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राजधानी के अन्नदाताओं पर दोहरी मार, कोरोना और बेमौसम बारिश ने तोड़ी कमर

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Published : Apr 15, 2020, 8:32 PM IST

कोरोना के कहर से अन्नदाता बेहद परेशान है. इसका सबसे ज्यादा असर राजधानी भोपाल के किसानों पर पड़ रहा है. पढ़िए पूरी खबर..

Big loss to farmers
राजधानी के अन्नदाताओं पर दोहरी मार

भोपाल। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने के बाद भोपाल का किसान काफी परेशानियों का सामना कर रहा है. किसान पहले लॉकडाउन में वैसे ही परेशान था और अपनी फसल नहीं काट पा रहा था और बे मौसम बरसात होने के कारण उसकी गेहूं की फसल की गुणवत्ता नष्ट हो गई थी. इसी बीच उसे उम्मीद थी कि 14 अप्रैल के बाद कम से कम गेहूं की खरीदी शुरू हो जाएगी, लेकिन भोपाल में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के कारण भोपाल को रेड जोन में शामिल कर लिया गया और भोपाल में गेहूं की खरीदी आज से शुरू नहीं की गई.

Bhopal farmer upset due to Corona virus
राजधानी के अन्नदाताओं पर दोहरी मार

एक तरफ किसान को अपनी फसल का उचित मूल्य ना मिलने का डर सता रहा है और दूसरी तरफ उसकी फसल सरकार कब खरीदेगी यह चिंता बढ़ गई है. राजधानी भोपाल में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से ही लॉक डाउन कर दिया गया था. इस दौरान ज्यादातर किसानों की गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई थी, लेकिन लॉक डाउन के कारण ना तो भोपाल के किसानों को मजदूर मिले और ना ही दूसरे राज्यों से आने वाले हार्वेस्टर मिले.

खेतों में खड़ी हैं फसल

इसी दौरान मार्च के अंत में 2 दिन ओलावृष्टि और बरसात हो गई, जिससे खेतों में खड़ी किसानों की पकी हुई गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा. पकी हुई फसल पर ओलो और बारिश की मार के कारण दाना कमजोर पड़ गया, लेकिन किसान के गेहूं काटने की फिर भी व्यवस्था नहीं हो सकी. एक तरफ भोपाल में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के चलते प्रशासन ने मजदूरों से कटाई पर रोक लगा दी. वहीं दूसरी तरफ हार्वेस्टर ना आने के कारण किसानों की फसल खेत में खड़ी रही.

ओला और बारिश ने किया नुकसान

जैसे तैसे किसानों ने हार्वेस्टर आने पर फसल कटवाना शुरू किया तो भोपाल के रेड जोन में शामिल हो जाने के कारण 15 अप्रैल से शुरू होने वाली खरीदी पर रोक लगा दी गई. अब किसान दोहरी मार सह रहा है. बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल की गुणवत्ता कमजोर हुई है तो दूसरी तरफ फसल खरीदे ना जाने के कारण किसान काफी परेशान है.

किसानों को भारी नुकसान

भोपाल के ईटखेड़ी इलाके के किसान रोहित सैनी कहते हैं कि इस सीजन में गेहूं की फसल पिछले साल के मुकाबले काफी अच्छी थी, लेकिन मार्च में जो पानी गिरा, उसकी वजह से हमें जो मुनाफा होना था और जो हमारा उत्पादन बढ़ना था, वह 5 से 10 फीसदी तक घट गया. दाना फूल कर वापिस से पिचक गया, जिसकी वजह से दाने की क्वालिटी 50% तक गिर गई और दाना काला पड़ गया. हमें फसल को समर्थन मूल्य पर मंडी के बेचने में जो पैसा मिलता, वह इस बार गुणवत्ता कमजोर कर पड़ने के कारण नहीं मिलेगा.

कैसे होगी आगामी फसल की तैयारी ?

रोहित बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण हम परेशान हैं.अभी तक तो हमारी फसल खेत में खड़ी है और कुछ नष्ट हो गई है. इसको अभी तक हम मंडियों में बेच चुके होते,जिससे हमारे पास पैसा आ जाता और आगे के कृषि कार्य के लिए लागत मिल जाती. हमारी फसल हम बेच नहीं पा रहे हैं और ना ही हमें उसकी कीमत मिलने की उम्मीद दिख रही है. तो आगामी फसल की तैयारी हम कैसे कर पाएंगे.

