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उपचुनाव के आगे पस्त हुआ मंत्रिमंडल विस्तार ! बिगड़ा जातीय और क्षेत्रीय समीकरण

शिवराज कैबिनेट में भले ही उपचुनाव वाले ग्वालियर-चंबल इलाके का पलड़ा भारी हो, लेकिन 2018 के चुनाव में बीजेपी की लाज बचाने वाले विंध्य और महाकौशल इलाके को तवज्जो नहीं मिल सकी. मंत्रिमंडल के जातीय समीकरण में राजपूत समुदाय के नेताओं को अच्छी खासी भागीदारी मिली है. तो वहीं ओबीसी के तहत आने वाले लोधी समुदाय को किनारे लगा दिया गया है, जिसे लेकर विरोध के सुर भी उठने लगे हैं.

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उपचुनाव पर नजर!
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Published : Jul 3, 2020, 10:13 PM IST

Updated : Jul 4, 2020, 7:59 PM IST

भोपाल। शिवराज कैबिनेट का आखिरकार विस्तार हो गया. मंत्रिमंडल के जरूरी समीकरणों को ताक पर रखकर सिर्फ उपचुनाव की चिंता के नजदीक मंत्रिमंडल का विस्तार नजर आया. सिंधिया के 14 समर्थकों को मंत्री बनाया गया है, जो प्रदेश के एक ही खास इलाके से आते हैं. सियासी आंकड़ों पर नजर डाले तो इस मंत्रिमंडल में नजर आया तो सिर्फ ग्वालियर चंबल की 16 उपचुनाव की सीटों की चिंता नजर आई, और मंत्रिमंडल के गठन में प्रमुख तत्व माने जाने वाले जातीय संतुलन को सिरे से दरकिनार कर दिया गया.

पस्त हुआ मंत्रिमंडल विस्तार !

मंत्रिमंडल में ओबीसी की उपेक्षा

दरअसल भाजपा और शिवराज सरकार की चिंता सिर्फ और सिर्फ आगामी उपचुनाव है. इस मंत्रिमंडल में ओबीसी वर्ग की जमकर उपेक्षा की गई है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने तो इसको लेकर चिंता भी जताई है. जानकार भी मानते हैं कि जिस पार्टी ने पिछड़ा वर्ग को आगे रखकर राजनीति में यह मुकाम हासिल किया है. आखिर उपचुनाव के मुहाने पर उसने पिछड़ा वर्ग को क्यों उपेक्षित कर दिया. ऐसा माना जा रहा है कि उपचुनाव पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है.

चंबल क्षेत्र का दबदबा

शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय क्षेत्रीय एवं सामाजिक असंतुलन बताया जा रहा है. उपचुनाव के मद्देनजर पूरा मंत्रीमंडल ग्वालियर चंबल क्षेत्र के नेताओं से भर गया है. मंत्रिमंडल में 10 राजपूत, 3 ब्राह्मण 5 अनुसूचित जाति 3 अनुसूचित जनजाति एवं और पिछड़ा वर्ग के मंत्री बनाए गए हैं. ग्वालियर चंबल क्षेत्र में भी ओबीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जबकि इस इलाके में पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और निर्णायक मतदाता माने जाते हैं.

कांग्रेस ने कहा- सौदे की सरकार

इस पूरे मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कांग्रेस का कहना है कि ये तो सौदे की सरकार है. सौदे में जो शर्ते तय हुई थी, उसकी पूर्ति इस सरकार को करनी पड़ी है. भ्रष्टाचार की बातें करते थे, जिनके ऊपर बीजेपी के विधायक भ्रष्टाचार का आरोप लगाते थे,उन्हें मंत्री बना दिया गया है छिंदवाड़ा-छिंदवाड़ा का गाना गाने और आरोप लगाने वालों ने पूरी की पूरी कैबिनेट ग्वालियर में हाईजैक कर ली है. जातिगत, सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ दिया गया है। 12 मंत्री अकेले एक क्षेत्र के हैं, बाकी पूरे मध्यप्रदेश से 21 मंत्री हैं.कांग्रेस प्रवक्ता का मानना है कि ओबीसी ने बीजेपी को आगे बढ़ाया, मध्यप्रदेश में बीजेपी की वापसी कराने वाली उमा भारती जो 2004 की नायिका थी, उनको मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया गया. उनसे संबंधित लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है.

