भोपाल। अशोकनगर से कांग्रेस के विधायक जजपाल सिंह को जाति के मामले में बड़ी राहत मिली है. दरअसल जजपाल सिंह जज्जी पर आरोप था कि उन्होंने बार-बार चुनाव अपनी जाति बदलकर लड़ा है. जजपाल सिंह पर लगे आरोपों को लेकर राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. इसके बाद जजपाल सिंह के जाति प्रमाण पत्र को लेकर सियासत तेज हो गई है. कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत करते हुए उचित निर्णय बताया है. तो दूसरी तरफ बीजेपी इस मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कर रही है.
दरअसल, जजपाल सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 1994 से 1999 तक सामान्य सीट पर जनपद पंचायत के सदस्य रहे. 1999 में उन्होंने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा. फिर दिसंबर 1999 में ही ओबीसी के आधार पर वह अशोक नगर नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए. जजपाल सिंह ने 2013 में विधानसभा चुनाव अनुसूचित जाति के टिकट से लड़ा चुनाव जीत गए और फिर इनकी शिकायत हुई. तो राज्य छानबीन समिति ने उनके सर्टिफिकेट को गलत करार दिया. 2018 में जजपाल सिंह फिर अनुसूचित जाति के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए, लेकिन अब उन्हें राज्य छानबीन समिति से बड़ी राहत मिली है और छानबीन समिति ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है.
इस मामले में मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि राज्य छानबीन समिति जांच पड़ताल के बाद निर्णय लेती है. समिति ने जो भी निर्णय लिया होगा. तथ्यों के आधार पर लिया होगा. भाजपा इस मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है. अगर उन्हें राज्य छानबीन समिति के निर्णय पर भरोसा नहीं है.
वहीं मध्य प्रदेश बीजेपी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने जजपाल सिंह को क्लीन चिट दे दी है. इसी समिति ने 2013 में उनके सर्टिफिकेट को फर्जी करार दिया था. आज कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस अच्छी तरह से जानती है कि असली को फर्जी और फर्जी को असली कैसे बनाना है.