भोपाल। पीएम केयर फंड (PM Care Fund) को आरटीआई के दायरे से बाहर करने को लेकर मप्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा (Congress Leader Sajjan Verma) ने कई सवाल उठाए हैं. वर्मा ने मांग की है कि जिन अधिकारियों ने हाईकोर्ट में झूठा हलफनामा पेश किया है, उनके खिलाफ 420 का मुकदमा दायर हो. कांग्रेस इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की तैयारी में है. सज्जन सिंह वर्मा ने ईटीवी भारत (Sajjan Verma Exclusive Interview) से खास बातचीत में पीएम केयर फंड के साथ ही मप्र में होने वाले उपचुनाव, खंडवा लोकसभा सीट से अरुण यादव की दावेदारी और मप्र में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं पर बेबाक तरीके से अपने विचार रखे.
सज्जन वर्मा से सवाल और उनके जवाब
सवाल- पीएम केयर फंड को लेकर आपने क्या सवाल उठाएं है?
जवाब- पीएम केयर फंड इतना बड़ा घोटाला है, करोड़ों-खरबों का घोटाला है. जहां तमाम केंद्रीय मंत्रियों और अफसरों का पैसा इसमें आया है. तमाम उद्योगपतियों की बेनामी राशि, तमाम तरह का पैसा इस फंड में है. जब याचिका लगती है देश के लोग जानना चाहते हैं कि इस पीएम केयर फंड के पैसे का क्या-क्या उपयोग हुआ. पीड़ित मानवता की सेवा और प्राकृतिक आपदा के लिए यह फंड बना है. इतनी बड़ी त्रासदी कोरोना महामारी की हुई, जिसमें लाखों लोग मर गए लेकिन वो पैसे कहीं काम नहीं आया. भारत का नागरिक पूछता है कि पीएम केयर फंड को आरटीआई के दायरे मे लाया जाए तो हम जान सकें कि भारत के पैसे का क्या हो रहा है. तब केंद्रीय गवर्नमेंट के अधिकारी दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में जाकर शपथ पत्र देते हैं कि ये कोई शासकीय संस्था नहीं है. सरकारी पैसा नहीं है इसलिए इसे हम आरटीआई के दायरे में नहीं ला सकते हैं.
इतना बड़ा झूठ नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के होते हुए उजागर हुआ है, जबकि पीएम केयर फंड की वेबसाइट में जीओवी डाट इन के साथ पीएम मोदी का फोटो छपा है. प्रधानमंत्री चेहरा दिखाकर लोगों से पैसे झपटने का काम हो रहा है और कह रहे हैं कि ये शासकीय पैसा नहीं है, तो क्या बीजेपी के लूट का पैसा है और क्या बीजेपी को लूटने दें. हालात ये हैं कि मैं तो आरोप लगाता हूं कि नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बीजेपी को सशक्त करने के लिए और आगामी चुनाव में पैसा का तांडव और पैसे के दम पर वोटरों को खरीदने का घिनौना षड़यंत्र है. मेरा ये कहना है कि जिन अधिकारियों ने ये झूठा हलफनामा दिया है, उनके खिलाफ और केंद्रीय सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी पर 420 और अमानत में खयानत का मुकदमा दायर होना चाहिए.
सवाल- इस पूरे मामले में कांग्रेस क्या चाहती है?
जवाब- कांग्रेस चाहती है कि दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए. न्यायपालिका पर हमें पूरा विश्वास है. इतने तथ्य देने के बाद न्यायपालिका कैसे अपने कदम पीछे हटा सकती है, जब दिख रहा है कि वेबसाइट भी गवर्नमेंट की है और फंड में गवर्नमेंट का है, अधिकारी इसको रन कर रहे हैं.
सवाल- इस मामले को लेकर कांग्रेस कोर्ट में कोई तथ्य पेश करेगी क्या?
जवाब- हम जनता को जागृत करेंगे कि तुम्हारे गाढ़ी कमाई और परिश्रम की कमाई, तमाम शासकीय संस्थाओं यहां तक कि रक्षा मंत्रालय तक का पैसा इसमें है. इसका दुरुपयोग और लूटमफास नरेंद्र मोदी गैंग (Narendra Modi Gang) ने मचा रखी है, तो जनता को बताएंगे कि क्या इस तरह देश को लुटने दोगे. देश को नरेंद्र मोदी बेच रहे हैं. हवाई अड्डे, रेलवे, हाइवेज, टेलीकॉम, एलआईसी और क्या नहीं बेच रहे. ये आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया. 70 साल में कांग्रेस ने जो एसेट बनाई है आप उसे बेचकर देश को बर्बाद कर रहे हैं.
सवाल- पीएम केयर फंड को लेकर हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई के बाद क्या सुप्रीम कोर्ट में भी जाएगी कांग्रेस?
जवाब- ये वकील लोग सब तैयारी में है. याचिकाकर्ता को यदि हाईकोर्ट में समाधान नहीं मिला तो सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे. देश को लुटने थोड़ी देंगे. नरेंद्र मोदी एंड कंपनी कांग्रेस पर आरोप लगाते थे, और देश को खुद लूट रहे हैं. कालाधन लाने की बात कर रहे थे और कालाधन इनके समय में सबसे ज्यादा निकलेगा.
सवाल- मप्र में होने वाले उपचुनाव को लेकर क्या तैयारी है?
जवाब- हमारी पूर्ण तैयारी है। हमारे आब्जर्वर और उनके नीचे की टीम ने चार-चार मीटिंग हर विधानसभा में कर ली हैं. हमारा माइक्रो लेवल तक काम चल रहा है. मंडलम और सेक्टर की समितियां गठित हो गई हैं. बूथ कमेटियों का काम चल रहा है, जो 10-15 दिन में निपट जाएगा. हम दमोह पैटर्न पर चुनाव लड़ रहे हैं, और इसी पैटर्न पर हमने विजयश्री हासिल की थी.
सवाल- खंडवा लोकसभा चुनाव के लिए क्या अरुण यादव की उम्मीदवारी को फाइनल माना जाए?
जवाब- अरुण यादव सीनियर लीडर (Congress senior leader arun yadav) हैं. केंद्रीय मंत्री रहे हैं. मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. यदि वे स्पष्टता से स्वीकार कर लेते कि उन्हें चुनाव लड़ना है तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता है. कांग्रेस उन्हें चुनाव लड़ाएगी पर वे जल्दी स्वीकार कर लें, तो उनको भी फायदा मिलेगा और वर्कर को भी काम करने में मजा आएगा.
सवाल- मप्र में जिस तरह से मुख्यमंत्री बदलने की बात उठ रही है, चर्चाएं हो रही हैं तो आपको क्या लगता है?
जवाब- बिल्कुल मप्र गुजरात की दिशा में ही आगे बढ़ रहा है. कर्नाटक की दिशा में ही आगे बढ़ रहा है. अमित शाह ने दो-दो तीन-तीन बार सीएम को तलब कर लिया है. असल में बीजेपी का हाईकमान समझ गया है कि इसी चेहरे को 2018 में मप्र की जनता ने नकार दिया था. चूंकि खरीद-फरोख्त में पैसा लगा है इन लोगों का तो थोडे़ दिनों के लिए कहा गया था कि अपने पैसे निकाल लो. एकाध साल मुख्यमंत्री रह लो. मेरा अनुमान है कि अब किसी और पिछड़े वर्ग के चेहरे को अगले 5-10 दिनों में शिवराज बाबू को हटाकर नई ताजपोशी होगी.