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ये है मददगार भोपाली, medicine bank बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे दवाइयां - madhy pradesh ki medisin baink

शहर के एक युवा डॉक्टर विपिन तिवारी ने medicine bank बनाकर कोरोना में लोगों की मदद की. डॉक्टर विपिन ने इसके माध्यम से कोरोना की दूसरी लहर में दवाइयां इकट्ठा की और जरूरतमंदों के द्वार तक पहुंचाई. विपिन कहते हैं कि ऐसा करने में शुरुआत में थोड़ी कठिनाई जरूर आई. लेकिन जैसे-जैसे लोगों को पता चलता गया, यह काम आसान होने लगा. पूरे करोना काल में डॉक्टर विपिन ने 500 से अधिक निर्धन परिवारों तक दवाइयां पहुंचाकर अपना कर्तव्य निभाया.

Helped people in Corona period
कोरोना काल में लोगों की मदद की
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Published : Jun 15, 2021, 6:11 PM IST

भोपाल। कहते हैं 'मानव सेवा ही, नारायण सेवा होती है' और ऐसी मानव सेवा इस कोरोना काल में कई लोगों ने की. उन्हीं में से एक नाम है विपिन तिवारी. डॉक्टर विपिन मूलतः जबलपुर के रहने वाले है, 12 साल पहले भोपाल आकर बस गए थे. बीडीएस की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करने लगे. लेकिन जैसे ही करोना की दूसरी लहर आमजन के लिए दुख का कारण बनी, तो विपिन ने एक medicine bank बनाया. और मेडिसिन बैंक के माध्यम 500 से अधिक जरूरतमंद लोगों तक दवाइयां पहुंचाई.

कोरोना काल में लोगों की मदद की
  • कोरोना गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण के कारण आई परेशानी

दरअसल विपिन ने उन लोगों को ढूंढा जिनके घर में कोई कोरोना संक्रमित हुआ और ठीक हो चुका था. विपिन ने ऐसे घरों को ढूंढा और उन लोगों के घर पर बची हुई दवाइयों को इकठ्ठा किया. विपिन ने दवाइयों को इकठ्ठा करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया. शुरुआती दौर में तो यह काम बड़ा कठिन था और विपिन के सामने कई मुश्किल आई. क्योंकि विपिन के सामने कोरोना की गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण का खतरा था.

  • व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किया काम

विपिन ने बताया कि शुरुआत में दवाइयां इकट्ठा करने के लिए उन्होंने लोगों को बोला, तो सभी को भी यह अटपटा सा लगा. लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने अपने पांच साथियों का एक ग्रुप बनाया और व्हाट्सएप के माध्यम से ही एक दूसरे से कनेक्ट हुए. ग्रुप में एक साथी संबंधित घर से दवाइयां लेकर आता, तो दूसरा साथी उसको उस जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचा था. जहां इसकी जरूरत थी. नजर आया कि कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने दवाइयों के लिए अपने घर के बर्तन से लेकर जेवर तक बेच दिए. विपिन ने ऐसे लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया और यह सफल होने लगा और लोगों को एक दूसरे से इसके बारे में पता चलने लगा.

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  • विपिन ने की 500 से ज्यादा लोगों की मदद

विपिन बताते हैं कि 2 महीने में ही हम दोस्तों ने मिलकर 500 से अधिक लोगों तक दवाइयां पहुंचा कर उनकी मदद की. विपिन यह काम कुछ इस तरह से करते हैं कि दवाइयों की एक्सपायरी डेट के पहले ही वह लोगों तक इन दवाइयों को पहुंचा सके. विपिन ने बताया कि सिर्फ कोरोना की ही नहीं अन्य दवाइयों की भी जब लोगों को जरूरत होने लगी तो, उसके लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ कलेक्शन भी शुरू कर दिया. अपनी तनखा के साथ ही अन्य साथियों के साथ मिलकर वह कुछ पैसे इकट्ठे करते और उन पैसों से ही जरूरतमंदों को दवाइयां पहुंचाने लगे. आज भी यह काम निरंतर जारी रखे हुए हैं.