भोपाल। लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने के बाद भोपाल का किसान काफी परेशानियों का सामना कर रहा है. किसान पहले लॉकडाउन में वैसे ही परेशान था और अपनी फसल नहीं काट पा रहा था और बे मौसम बरसात होने के कारण उसकी गेहूं की फसल की गुणवत्ता नष्ट हो गई थी. इसी बीच उसे उम्मीद थी कि 14 अप्रैल के बाद कम से कम गेहूं की खरीदी शुरू हो जाएगी, लेकिन भोपाल में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के कारण भोपाल को रेड जोन में शामिल कर लिया गया और भोपाल में गेहूं की खरीदी आज से शुरू नहीं की गई.

Bhopal farmer upset due to Corona virus
राजधानी के अन्नदाताओं पर दोहरी मार

एक तरफ किसान को अपनी फसल का उचित मूल्य ना मिलने का डर सता रहा है और दूसरी तरफ उसकी फसल सरकार कब खरीदेगी यह चिंता बढ़ गई है. राजधानी भोपाल में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के बाद से ही लॉक डाउन कर दिया गया था. इस दौरान ज्यादातर किसानों की गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई थी, लेकिन लॉक डाउन के कारण ना तो भोपाल के किसानों को मजदूर मिले और ना ही दूसरे राज्यों से आने वाले हार्वेस्टर मिले.

खेतों में खड़ी हैं फसल

इसी दौरान मार्च के अंत में 2 दिन ओलावृष्टि और बरसात हो गई, जिससे खेतों में खड़ी किसानों की पकी हुई गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा. पकी हुई फसल पर ओलो और बारिश की मार के कारण दाना कमजोर पड़ गया, लेकिन किसान के गेहूं काटने की फिर भी व्यवस्था नहीं हो सकी. एक तरफ भोपाल में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के चलते प्रशासन ने मजदूरों से कटाई पर रोक लगा दी. वहीं दूसरी तरफ हार्वेस्टर ना आने के कारण किसानों की फसल खेत में खड़ी रही.

ओला और बारिश ने किया नुकसान

जैसे तैसे किसानों ने हार्वेस्टर आने पर फसल कटवाना शुरू किया तो भोपाल के रेड जोन में शामिल हो जाने के कारण 15 अप्रैल से शुरू होने वाली खरीदी पर रोक लगा दी गई. अब किसान दोहरी मार सह रहा है. बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल की गुणवत्ता कमजोर हुई है तो दूसरी तरफ फसल खरीदे ना जाने के कारण किसान काफी परेशान है.

किसानों को भारी नुकसान

भोपाल के ईटखेड़ी इलाके के किसान रोहित सैनी कहते हैं कि इस सीजन में गेहूं की फसल पिछले साल के मुकाबले काफी अच्छी थी, लेकिन मार्च में जो पानी गिरा, उसकी वजह से हमें जो मुनाफा होना था और जो हमारा उत्पादन बढ़ना था, वह 5 से 10 फीसदी तक घट गया. दाना फूल कर वापिस से पिचक गया, जिसकी वजह से दाने की क्वालिटी 50% तक गिर गई और दाना काला पड़ गया. हमें फसल को समर्थन मूल्य पर मंडी के बेचने में जो पैसा मिलता, वह इस बार गुणवत्ता कमजोर कर पड़ने के कारण नहीं मिलेगा.

कैसे होगी आगामी फसल की तैयारी ?

रोहित बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण हम परेशान हैं.अभी तक तो हमारी फसल खेत में खड़ी है और कुछ नष्ट हो गई है. इसको अभी तक हम मंडियों में बेच चुके होते,जिससे हमारे पास पैसा आ जाता और आगे के कृषि कार्य के लिए लागत मिल जाती. हमारी फसल हम बेच नहीं पा रहे हैं और ना ही हमें उसकी कीमत मिलने की उम्मीद दिख रही है. तो आगामी फसल की तैयारी हम कैसे कर पाएंगे.

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