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आज से खुला भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क, दो शिफ्टों में होगी एंट्री

भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क कुछ शर्तों के साथ सैलानियों के लिए आज से खोल दिया गया है. वन विहार में पर्यटकों को दो शिफ्ट में एंट्री मिलेगी. पहली शिफ्ट में सुबह 6.30 से दोपहर 12 बजे तक, जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर 3 बजे से शाम 6.30 बजे तक होगी. वहीं कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए है.

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Published : Jun 22, 2020, 11:16 AM IST

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आज से खुला भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क

भोपाल। राजधानी भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क कुछ शर्तों के साथ सैलानियों के लिए आज से खोल दिया गया है. वन विहार में पर्यटकों को दो शिफ्ट में एंट्री मिलेगी. पहली शिफ्ट में सुबह 6.30 से दोपहर 12 बजे तक, जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर 3 बजे से शाम 6.30 बजे तक होगी. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए वन विहार को खोला जा रहा है.

वन विहार में एंट्री के लिए कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सरकार की ओर जारी गाइडलाइन का पालन करना होगा. सभी पर्यटकों को वन विहार में एंट्री से पहले कोरोना वायरस से बचाव के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. सभी पर्यटकों को मास्क लगाना अनिवार्य है, इस दौरान एंट्री गेट पर सबकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. वहीं वन विहार में दस साल से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों की एंट्री पर रोक रहेगी.

वन विहार प्रबंधन ने मांगे सुझाव

पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त और वहां की सुविधाओं को और बेहतर बनाने के संबंध में वन विहार प्रबंधन ने लोगों से सुझाव देने की अपील की है, जिसके लिए लोग अपना सुझाव mp.mygov.in में शेयर कर सकते है. जिससे वन विहार को प्रदूषण मुक्त और बेहतर सुविधायुक्त बनाया जा सकें.

रेस्क्यू सेंटर

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एवं जूलॉजिकल गार्डन के साथ-साथ एक रेस्क्यू सेंटर और कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर भी है. यहां शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या 1200 के आस-पास है. वन विहार में 211 पक्षियों की प्रजातियां भी हैं. जहां लगभग 35 विभिन्न प्रजाति की तितलियां भी पाई जाती हैं. यहां का रेस्क्यू सेंटर मध्य भारत का एक मात्र ऐसा रेस्क्यू सेंटर है, जहां पर वन क्षेत्रों से घायल वन्यप्राणी, सर्कस और मदारियों से विमुक्त किए गए वन्यप्राणी रखे गए हैं. इनमें बाघ, तेंदुआ, भालू, जैकाल, जंगली भैंसा, घड़ियाल और हायना जैसे वन्यप्राणी शामिल हैं. वन विहार रॉयल बंगाल टाइगर के लिए को-आर्डिनेटिंग जू है. इसके साथ ही ये एशियाटिक लायन और जिप्स वल्चर के लिए पार्टिसिपेटिंग जू भी है.

वन विहार का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक रूप में वन्यप्राणियों की सुरक्षा, उन्हें आश्रय देने के साथ ही उनके प्राकृतिक आवास को बचाए रखने के लिए जनसाधारण में जागरूकता का विकास करना है. यहां आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए सभी बातों का विशेष ख्याल रखा जाता है. जैसे-पेयजल, कैफेटेरिया, टॉयलेट, बैठने की सुविधा, भ्रमण के लिए बैटरी चलित वाहन, जिप्सी, सफारी वाहन, साइकिल की सुविधा. वहीं लोगों की वजह से वन्यप्राणियों को किसी प्रकार की कोई हानि न हो इसके लिए पार्क के अंदर कुछ क्रियाकलापों को प्रतिबंधित भी किया गया है.

ये हैं प्रतिबंधित

• हॉर्न, रेडियो, कार स्टीरियो या अन्य ध्वनि यंत्रों को बजाना.

• पॉलीथिन या अन्य जैव अपघटनीय पदार्थों का उपयोग एवं कचरा फैलाना.

• वन्यप्राणियों को चिढ़ाना, उन पत्थर फेंकना, बाहरी वस्तु खिलाना या छेड़ना.

• पार्क के अंदर नशे की स्थिति में प्रवेश करना, मधपान, धूम्रपान करना या आग जलाना.

• प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करना.

• पेड़-पौधों से फूल, पत्ता, टहनी एवं फल तोड़ना.

• पौधों, वन्यप्राणियों, घौंसले, फेंसिंग, बाड़ा, साईन बोर्ड को क्षति पहुंचाना.

• पालतू पशुओं के साथ पार्क में प्रवेश.

• जल संरचना के अंदर स्नान करना, तैरना या मछली पकड़ना.

• वाहन में निर्धारित क्षमता से अधिक पर्यटकों का बैठना.

भोपाल। राजधानी भोपाल का वन विहार नेशनल पार्क कुछ शर्तों के साथ सैलानियों के लिए आज से खोल दिया गया है. वन विहार में पर्यटकों को दो शिफ्ट में एंट्री मिलेगी. पहली शिफ्ट में सुबह 6.30 से दोपहर 12 बजे तक, जबकि दूसरी शिफ्ट दोपहर 3 बजे से शाम 6.30 बजे तक होगी. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए शासन द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए वन विहार को खोला जा रहा है.

वन विहार में एंट्री के लिए कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सरकार की ओर जारी गाइडलाइन का पालन करना होगा. सभी पर्यटकों को वन विहार में एंट्री से पहले कोरोना वायरस से बचाव के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. सभी पर्यटकों को मास्क लगाना अनिवार्य है, इस दौरान एंट्री गेट पर सबकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. वहीं वन विहार में दस साल से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों की एंट्री पर रोक रहेगी.

वन विहार प्रबंधन ने मांगे सुझाव

पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त और वहां की सुविधाओं को और बेहतर बनाने के संबंध में वन विहार प्रबंधन ने लोगों से सुझाव देने की अपील की है, जिसके लिए लोग अपना सुझाव mp.mygov.in में शेयर कर सकते है. जिससे वन विहार को प्रदूषण मुक्त और बेहतर सुविधायुक्त बनाया जा सकें.

रेस्क्यू सेंटर

वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एवं जूलॉजिकल गार्डन के साथ-साथ एक रेस्क्यू सेंटर और कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेंटर भी है. यहां शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या 1200 के आस-पास है. वन विहार में 211 पक्षियों की प्रजातियां भी हैं. जहां लगभग 35 विभिन्न प्रजाति की तितलियां भी पाई जाती हैं. यहां का रेस्क्यू सेंटर मध्य भारत का एक मात्र ऐसा रेस्क्यू सेंटर है, जहां पर वन क्षेत्रों से घायल वन्यप्राणी, सर्कस और मदारियों से विमुक्त किए गए वन्यप्राणी रखे गए हैं. इनमें बाघ, तेंदुआ, भालू, जैकाल, जंगली भैंसा, घड़ियाल और हायना जैसे वन्यप्राणी शामिल हैं. वन विहार रॉयल बंगाल टाइगर के लिए को-आर्डिनेटिंग जू है. इसके साथ ही ये एशियाटिक लायन और जिप्स वल्चर के लिए पार्टिसिपेटिंग जू भी है.

वन विहार का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक रूप में वन्यप्राणियों की सुरक्षा, उन्हें आश्रय देने के साथ ही उनके प्राकृतिक आवास को बचाए रखने के लिए जनसाधारण में जागरूकता का विकास करना है. यहां आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा मिले इसके लिए सभी बातों का विशेष ख्याल रखा जाता है. जैसे-पेयजल, कैफेटेरिया, टॉयलेट, बैठने की सुविधा, भ्रमण के लिए बैटरी चलित वाहन, जिप्सी, सफारी वाहन, साइकिल की सुविधा. वहीं लोगों की वजह से वन्यप्राणियों को किसी प्रकार की कोई हानि न हो इसके लिए पार्क के अंदर कुछ क्रियाकलापों को प्रतिबंधित भी किया गया है.

ये हैं प्रतिबंधित

• हॉर्न, रेडियो, कार स्टीरियो या अन्य ध्वनि यंत्रों को बजाना.

• पॉलीथिन या अन्य जैव अपघटनीय पदार्थों का उपयोग एवं कचरा फैलाना.

• वन्यप्राणियों को चिढ़ाना, उन पत्थर फेंकना, बाहरी वस्तु खिलाना या छेड़ना.

• पार्क के अंदर नशे की स्थिति में प्रवेश करना, मधपान, धूम्रपान करना या आग जलाना.

• प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश करना.

• पेड़-पौधों से फूल, पत्ता, टहनी एवं फल तोड़ना.

• पौधों, वन्यप्राणियों, घौंसले, फेंसिंग, बाड़ा, साईन बोर्ड को क्षति पहुंचाना.

• पालतू पशुओं के साथ पार्क में प्रवेश.

• जल संरचना के अंदर स्नान करना, तैरना या मछली पकड़ना.

• वाहन में निर्धारित क्षमता से अधिक पर्यटकों का बैठना.

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