नई दिल्ली/भोपाल/ सागर। ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है मध्यप्रदेश में आगामी पंचायत एवं नगर पालिका के चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के कराए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पेश की गई ओबीसी की रिपोर्ट को अधूरा बताया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिव्यू पिटीशन सरकार लगाएगी.
-
अभी माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया है जिसका अध्ययन नहीं किया है। ओबीसी आरक्षण के साथ मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव हो इसके लिए रिव्यू पिटिशन दायर करेंगे और पुनः आग्रह करेंगे कि स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों।: मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/Ce9Z0cUfdD
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) May 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">अभी माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया है जिसका अध्ययन नहीं किया है। ओबीसी आरक्षण के साथ मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव हो इसके लिए रिव्यू पिटिशन दायर करेंगे और पुनः आग्रह करेंगे कि स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों।: मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/Ce9Z0cUfdD
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) May 10, 2022अभी माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आया है जिसका अध्ययन नहीं किया है। ओबीसी आरक्षण के साथ मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव हो इसके लिए रिव्यू पिटिशन दायर करेंगे और पुनः आग्रह करेंगे कि स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हों।: मुख्यमंत्री श्री @ChouhanShivraj pic.twitter.com/Ce9Z0cUfdD
— Office of Shivraj (@OfficeofSSC) May 10, 2022
ये है पूरा मामला : सुप्रीम कोर्ट में मप्र सरकार द्वारा पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव नहीं कराए जाने पर कई लोगों ने याचिका दायर की थीं. हाल ही में शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को फैसले की तारीख सुनिश्चित की थी. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मप्र सरकार की रिपोर्ट को अधूरा मानते हुए अहम फैसला दिया है और कहा है कि सरकार 15 दिन के अंदर पंचायत एवं नगर पालिका के चुनाव की अधिसूचना जारी करे. वहीं, सुप्रीम कोर्ट कहा है कि इन चुनावों में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण नहीं मिलेगा. दरअसल सुप्रीम कोर्ट मार्च 2021 में महाराष्ट्र के बांद्रा, गोंदिया और नागपुर जिला पंचायत के संबंध में आदेश जारी कर चुकी थी कि जो भी राज्य नए सिरे से ओबीसी आरक्षण देना चाहते हैं, उसे ट्रिपल टेक्स्ट पूरे करने होंगे. ट्रिपल टेक्स्ट के तहत पहली शर्त संवैधानिक आधार पर पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन करने और दूसरी शर्त पिछड़ा वर्ग की जातिगत जनगणना कराने के साथ तीसरी शर्त आरक्षण किसी भी कीमत पर 50% से ज्यादा ना होने की थी, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने इस मामले में जो रिपोर्ट पेश की वह सुप्रीम कोर्ट ने आधी अधूरी मानी है.
याचिकाकर्ता ने बताया सरकार की नाकामी : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने मध्यप्रदेश सरकार की नाकामी बताते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का जो स्थानीय चुनाव को लेकर निर्णय आया है, वह मध्य प्रदेश सरकार की नाकामी हैय क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार ने समय पर ट्रिपल टेक्स्ट रिपोर्ट पेश नहीं की. मध्यप्रदेश सरकार चाहे तो अभी भी रीकॉल पिटीशन लगाकर ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट पेश कर आधी आबादी को अन्याय से बचा सकती है।
सरकार रिव्यू पिटीशन लगाएगी : राज्य सरकार ने कोर्ट के फैसले को लेकर रिव्यू पिटिशन लगाने की बात कही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा
" सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार रिव्यू पिटीशन लगाएगी. कोर्ट का फैसला क्या आया है, अभी हम उसका अध्ययन कर रहे हैं. पंचायत निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ हो, इसको लेकर रिव्यू पिटीशन लगाई जाएगी. "
कांग्रेस हुई शिवराज सरकार पर हमलावर : राज्य सरकार की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने प्रदेश की 56 फ़ीसदी आबादी के साथ षड्यंत्र रचा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा
" हमें इसी बात की आशंका थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग को लेकर सरकार की घोर लापरवाही के कारण आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का वह एजेंडा लागू हो गया, जिसमें आरक्षण समाप्ति की बात की गई थी. शिवराज सरकार की वजह से प्रदेश की 56 फ़ीसदी आबादी को भाजपा सरकार के षड्यंत्र के कारण अपने वाजिब अधिकारों से वंचित होना पड़ेगा. पिछड़ा वर्ग से ही संबंध रखने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह सौदा और षड्यंत्र भविष्य में उनके लिए घातक साबित होगा."
(Big decision of Supreme Court) (Panchayat and urban body elections without OBC) (Issue notification within 15 days)