भोपाल। विदेश से बीबीए करने के बाद राजधानी का एक युवा विदेशी फसलों के सफल प्रयोग की राह दिखा रहा है. युवक ने इजराइल के एवोकाडो और ड्रैगन फ्रूट्स की खेती शुरू की है(Bhopal dragon fruit demand). दोनों ही खेती उनके लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है. 26 साल के हर्षित गोधा द्वारा तैयार की गई एवोकाडो के पौधों की डिमांड देश के कई राज्यों में है. वहीं पांच एकड़ में तैयार ड्रैगन फ्रूट्स की खेती से इन्हें बेहतर लाभ प्राप्त हुआ है.
ऐसे हुई खेती की शुरूआत: भोपाल के रहने वाले हर्षित गोधा यूनाइटेड किंगडम बीबीए की पढ़ाई करने गए थे. यहां पढ़ाई के दौरान ही उनका ध्यान भोपाल में एवोकाडो की खेती की ओर गया. वे बताते हैं कि, वहां एक बार एवोकाडो खाते समय उन्हें पता चला कि यह इजराइल की सबसे फायदेमंद खेती है. तब उन्हें विचार आया कि जब इसकी खेती इजराइल जैसे गर्म देश में हो सकती है तो फिर भोपाल में भी हो सकती है. इसके बाद उन्होंने इजराइल में फार्म ऑनर्स से बात करने के बाद उनके पास जाकर तीन माह तक इसकी ट्रेनिंग ली. इसके बाद भोपाल में भौरी स्थित अपने फार्म हाउस के लिए 1700 एवोकाडो के पौधे बुलाए. हालांकि जब उन्होंने इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू किया, तो उनके पास देश के कई राज्यों से इसके पौधों की डिमांड आना शुरू हो गई. वे बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने 5 माह पहले जून में करीब 3 हजार पौधे इजराइल से बुलाए थे, जो सभी बिक चुके हैं. एवोकाडो के एक पौधे की कीमत 4 हजार रुपए है. वे बताते हैं कि, इसके और पौधे बुलाए जा रहे हैं.
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी, हासिल किया मुकाम
डेढ एकड़ में ड्रैगन फ्रूट्स की खेती: हर्षित बताते हैं कि अब उन्होंने डेढ़ एकड़ पर ड्रैगन फ्रूट्स की खेती शुरू की है. वे बताते हैं कि उन्होंने वियतनाम की सियाम रेड वैरायटी के ड्रैगन फ्रूट्स के प्लांट लगाए हैं(Bhopal dragon fruit sapling brought from vietnam). इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका फ्रूट बाहर से भी रेड होता है और अंदर से भी रेड होता है. उनके प्लांट ने पहले ही साल फ्रूटिंग देना शुरू कर दी है. हालांकि पहले साल इसमें कम फ्रूटिंग आई है, क्योंकि अपनी प्लॉट यंग है, लेकिन अगले तीन साल में इसके एक एकड़ में करीबन 5 टन फ्रूट निकलेंगे. इसके एक फ्रूट का वजन ही 400 ग्राम और उससे ज्यादा का होता है. इसमें अगस्त से दिसंबर तक तीन पर फ्रूटिंग आती है. वे कहते हैं कि यदि इसकी खेती की जाए तो यह फायदा की खेती साबित होगी. इसके साथ ही बीच में इंटर क्रॉपिंग भी की जा सकती है.