ETV Bharat / state

कब से लगेगा खरमास, इस समय क्यों नहीं किए जाते शुभ काम, क्या है सूर्यदेव के 7 घोड़ों और 2 गधों की कहानी

Kharmas 2023: कार्तिक मास अपने अंतिम पहर में है. इसके कुछ दिनों के बाद सूर्य की गति धीमी हो जाएगी. इसके कुछ दिनों बाद खरमास की शुरुआत हो जाएगी. इस दौरान किसी भी तरह के शुभकार्य वर्जित हो जाते हैं. आइए जानते हैं, कब से खरमास की शुरुआत होगी.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 28, 2023, 10:47 PM IST

भोपाल। समय एक चक्र है, जो सतत गतिमान है. कार्तिक मास अब अपने आखिरी पहर में है. इसके के कुछ दिनों बाद से खरमास की शुरुआत हो जाएगी. हिन्दू मान्यताओं में खरमास में किसी भी तरह का शुभ काम वर्जित है. इस समय माना जाता है कि सूर्य अपनी गति धीरे कर देता है. इसके पीछे भी एक कहानी है. हालांकि, सूर्य की धीमी गति होने के साथ ही किसी भी तरह का शुभ काम, शादी विवाह, घर खरीदना और किसी भी तरह के नए काम की शुरुआत नहीं की जाती है.

कब से शुरु होगा खरमास: अब हम आपको बता देते हैं कि इस साल खरमास की शुरुआत कब से होगी. दरअसल, खरमास 16 दिसंबर 2023 से 15 जनवरी 2024 तक रहेगा. इसके बाद जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब संक्रांति के त्योहार के बार ये सभी शुभा काम दोबारा से शुरु किए जा सकेंगे.

पौराणिक कथा क्या कहती है: आप सभी जानते हैं, सूर्य की सवारी 7 घोड़े हैं. ये सभी घोड़े ही ब्रह्माण का चक्कर लगाते हैं. इसी की वजह से ब्रह्माण में होने वाली सारी गतिविधि जारी रहती है. इसलिए ये अपनी गति नहीं रोक सकते. कथा है कि ऐसे ही सूर्य सृष्टी की परिक्रमा कर रहे थे. तब हेमंत ऋतु का आगमन हो गया था. सूर्य के ये सातों घोड़े थक चुके थे. वे एक तालाब पर पानी पीने रुक गए. इस वजह से सूर्य की गति धीमी पड़ गई.

जब ये घोड़े तालाब किनारे पानी पी रहे थे, तो सूर्य भगवान आशंका हुई कि इनका रूकना सृष्टी के लिए सही नहीं है. तो उन्होंने तालाब के किनारे दो गधों जिन्हें खर भी कहा जाता है, उन्हें रथ में जोड़ लिया. अब गधे घोड़ो की बराबरी नहीं कर सकते थे. इसलिए सूर्य भगवान की गति धीमी पड़ गई. एक महीने तक सूर्य देव गधों के रथ पर सवार रहते हैं. इस वजह से इसे खरमास कहा जाता है.

किस राशि में सूर्य के प्रवेश से लग जाता है खरमास: हिंदू परंपरा में कई ऐसे समय आते हैं, जब शुभ काम नहीं किए जाते हैं. इसकी शुरुआत तब होती है, जब सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं. धनु राशि गुरू की राशि है. जब सूर्य इस राशि में होते हैं, तो इस संयोग को गुर्वादित्य कहा जाता है

क्या है खरमास से जुड़ी मान्यताएं: दरअसल, ये वो समय होता है, जब सूर्य अपने गुरू की सेवा में तत्पर रहते हैं. गुरू को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है. इस दौरान वे धनु और मीन राशी में रहते हैं. गुरू की सेवा में होने के वजह से सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है और गुरू का बल भी कमजोर अवस्था में रहता है. माना जाता है कि शुभ कार्य करने के लिए गुरू और सूर्य का मजबूत होना बेहद जरूरी है. ऐसे में खरमास को अशुभ माना गया है.

