ, तो बीजेपी के दो विधायक कांग्रेस के पाले में नजर आए. कर्नाटक की सरकार गिराकर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को कभी भी गिराने का दावा करने वाली बीजेपी अब अपने ही कदम पर अफसोस कर रही है.

सरकार गिराने का दंभ भरने वालों को करारा जवाब हैः कांग्रेस
इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि यह गलती नहीं है. प्रजातंत्र में केवल इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आज जिस तरह भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में दंभ के साथ कहा कि हमारे नंबर एक और नंबर दो जिस दिन आदेश कर देंगे, हम 24 घंटे में सरकार गिरा देंगे, यह उसका जवाब है. उनके लोगों में मत भिन्नता है, वह लोग कांग्रेस के साथ हैं और कांग्रेस के विकास कार्यों और मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के पक्ष में अपना मत दिया है. इससे साफ है कि भाजपा में भगदड़ मची है और आने वाले समय में और भी लोग कांग्रेस में शामिल होंगे. इसे कर्नाटक या गोवा का जवाब नहीं कहना चाहिए. यह तो कमलनाथ के प्रति लोगों का विश्वास है, जो सामने दिख रहा है.

भोपाल। सदन में आज जो कुछ भी हुआ, उसका अंदाजा कमलनाथ को पहले ही लग चुका था. कमलनाथ जानते थे कि कभी भी वोट डिवीजन या बहुमत साबित करने की स्थिति बन सकती है. इसके लिए कमलनाथ ने पहले से तैयारी कर रखी थी. लेकिन वह इस तरह का जवाब कभी बीजेपी को नहीं देना चाहते थे, जो आज उन्हें देना पड़ा. अगर बीजेपी सुबह विधानसभा में कांग्रेस पर इस तरह हमलावर नहीं होती, तो शाम को जो बीजेपी को झटका लगा है वो शायद नहीं लगता. कांग्रेस का कहना है कि ये उन लोगों को कमलनाथ सरकार का जवाब है जो सरकार गिराने की बात करते हैं


मध्यप्रदेश विधानसभा में जो कुछ हुआ, उसका अंदाजा शायद बीजेपी को बिल्कुल नहीं था. नहीं तो बीजेपी आज वह गलती नहीं करती, जो उसने विधानसभा की कार्रवाई शुरू होते ही शुरू कर दी थी. दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिरने के साथ ही बीजेपी मध्य प्रदेश की सरकार गिरने की बात करने लगी थी. आज जैसे ही विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमलनाथ सरकार पर हमले शुरू कर दिए और अल्पमत की सरकार कहना शुरू कर दिया.


नंबर 1 और नंबर 2 इशारा कर दें
प्रदेश सरकार को अल्पमत की सरकार कहे जाने पर काफी हंगामा हुआ, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कह दिया कि नंबर 1 और नंबर 2 इशारा कर दें, 24 घंटे में सरकार गिरा देंगे. बीजेपी कांग्रेस को बैकफुट पर मानकर अपने तेवर दिखा रही थी. लेकिन बीजेपी यह भूल गई कि उनका मुकाबला एक ऐसे व्यक्ति से था. जिसे करीब 45 साल का राजनैतिक अनुभव है और यूपीए-2 का फ्लोर मैनेजमेंट कमलनाथ के हवाले ही था.

विधानसभा में सरकार ने दिखाया अपना दम


जैसा सोचा, वैसा ही हुआ
खबरें तो कई दिनों से मिल रही थी कि बीजेपी के तीन विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिल चुके हैं और किसी भी दिन कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. लेकिन सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी के इन विधायकों को ऐसे ही किसी दिन के लिए तैयार करके रखा था, जो स्थिति आज विधानसभा में बनी. दरअसल, कमलनाथ को अंदाजा हो गया था कि कर्नाटक की सरकार गिरते ही बीजेपी विधानसभा में हंगामा करेगी और सरकार को अल्पमत की सरकार बताने की कोशिश करेगी. बुधवार को सदन की शुरुआत होते हुए वैसा ही हुआ.

पहले से तैयार थे मुख्यमंत्री
सीएम कमलनाथ स्क्रिप्ट पहले ही लिख चुके थे और बीजेपी के तेवर देख उन्होंने आज ही बहुमत सिद्ध करने का दावा किया. हालांकि बीजेपी तैयार नहीं थी और सिर्फ तेवर दिखा रही थी. लेकिन कमलनाथ ने एक तय रणनीति के तहत बीएसपी के विधायक से वोट डिवीजन की मांग कराई और जब वह डिवीजन हुआ, तो बीजेपी के दो विधायक कांग्रेस के पाले में नजर आए. कर्नाटक की सरकार गिराकर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को कभी भी गिराने का दावा करने वाली बीजेपी अब अपने ही कदम पर अफसोस कर रही है.

सरकार गिराने का दंभ भरने वालों को करारा जवाब हैः कांग्रेस
इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि यह गलती नहीं है. प्रजातंत्र में केवल इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आज जिस तरह भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में दंभ के साथ कहा कि हमारे नंबर एक और नंबर दो जिस दिन आदेश कर देंगे, हम 24 घंटे में सरकार गिरा देंगे, यह उसका जवाब है. उनके लोगों में मत भिन्नता है, वह लोग कांग्रेस के साथ हैं और कांग्रेस के विकास कार्यों और मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के पक्ष में अपना मत दिया है. इससे साफ है कि भाजपा में भगदड़ मची है और आने वाले समय में और भी लोग कांग्रेस में शामिल होंगे. इसे कर्नाटक या गोवा का जवाब नहीं कहना चाहिए. यह तो कमलनाथ के प्रति लोगों का विश्वास है, जो सामने दिख रहा है.

Intro:भोपाल। आज मध्यप्रदेश विधानसभा में जो कुछ हुआ, उसका अंदाजा शायद बीजेपी को बिल्कुल नहीं था। नहीं तो बीजेपी आज वह गलती नहीं करती, जो उसने विधानसभा की कार्रवाई शुरू होते हुए शुरू कर दी थी। दरअसल कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की सरकार गिरने के साथ ही बीजेपी मध्य प्रदेश की सरकार गिरने की बात करने लगी थी। आज जैसे ही विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कमलनाथ सरकार पर हमले शुरू कर दिए और अल्पमत की सरकार कहना शुरू कर दिया। इसको लेकर काफी हंगामा हुआ, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कह दिया कि नंबर 1और नंबर 2 इशारा कर दे,24 घंटे में सरकार गिरा देंगे। बीजेपी कांग्रेस को बैकफुट पर मानकर अपने तेवर दिखा रही थी। लेकिन बीजेपी यह भूल गए कि उनका मुकाबला एक ऐसे व्यक्ति से था। जिसे करीब 45 साल का राजनैतिक अनुभव है और यूपीए-2 का फ्लोर मैनेजमेंट कमलनाथ के हवाले ही था।


Body:दरअसल सदन में आज जो कुछ भी हुआ, उसका अंदाजा कमलनाथ को पहले ही लग चुका था। कमलनाथ जानते थे कि कभी भी वोट डिवीजन या बहुमत साबित करने की स्थिति बन सकती है। इसके लिए कमलनाथ ने पहले से तैयारी रखी थी। लेकिन वह इस तरह का जवाब कभी बीजेपी को नहीं देना चाहते थे, जो आज उन्हें देना पड़ा। अगर बीजेपी सुबह विधानसभा में कांग्रेस पर इस तरह हमलावर नहीं होती, तो शाम को जो बीजेपी को झटका लगा है, शायद नहीं लगता। खबरें तो कई दिनों से मिल रही थी कि बीजेपी के तीन विधायक मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिल चुके हैं और किसी भी दिन कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।लेकिन सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी के इन विधायकों को ऐसे ही किसी दिन के लिए तैयार करके रखा था, जो स्थिति आज विधानसभा में बनी। दरअसल कमलनाथ को अंदाजा हो गया था कि कर्नाटक की सरकार गिरते ही बीजेपी विधानसभा में हंगामा करेगी और सरकार को अल्पमत की सरकार बताने की कोशिश करेगी। आज सदन की शुरुआत होते हुए वैसा ही हुआ। कमलनाथ स्क्रिप्ट पहले ही लिख चुके थे और बीजेपी के तेवर देख उन्होंने आज ही बहुमत सिद्ध करने का दावा किया। हालांकि बीजेपी तैयार नहीं थी और सिर्फ तेवर दिखा रही थी। लेकिन कमलनाथ ने एक तय रणनीति के तहत बीएसपी के विधायक से वोट डिवीजन की मांग कराई और जब वह डिवीजन हुआ, तो बीजेपी के दो विधायक कांग्रेस के पाले में नजर आए। कर्नाटक की सरकार गिराकर मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को कभी भी गिराने का दावा करने वाली बीजेपी अब अपने ही कदम पर अफसोस कर रही है।


Conclusion:इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जेपी धनोपिया का कहना है कि यह गलती नहीं है। प्रजातंत्र में केवल इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आज जिस तरह भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सदन में दंभ के साथ कहा कि हमारे नंबर एक और नंबर दो जिस दिन आदेश कर देंगे, हम 24 घंटे में सरकार गिरा देंगे, यह उसका जवाब है. उनके लोगों में मत भिन्नता है, वह लोग कांग्रेस के साथ हैं और कांग्रेस के विकास कार्यों और मुख्यमंत्री कमलनाथ की कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के पक्ष में अपना मत दिया है।इससे साफ है कि भाजपा में भगदड़ मची है और आने वाले समय में और भी लोग कांग्रेस में शामिल होंगे। इसे कर्नाटक या गोवा का जवाब नहीं कहना चाहिए। यह तो कमलनाथ के प्रति लोगों का विश्वास है, जो सामने दिख रहा है।
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