भोपाल। एक तरफ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ब्राह्मणों पर बयान दिया, तो वहीं दूसरी तरफ संघ अल्पसंख्यक सिंधी समुदाय को साधने में जुटा है. दरअसल देश के कारोबार और विकास में सिंधी समुदाय का दबदबा देखते हुए पहली बार आरएसएस की ओर से अखिल भारतीय सिंधु महासभा का आयोजन किया जा रहा है. ये अखिल भारतीय सिंधु महासभा और सिंधी सम्मेलन 31 मार्च 2023 को भोपाल में आयोजित किया जा रहा है. इस सम्मेलन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शिरकत करेंगे.
संघ का सिंधियों को साधने का मकसद: बताया जा रहा है कि संघ का मकसद सिंधियों को साधने का है. सिंधी सम्मेलन के जरिए RSS पूरे देश में सकारात्मक संदेश देना चाहती है. पूरे देश में सिंधी करीब सवा डेढ़ करोड़ है, जबकि मध्य प्रदेश में एक दर्जन शहरों में इनकी संख्या 1.5 लाख से अधिक है. विभाजन के 75 साल बाद यह पहला मौका है, जब आरएसएस ने सिंधियों को एकजुट करने और उन्हें अपने से जोड़े रखने की पहल की है. 31 मार्च को होने जा रहे सिंधी महासभा के कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने आने की सहमति दे दी है. ऐसा माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के जरिए सिंधी समाज को भाजपा के करीब लाने में मदद मिलेगी.
आडवाणी को दरकिनार किए जाने के बाद सिंधियों को साधने की कवायद: पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के मार्गदर्शक मंडल में शामिल करने और उनकी उपेक्षा से नाराज सिंधी समाज को मैनेज करने की कोशिश की जा रही है, विधानसभा 2023 और लोकसभा 2024 चुनाव के पहले संघ इस समाज को बीजेपी के करीब लाने की कोशिश में जुट गया है.
लालवानी सांसद और रोहाणी हैं विधायक: मध्यप्रदेश विधानसभा में अभी जबलपुर से भाजपा विधायक अशोक रोहाणी और लोकसभा में इंदौर के सांसद शंकर लालवानी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो वहीं लोकसभा और राज्यसभा में भाजपा की ओर से राम जेठमलानी को प्रतिनिधित्व दिया गया था.
भोपाल सहित कई जिलों में सिंधियों का दबदबा: वहीं बात करें तो सिंधियों की आबादी तो कम है, लेकिन व्यवसाय में अच्छी खासी पैठ है. भोपाल के हुजूर और गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में सिंधी समाज के लोग ज्यादा है. बीजेपी 'हिंदू-सिंधी भाई-भाई' का नारा भी दे चुकी हैं. मध्य प्रदेश के जबलपुर, इंदौर, भोपाल, कटनी, उज्जैन और ग्वालियर जिलों में सिंधी समाज की घनी आबादी है, जबकि सतना, रीवा सागर बुरहानपुर, खंडवा, रतलाम, नीमच और मंदसौर सहित अन्य नगरों-करबों में इनकी अच्छी संख्या है.