भोपाल। उपचुनाव में भाजपा के लिए आदिवासी वोट पाना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में खंडवा लोकसभा सीट की चार विधानसभा और जोबट विधानसभा सीट पर आदिवासी मतदाता ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में इस वर्ग की नाराजगी के चलते भाजपा सत्ता से दूर हो गई थी. भाजपा भी इस बात को समझती है कि इस वर्ग का वोट नहीं मिले तो अगले चुनाव में दिक्कत होगी. इसी के चलते आदिवासी वर्ग के लिए कार्यक्रम और घोषणाएं की जा रही हैं.
खंडवा छोड़ जोबट पर बीजेपी का विशेष फोकस
चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में खंडवा लोकसभा सीट और जोबट विधानसभा सीट पर आदिवासी वोटर्स की अहम भूमिका है. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल आदिवासियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. शिवराज सरकार ने जहां आदिवासियों के लिए कई वादे कर दिए हैं तो कांग्रेस कमलनाथ सरकार के दौरान किये गए कामों को लेकर मैदान में है. इसके अलावा भारतीय ट्राइबल पार्टी, जयस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी आदिवासियों की सच्ची हितैषी बताते हुए उन्हें अपनी तरफ खींचने की कोशिश में जुटी है.
आदिवासियों के लिए खुला सौगातों का पिटारा
आदिवासियों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह जबलपुर का दौरा किये थे, उन्होंने जनजातीय नायक शंकर शाह और रघुनाथ शाह की 164वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था, इससे पहले शिवराज सरकार ने दमोह में आयोजित जनजातीय सम्मेलन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छिंदवाड़ा में शंकर शाह-रघुनाथ शाह पर केंद्रित संग्रहालय बनाने की घोषणा कर चुके हैं तो वही सीएम ने ऐलान किया है कि सरकार आदिवासियों को रोजगार देने और सशक्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. साथ ही उन्हें महुआ से शराब बनाने के लिए आने वाली कानूनी अड़चन दूर करेगी, भाजपा का दावा है कि आदिवासियों की सच्ची हितैषी भाजपा है और आदिवासी समाज उनके साथ है.
2018 में आदिवासियों ने दिया था कांग्रेस का साथ
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटर्स ने कांग्रेस का समर्थन किया था, जिसकी बदौलत कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में वापस आई थी. अब कांग्रेस कमलनाथ सरकार के दौरान आदिवासी हितों के किए गए कामों को लेकर वोट मांग रही है, कमलनाथ ने अपनी सरकार में आदिवासियों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी. कांग्रेस पूरे प्रदेश में आदिवासी अत्याचार का मामला भी जोर-शोर से उठाती आई है.
आदिवासियों के लिए बीजेपी ने शुरू की कई योजनाएं
2018 के विधानसभा चुनाव में इस वर्ग की नाराजगी के चलते भाजपा सत्ता से दूर हो गई थी, भाजपा इस बात को समझती है कि इस वर्ग का वोट नहीं मिले तो आगे की डगर बेहद मुश्किल होगी. इसी के चलते आदिवासी वर्ग के लिए विभिन्न कार्यक्रम और उनके कल्याण के लिए घोषणाएं कर रही है. खंडवा और जोबट सीट पर इस वर्ग के बीच मैदानी स्तर पर भाजपा का काम चल रहा है.
2018 में आदिवासी वोटर्स ने कांग्रेस पर जताया था भरोसा
साल 2003 से पहले आदिवासी मतदाता कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स माने जाते थे. जिसमें भाजपा ने सेंध लगा दी थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर आदिवासियों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया और आरक्षित 47 सीटों में से 30 सीटों पर कांग्रेसी प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 16 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. प्रदेश के मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया जिले आदिवासी बाहुल्य हैं. राज्य की 6 लोकसभा सीटें बैतूल, धार, खरगोन, मंडला, रतलाम और शहडोल आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.
आदिवासियों की उपेक्षा पर बंटा जयस
खंडवा सीट पर एससी-एसटी वर्ग की 39 फीसदी हिस्सेदारी होने के बावजूद यहां से प्रमुख राजनीतिक दलों ने किसी आदिवासी को टिकट नहीं दिया, यही वजह है कि प्रदेश के पश्चिमी हिस्से सहित खंडवा और जोबट क्षेत्र में अपना दखल रखने वाले जय आदिवासी युवा शक्ति ने दो हिस्सों में बंटकर मैदान में उतरने का फैसला किया है, इसमें एक धड़ा हीरालाल अलावा की अगुवाई में 24 अक्टूबर को मनावर में महापंचायत करने जा रहा है, जबकि दूसरा आनंद राय के नेतृत्व में 23 अक्टूबर को रतलाम में अपनी अलग पंचायत आयोजित कर रहा है. आनंद राय का दावा है कि जयस से जुड़े करीब 5 लाख युवा इस बार भारतीय ट्राइबल पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने के लिए मैदान संभालेंगे, जबकि हीरालाल के प्रभुत्व वाले नेशनल जयस ने अपनी रणनीति अलग बनाई है, जिसकी कांग्रेस से नजदीकियां बनी हुई हैं. वहीं आनंद राय की जेएसके कांग्रेस और भाजपा से दूरी बनाकर सिर्फ भारतीय ट्राइबल पार्टी का समर्थन कर रही है.
जोबट में बिगड़ जाएंगे चुनावी समीकरण!
अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट भील बाहुल्य है, जो 5 ब्लॉक में बंटा है, पिछले विधानसभा चुनाव में सुलोचना रावत के बेटे विशाल रावत ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, तब उन्हें 32000 वोट मिले थे, इसमें से 20000 वोट जयस समर्थक माने जाते हैं, इस बार ये वोट स्विंग होकर भारतीय ट्राइबल पार्टी की तरफ जा सकते हैं, इधर हीरालाल के प्रभुत्व वाले जयस का प्रभाव इसलिए भी कमजोर बताया जा रहा है क्योंकि हीरालाल खुद भिलाला हैं, जबकि जोबट भील बाहुल्य इलाका है. भारतीय ट्राइबल पार्टी ने जोबट से सरदार परमार को प्रत्याशी बनाया है, जो क्षेत्रीय आदिवासी जनप्रतिनिधि रहे हैं, इनके लिए चुनावी मोर्चा राजस्थान के विधायक राजकुमार रोत संभाल रहे हैं.
खंडवा लोकसभा सीट का प्रोफाइल
खंडवा लोकसभा में पहला चुनाव 1951 में हुआ था, अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस यहां 7 बार और बीजेपी 6 बार जीत दर्ज कर चुकी है. खंडवा लोकसभा क्षेत्र के 4 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी मतदाताओं की संख्या करीब 600000 है, इनमे बागली विधानसभा में 155000, पंधाना में 170000, नेपानगर में 170000, भीकनगांव में 155000 मतदाता हैं, इसी प्रकार मांधाता में 75000, बड़वा में 65000, खंडवा में 55000 और बुरहानपुर में 30000 आदिवासी मतदाता हैं, जिनकी कुल संख्या करीब सवा दो लाख होती है, इस लिहाज से खंडवा में कुल मतदाता 1850157 में से 750238 मतदाता अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के ही हैं. खंडवा से भील समुदाय के दारा सिंह खतवासे को भारतीय ट्राइबल पार्टी ने मैदान में उतारा है.