क्या उपचुनाव के बाद फिर होगा मंत्रिमंडल विस्तार ?
वहीं वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का मानना है कि जो इस मंत्रिमंडल का पूरा फोकस 24 विधानसभा चुनाव को लेकर है. इसका मतलब ये है कि जब 24 उपचुनाव हो जाएंगे, तब मंत्रिमंडल पुनर्गठित किया जाएगा. वैसे भी इस मंत्रिमंडल में 14 से ज्यादा लोग उपचुनाव में जाने वाले हैं, मान लीजिए वह किसी कारण से नहीं जीत पाए,तो उनकी जगह नए चेहरे हो सकते हैं. इसके अलावा जिस तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है और जातीय समीकरण का ध्यान रखा गया है,उसमें पूरे मध्यप्रदेश का ध्यान नहीं रखा गया है.

विकास और सुशासन का मंत्रिमंडल !

वहीं बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि मंत्रिमंडल जन आकांक्षाओं के अनुसार है, संतुलित, समर्पित विकास और सुशासन के लिए है. लेकिन खास बात ये है कि सिंधिया के बीजेपी खेमे में आने के बाद मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल इलाके का समीकरण बदल गया है.बीजेपी का अब यह नया गढ़ बन गया है.

विंध्य और महाकौशल को नहीं मिली जगह

शिवराज कैबिनेट में भले ही उपचुनाव वाले ग्वालियर-चंबल इलाके का पलड़ा भारी हो, लेकिन 2018 के चुनाव में बीजेपी की लाज बचाने वाले विंध्य और महाकौशल इलाके को तवज्जो नहीं मिल सकी. ऐसे ही मंत्रि मंडल के जातीय समीकरण को देखें तो राजपूत समुदाय के नेताओं को अच्छी खासी भागीदारी मिली है तो वहीं ओबीसी के तहत आने वाले लोधी समुदाय को किनारे लगा दिया गया है, जिसे लेकर विरोध के सुर भी उठने लगे हैं.

भोपाल। शिवराज कैबिनेट का आखिरकार विस्तार हो गया. मंत्रिमंडल के जरूरी समीकरणों को ताक पर रखकर सिर्फ उपचुनाव की चिंता के नजदीक मंत्रिमंडल का विस्तार नजर आया. सिंधिया के 14 समर्थकों को मंत्री बनाया गया है, जो प्रदेश के एक ही खास इलाके से आते हैं. सियासी आंकड़ों पर नजर डाले तो इस मंत्रिमंडल में नजर आया तो सिर्फ ग्वालियर चंबल की 16 उपचुनाव की सीटों की चिंता नजर आई, और मंत्रिमंडल के गठन में प्रमुख तत्व माने जाने वाले जातीय संतुलन को सिरे से दरकिनार कर दिया गया.

पस्त हुआ मंत्रिमंडल विस्तार !

मंत्रिमंडल में ओबीसी की उपेक्षा

दरअसल भाजपा और शिवराज सरकार की चिंता सिर्फ और सिर्फ आगामी उपचुनाव है. इस मंत्रिमंडल में ओबीसी वर्ग की जमकर उपेक्षा की गई है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने तो इसको लेकर चिंता भी जताई है. जानकार भी मानते हैं कि जिस पार्टी ने पिछड़ा वर्ग को आगे रखकर राजनीति में यह मुकाम हासिल किया है. आखिर उपचुनाव के मुहाने पर उसने पिछड़ा वर्ग को क्यों उपेक्षित कर दिया. ऐसा माना जा रहा है कि उपचुनाव पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है.

