भोपाल। एमपी को अपने जन्मदिन से पहले बीना में 50 हजार करोड़ रुपए की लागत से पेट्रो केमिकल प्लांट की सौगात देने के साथ पीएम मोदी जब सनातन का मुद्दा उठा रहे थे तो उन्हे महात्मा गांधी भी याद आए. पीएम मोदी ने कहा कि घमंडिया गठबंधन की एक ही रणनीति है कि किस तरह सनातन को तहस नहस किया जाए. पीएम मोदी ने गांधी जी को सनातनी बताते हुए कहा कि ''जिस सनातन को गांधी जी ने जीवन पर्यंत माना, जिन भगवान राम ने गांधीजी को जीवन भर प्रेरणा दी, गांधी जी के आखिरी शब्द थे हे राम. उस सनातन को ये गठबंधन समाप्त करना चाहता है.'' हांलाकि गांधीवादी चिंतकों ने इस पर सवाल उठाया है और कहा है कि महात्मा गांधी सुधारवादी सनातनी थे. उनके सनातन में अल्पसंख्यकों और दलितों का स्थान भी था और इनके लिए संघर्ष भी.
मोदी को क्यों याद आए महात्मा: पीएम मोदी ने सनातन का जिक्र करते हुए कांग्रेस और उसके गठबंधन को महात्मा गांधी के सामने खड़ा कर दिया. ये बता दिया कि विपक्षी गठबंधन जिस राह पर है वो रास्ता महात्मा गांधी का नहीं. महात्मा गांधी जिस सनातन की राह पर चले थे उसी को खत्म करना चाहता है विपक्षी गठबंधन. पीएम मोदी ने इस गठबंधन को घमंडिया गठबंधन नाम दिया है. उन्होंने कहा कि ''जिस सनातन को गांधी जी ने जीवनपर्यंत माना. जिन भगवान राम ने उनको जीवन भर प्रेरणा दी, उनके आखिरी शब्द बने हे राम.. जिस सनातन परंपरा से प्रेरणा लेकर उन्होंने अस्पृश्यता को समाप्त करने जीवन भर आंदोलन चलाया. उस सनातन संस्कृति को ये गठबंधन तहस नहस करना चाहता है.''
गांधी जी के सनातन में तो दलित अल्पसंख्यक भी थे: वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक विचारक और लेखक चिन्मय मिश्र महात्मा गांधी के सनातन की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि ''महात्मा गांधी सुधारवादी सनातनी थे. उनके सनातन का हिस्सा दलित भी रहे और अल्पसंख्यक भी. उन्होंने दलितों के लिए निरंतर संघर्ष किया. दूसरी एक बात जब महात्मा गांधी के सनातन को जो लोग अब अपनी सुविधा से रेखांकित कर रहे हैं वो ये जान लें कि गांधी जी ने तुलसीदास की उस चौपाई का भी विरोध किया था जिसमें कहा गया था कि ढोर गंवार शुद्र पशु नारी सकल ताड़ना के अधिकारी. वो धर्म के अफीम बन जाने के हमेशा खिलाफ थे. उन्होंने कहा था कि जो धर्म अपनी रूढियां नहीं छोड़ता उसे नष्ट हो जाना चाहिए. एक बात और गांधी के अंतिम शब्द हे राम थे, श्री राम नहीं. जिसके बल पर आज के सनातनी पूरा देश सिर पर उठाए हैं.''