भोपाल। जो सोचा था वह सपना साकार हुआ, ओलंपिक खेलते समय एक समय लग रहा था कि गोल्ड हमारा होगा, लेकिन सेमीफाइनल में हार के कारण हम उससे चूक गए, तब भी हमने ब्रॉन्ज मेडल जीता है, अब जीवन में यही सपना है कि आने वाले समय में मेडल का कलर चेंज कर सकें. ये बात Etv Bharat से खास बातचीत में भारतीय टीम के हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर ने कही. टोक्यो ओलंपिक से लौटने के बाद विवेक सागर ने अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि किस तरह से ओलंपिक में मेडल पाने के लिए उन्होंने दिन रात संघर्ष किया. पढ़ें Exclusive इंटरव्यू.
विवेक को जोरदार स्वागत, खेल मंत्री लेने पहुंची
हर किसी खिलाड़ी का सपना होता है कि वह ओलंपिक में पदक लेकर आए, शुरुआत से ही वह इसके लिए मेहनत करता है, लेकिन उस सपने को साकार कर दिखाया है मध्य प्रदेश के इटारसी के पास रहने वाले विवेक सागर ने. भारतीय हॉकी टीम में अपना शानदार प्रदर्शन करने के बाद गुरुवार को विवेक भोपाल लौटे. यहां एयरपोर्ट पर उनका जोरदार स्वागत किया गया. इस अवसर पर खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया भी मौजूद थीं.
टीम का फोकस सिर्फ पदक पर था : विवेक सागर
ईटीवी भारत से खास बातचीत में विवेक ने बताया कि ओलंपिक में इस जीत के बाद ऐसा लग रहा है जैसे उनका सपना साकार हो गया हो. विवेक के अनुसार, यह जीत पूरी टीम की है, इस दौरान कई बार उतार-चढ़ाव भी सामने आए, लेकिन सभी का ध्यान सिर्फ पदक पर रहा.
परिवार का मिला भरपूर सहयोग
विवेक के जीवन में परिवार का बड़ा योगदान रहा है. विवेक को शुरुआती समय से ही उनके भाई ने सहयोग किया. विवेक अपने इस मुकाम के लिए अपने भाई को श्रेय देते हैं. विवेक का कहना है कि बचपन से ही जब वह हॉकी खेलने आया करते थे, तब से ही उनके भाई उनका सहयोग करते रहे. उसी का नतीजा है कि आज ओलंपिक में उन्होंने पदक हासिल किया है.
MP में खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं
मध्य प्रदेश खेल विभाग के खिलाड़ी विवेक सागर का कहना है कि प्रदेश में खिलाड़ियों के लिए बेहतर सुविधाएं हैं, यहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर अच्छा है, हॉकी के ग्राउंड पर एस्ट्रो और सिंथेटिक टर्फ है, ऐसे में खिलाड़ियों के लिए बेहतर माहौल बना हुआ है, लेकिन खिलाड़ी को खुद भी मेहनत करने की जरूरत होती है, आप सुविधाएं दे सकते हैं, लेकिन असली मेहनत खिलाड़ी की होती है.
विवेक के नाम कई अवॉर्ड्स
विवेक सागर इंडियन जूनियर हॉकी टीम की कप्तानी कर चुके हैं. 2019 में 'हॉकी स्टार्स अवार्ड्स' में विवेक को 'राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर' के खिताब से भी नवाजा जा चुका है. हौसले और अपने लक्ष्य को पाने की ललक ने उन्हें भारतीय हॉकी की राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में मदद की. विवेक हॉकी की ओलंपिक टीम में चुने जाने से पहले कई बड़ी प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं.
विवेक सागर की उपलब्धियां
साल 2018 में फोर नेशंस टूर्नामेंट, कॉमनवेल्थ गेम्स, चैम्पियन्स ट्रॉफी, यूथ ओलम्पिक, न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज, एशियन गेम्स और साल 2019 में अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट और आस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं. विवेक सागर को 'यूथ-ओलम्पिक' में 'बेस्ट-स्कोरर' और 'फाइनल सीरीज भुवनेश्वर' में 'बेस्ट जूनियर प्लेयर अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है. एशियाड 2018 में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाली भारतीय टीम में शामिल मिडफिल्डर हॉकी खिलाड़ी विवेक अब तक 62 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं.