भोपाल| राजधानी की सबसे विवादित रोहित हाउसिंग सोसायटी के मास्टरमाइंड और बीजेपी नेता घनश्याम सिंह राजपूत का शस्त्र लाइसेंस भोपाल कलेक्टर के द्वारा निलंबित कर दिया गया है. जिला मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर भोपाल तरुण पिथोड़े के द्वारा शस्त्र लाइसेंस निलंबन के आदेश जारी कर दिए गए हैं.
रोहित हाउसिंग सोसायटी में हुए फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड घनश्याम सिंह राजपूत लंबे समय तक फरार रहा था, जिसे कोलार पुलिस के द्वारा 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था. रोहित हाउसिंग सोसाइटी में हुए फर्जीवाड़े के चलते घनश्याम सिंह राजपूत सहित संचालक मंडल में रहे 24 पदाधिकारियों पर ईओडब्ल्यू के द्वारा मामला दर्ज किया गया था. राजपूत के खिलाफ फर्जीवाड़े की पहली शिकायत ईओडब्ल्यू में वर्ष 2009 में हुई थी, लेकिन उसके रसूख के आगे जांच एजेंसियों की फाइलें बार-बार बंद हो जाती थी.
पिछली सरकार में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने विधानसभा में यह आरोप भी लगाया था कि रोहित सोसाइटी में बीजेपी के एक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबियों को भी नियम विरुद्ध ढंग से प्लॉट आवंटित हुए हैं. सोसाइटी में राजपूत ने खुद और पत्नी संध्या सिंह के नाम से सोसाइटी में वर्ष 2003 में दो प्लॉट लिए थे. इसके बाद 2005 में वह षड्यंत्र पूर्वक खुद सोसाइटी के संचालक मंडल में शामिल हो गया. मामले की जांच कर रही हो ईओडब्ल्यू को संस्था के अकाउंट में 22. 70 करोड़ की हेराफेरी के प्रमाण मिले थे. सोसायटी के रिकॉर्ड को जानबूझकर गायब किए जाने की बात भी सामने आई थी.
घनश्याम सिंह राजपूत रेलवे में क्लर्क के पद पर काम करता था. 28 फरवरी 2007 को सीबीआई ने राजपूत के घर से रोहित सोसाइटी की 137 बेनामी संपत्ति के दस्तावेज जप्त किए थे. इसके बाद वह रेलवे से सस्पेंड हो गया. रेलवे से निलंबित होने के बाद ही राजपूत के द्वारा सोसाइटी में फर्जीवाड़ा शुरू किया गया था. उसके ऊपर कई लोगों ने प्लॉट हड़पने का आरोप भी है.
भोपाल कलेक्टर तरुण पिथोड़े के द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि शस्त्र लाइसेंस घनश्याम सिंह राजपूत पिता सुदामा सिंह राजपूत निवासी 122 रोहित नगर फेस-1 शाहपुरा भोपाल के विरुद्ध ईओडब्ल्यू भोपाल, थाना कोलार तथा चुना भट्टी थाना में विभिन्न अपराध पंजीबद्ध है.
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर के द्वारा शस्त्र लाइसेंस घनश्याम सिंह राजपूत को कारण बताओ सूचना पत्र जारी कर सुनवाई का समुचित अवसर भी दिया गया था, लेकिन लाइसेंसी या उनके अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा तय की गई. समय विधि में न्यायालय में उपस्थित होकर कारण बताओ नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया. इसके बाद ही यह कार्रवाई की गई है.