भोपाल। राजनधानी में नगर निगम के लिए शहर का कचरा मुसीबत नहीं कमाई का जरिया बन गया है. अब नगर निगम 1 साल में 61 लाख की कमाई शहर के कचरे के जरिए ही करेगा. इस प्रोजेक्ट को लगाने के लिए निगम कोई राशि भी खर्च नहीं करेगा. बल्कि नासिक की एक कंपनी बॉयो CNG प्लांट लगाएगी और निगम को इसके एवज में रुपए भी देगी. इस प्रोजेक्ट को लेकर निगम और कंपनी के बीच MOU(Memorandum of understanding) भी साइन हो गया है.
20 साल तक होगी 61 लाख की आय
नासिक की वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ मिलकर भोपाल नगर निगम ने एक करार किया है. इसके तहत नगर निगम आदमपुर छावनी खंती में जहां पूरे शहर का कचरा डंप किया जाता है. वहां 6 एकड़ की जमीन पर नगर निगम के साथ कंपनी बॉयो CNG प्लांट लगाएगी. नगर निगम कंपनी को रोज 200 टन गीला कचरा देगी, जिससे कंपनी बॉयो CNG बनाएगी कचरे के बदले निगम को कंपनी हर साल 61 लाख भी देगी. ये आय निगम को 20 साल तक मिलेगी.
800 टन रोज निकलता है कचरा
राजधानी में रोज गीला और सूखा कचरा मिलाकर 800 टन कचरा निकलता है. इसमें से 400 टन सूखा और 400 टन गीला कचरा निकलता है. 400 टन गीले कचरे में से 200 टन कचरा निगम वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को देगा, जिससे कंपनी बॉयो CNG बनाएगी. अभी नगर निगम हर साल कचरा प्रोसेसिंग पर 2 करोड़ 43 लाख 9 हजार खर्च करता है. इससे नगर निगम की बचत होगी. बचत के साथ-साथ आदमपुर खंती में जो कचरे का पहाड़ बनता जा रहा है, उससे भी राहत मिलेगी.
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नगर निगम को मिलेगी सस्ती बॉयो CNG
200 गीले कचरे से वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रोज 6 हजार 400 किलो बॉयो CNG बनाएगी. नगर निगम को इस बॉयो CNG नगर नगर निगम को बाजार भाव से 5 रुपए सस्ती मिलेगी. बॉयो CNG को नगर निगम शहर में संचालित सिटी बस और अन्य वाहनों में इस्तेमाल करेगी. प्लांट लगाने में 30 करोड़ का खर्चा आएगा, जो वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड लगाएगी. निगम को बॉयो CNG प्लांट के लिए यूनिडो(United Nations Industrial Development Organization) से 10 करोड़ 50 लाख का अनुदान भी मिलेगा. यह राशि निगम वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को देगी. प्लांट लगाने के लिए 16 महीने का समय तय किया गया है.
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अभी क्या करता है निगम
आदमपुर छावनी स्थित कचरा खंती में 4 लाख टन कचरे का पहाड़ बना हुआ है. अभी नागपुर की कंपनी 100 टन रोज कचरे से खाद्य, खराब कपड़ों से रस्सी, वहीं बॉटल और पन्ने को रिसाइकल किया जाता है. प्लास्टिक का इस्तेमाल सड़क बनाने में भी किया जाता है. डांबर की सड़क में प्लास्टिक मिलाने से सड़क की मजबूती बढ़ जाती है. इसके अलावा बिल्डिंग मटेरियल से ब्लॉक भी बनाए जाते हैं. गर्मियों में पेड़ों से टूटने वाली सुनहेरी पत्तियों से खाद बनाई जाती है. इसके अलावा फूलों से अगरबत्ती बनाई जाती है. शहर से निकलने वाला कचरा आदमपुर छावनी खंती पर पड़ा हुआ है. फिलहाल करीब चार लाख टन कचरा आदमपुर खंती में मौजूद है.