आर्थिक संकट! कोरोना काल में घरों से दूर हुई मेड, अनलॉक के बाद भी नहीं जिंदगी पटरी पर

  • मंत्री विश्वास सारंग ने की सराहना

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी ऐसे मेडिसिन बैंकों की सराहना की है. विश्वास सारंग का कहना है कि लोग जागरूक होंगे तो निश्चित ही सेवा का भाव सभी के मन में आएगा और ऐसे मेडिसिन बैंक से निश्चित ही लोगों को लाभ मिलेगा.

भोपाल। कहते हैं 'मानव सेवा ही, नारायण सेवा होती है' और ऐसी मानव सेवा इस कोरोना काल में कई लोगों ने की. उन्हीं में से एक नाम है विपिन तिवारी. डॉक्टर विपिन मूलतः जबलपुर के रहने वाले है, 12 साल पहले भोपाल आकर बस गए थे. बीडीएस की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद एक प्राइवेट अस्पताल में नौकरी करने लगे. लेकिन जैसे ही करोना की दूसरी लहर आमजन के लिए दुख का कारण बनी, तो विपिन ने एक medicine bank बनाया. और मेडिसिन बैंक के माध्यम 500 से अधिक जरूरतमंद लोगों तक दवाइयां पहुंचाई.

कोरोना काल में लोगों की मदद की
  • कोरोना गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण के कारण आई परेशानी

दरअसल विपिन ने उन लोगों को ढूंढा जिनके घर में कोई कोरोना संक्रमित हुआ और ठीक हो चुका था. विपिन ने ऐसे घरों को ढूंढा और उन लोगों के घर पर बची हुई दवाइयों को इकठ्ठा किया. विपिन ने दवाइयों को इकठ्ठा करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया. शुरुआती दौर में तो यह काम बड़ा कठिन था और विपिन के सामने कई मुश्किल आई. क्योंकि विपिन के सामने कोरोना की गाइडलाइन और कोरोना संक्रमण का खतरा था.

  • व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से किया काम

विपिन ने बताया कि शुरुआत में दवाइयां इकट्ठा करने के लिए उन्होंने लोगों को बोला, तो सभी को भी यह अटपटा सा लगा. लेकिन मैंने हार नहीं मानी. मैंने अपने पांच साथियों का एक ग्रुप बनाया और व्हाट्सएप के माध्यम से ही एक दूसरे से कनेक्ट हुए. ग्रुप में एक साथी संबंधित घर से दवाइयां लेकर आता, तो दूसरा साथी उसको उस जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचा था. जहां इसकी जरूरत थी. नजर आया कि कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने दवाइयों के लिए अपने घर के बर्तन से लेकर जेवर तक बेच दिए. विपिन ने ऐसे लोगों की मदद करने का बीड़ा उठाया और यह सफल होने लगा और लोगों को एक दूसरे से इसके बारे में पता चलने लगा.

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  • विपिन ने की 500 से ज्यादा लोगों की मदद

विपिन बताते हैं कि 2 महीने में ही हम दोस्तों ने मिलकर 500 से अधिक लोगों तक दवाइयां पहुंचा कर उनकी मदद की. विपिन यह काम कुछ इस तरह से करते हैं कि दवाइयों की एक्सपायरी डेट के पहले ही वह लोगों तक इन दवाइयों को पहुंचा सके. विपिन ने बताया कि सिर्फ कोरोना की ही नहीं अन्य दवाइयों की भी जब लोगों को जरूरत होने लगी तो, उसके लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ कलेक्शन भी शुरू कर दिया. अपनी तनखा के साथ ही अन्य साथियों के साथ मिलकर वह कुछ पैसे इकट्ठे करते और उन पैसों से ही जरूरतमंदों को दवाइयां पहुंचाने लगे. आज भी यह काम निरंतर जारी रखे हुए हैं.

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  • मंत्री विश्वास सारंग ने की सराहना

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी ऐसे मेडिसिन बैंकों की सराहना की है. विश्वास सारंग का कहना है कि लोग जागरूक होंगे तो निश्चित ही सेवा का भाव सभी के मन में आएगा और ऐसे मेडिसिन बैंक से निश्चित ही लोगों को लाभ मिलेगा.

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