चंबल क्षेत्र का दबदबा

शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय क्षेत्रीय एवं सामाजिक असंतुलन बताया जा रहा है. उपचुनाव के मद्देनजर पूरा मंत्रीमंडल ग्वालियर चंबल क्षेत्र के नेताओं से भर गया है. मंत्रिमंडल में 10 राजपूत, 3 ब्राह्मण 5 अनुसूचित जाति 3 अनुसूचित जनजाति एवं और पिछड़ा वर्ग के मंत्री बनाए गए हैं. ग्वालियर चंबल क्षेत्र में भी ओबीसी के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जबकि इस इलाके में पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है और निर्णायक मतदाता माने जाते हैं.

कांग्रेस ने कहा- सौदे की सरकार

इस पूरे मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कांग्रेस का कहना है कि ये तो सौदे की सरकार है. सौदे में जो शर्ते तय हुई थी, उसकी पूर्ति इस सरकार को करनी पड़ी है. भ्रष्टाचार की बातें करते थे, जिनके ऊपर बीजेपी के विधायक भ्रष्टाचार का आरोप लगाते थे,उन्हें मंत्री बना दिया गया है छिंदवाड़ा-छिंदवाड़ा का गाना गाने और आरोप लगाने वालों ने पूरी की पूरी कैबिनेट ग्वालियर में हाईजैक कर ली है. जातिगत, सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ दिया गया है। 12 मंत्री अकेले एक क्षेत्र के हैं, बाकी पूरे मध्यप्रदेश से 21 मंत्री हैं.कांग्रेस प्रवक्ता का मानना है कि ओबीसी ने बीजेपी को आगे बढ़ाया, मध्यप्रदेश में बीजेपी की वापसी कराने वाली उमा भारती जो 2004 की नायिका थी, उनको मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया गया. उनसे संबंधित लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है.

क्या उपचुनाव के बाद फिर होगा मंत्रिमंडल विस्तार ?
वहीं वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का मानना है कि जो इस मंत्रिमंडल का पूरा फोकस 24 विधानसभा चुनाव को लेकर है. इसका मतलब ये है कि जब 24 उपचुनाव हो जाएंगे, तब मंत्रिमंडल पुनर्गठित किया जाएगा. वैसे भी इस मंत्रिमंडल में 14 से ज्यादा लोग उपचुनाव में जाने वाले हैं, मान लीजिए वह किसी कारण से नहीं जीत पाए,तो उनकी जगह नए चेहरे हो सकते हैं. इसके अलावा जिस तरह से मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है और जातीय समीकरण का ध्यान रखा गया है,उसमें पूरे मध्यप्रदेश का ध्यान नहीं रखा गया है.

विकास और सुशासन का मंत्रिमंडल !

वहीं बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि मंत्रिमंडल जन आकांक्षाओं के अनुसार है, संतुलित, समर्पित विकास और सुशासन के लिए है. लेकिन खास बात ये है कि सिंधिया के बीजेपी खेमे में आने के बाद मध्य प्रदेश में ग्वालियर-चंबल इलाके का समीकरण बदल गया है.बीजेपी का अब यह नया गढ़ बन गया है.

विंध्य और महाकौशल को नहीं मिली जगह

शिवराज कैबिनेट में भले ही उपचुनाव वाले ग्वालियर-चंबल इलाके का पलड़ा भारी हो, लेकिन 2018 के चुनाव में बीजेपी की लाज बचाने वाले विंध्य और महाकौशल इलाके को तवज्जो नहीं मिल सकी. ऐसे ही मंत्रि मंडल के जातीय समीकरण को देखें तो राजपूत समुदाय के नेताओं को अच्छी खासी भागीदारी मिली है तो वहीं ओबीसी के तहत आने वाले लोधी समुदाय को किनारे लगा दिया गया है, जिसे लेकर विरोध के सुर भी उठने लगे हैं.

Last Updated : Jul 4, 2020, 7:59 PM IST
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