खरमास में इन काम से रहे दूर: खरमास के समय शादी, सगाई नहीं करना चाहिए, अगर इन बातों की अनदेखी करेंगे, तो घर में कलह बनी रहेगी. इसका सुख भोग इंसान नहीं कर पाता. नए घर में प्रवेश नहीं करते. इसके अलावा नए घर, नया व्यापार नहीं करना चाहिए. नहीं तो जीवन में स्ट्रगल बढ़ जाता है. इनके अलावा मुंडन, जनेऊ और अन्य धार्मिक काम भी नहीं करना चाहिए.

ये भी पढ़ें...

भोपाल। समय एक चक्र है, जो सतत गतिमान है. कार्तिक मास अब अपने आखिरी पहर में है. इसके के कुछ दिनों बाद से खरमास की शुरुआत हो जाएगी. हिन्दू मान्यताओं में खरमास में किसी भी तरह का शुभ काम वर्जित है. इस समय माना जाता है कि सूर्य अपनी गति धीरे कर देता है. इसके पीछे भी एक कहानी है. हालांकि, सूर्य की धीमी गति होने के साथ ही किसी भी तरह का शुभ काम, शादी विवाह, घर खरीदना और किसी भी तरह के नए काम की शुरुआत नहीं की जाती है.

कब से शुरु होगा खरमास: अब हम आपको बता देते हैं कि इस साल खरमास की शुरुआत कब से होगी. दरअसल, खरमास 16 दिसंबर 2023 से 15 जनवरी 2024 तक रहेगा. इसके बाद जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तब संक्रांति के त्योहार के बार ये सभी शुभा काम दोबारा से शुरु किए जा सकेंगे.

पौराणिक कथा क्या कहती है: आप सभी जानते हैं, सूर्य की सवारी 7 घोड़े हैं. ये सभी घोड़े ही ब्रह्माण का चक्कर लगाते हैं. इसी की वजह से ब्रह्माण में होने वाली सारी गतिविधि जारी रहती है. इसलिए ये अपनी गति नहीं रोक सकते. कथा है कि ऐसे ही सूर्य सृष्टी की परिक्रमा कर रहे थे. तब हेमंत ऋतु का आगमन हो गया था. सूर्य के ये सातों घोड़े थक चुके थे. वे एक तालाब पर पानी पीने रुक गए. इस वजह से सूर्य की गति धीमी पड़ गई.

जब ये घोड़े तालाब किनारे पानी पी रहे थे, तो सूर्य भगवान आशंका हुई कि इनका रूकना सृष्टी के लिए सही नहीं है. तो उन्होंने तालाब के किनारे दो गधों जिन्हें खर भी कहा जाता है, उन्हें रथ में जोड़ लिया. अब गधे घोड़ो की बराबरी नहीं कर सकते थे. इसलिए सूर्य भगवान की गति धीमी पड़ गई. एक महीने तक सूर्य देव गधों के रथ पर सवार रहते हैं. इस वजह से इसे खरमास कहा जाता है.

किस राशि में सूर्य के प्रवेश से लग जाता है खरमास: हिंदू परंपरा में कई ऐसे समय आते हैं, जब शुभ काम नहीं किए जाते हैं. इसकी शुरुआत तब होती है, जब सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करते हैं. धनु राशि गुरू की राशि है. जब सूर्य इस राशि में होते हैं, तो इस संयोग को गुर्वादित्य कहा जाता है

क्या है खरमास से जुड़ी मान्यताएं: दरअसल, ये वो समय होता है, जब सूर्य अपने गुरू की सेवा में तत्पर रहते हैं. गुरू को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है. इस दौरान वे धनु और मीन राशी में रहते हैं. गुरू की सेवा में होने के वजह से सूर्य का प्रभाव कम हो जाता है और गुरू का बल भी कमजोर अवस्था में रहता है. माना जाता है कि शुभ कार्य करने के लिए गुरू और सूर्य का मजबूत होना बेहद जरूरी है. ऐसे में खरमास को अशुभ माना गया है.

खरमास में इन काम से रहे दूर: खरमास के समय शादी, सगाई नहीं करना चाहिए, अगर इन बातों की अनदेखी करेंगे, तो घर में कलह बनी रहेगी. इसका सुख भोग इंसान नहीं कर पाता. नए घर में प्रवेश नहीं करते. इसके अलावा नए घर, नया व्यापार नहीं करना चाहिए. नहीं तो जीवन में स्ट्रगल बढ़ जाता है. इनके अलावा मुंडन, जनेऊ और अन्य धार्मिक काम भी नहीं करना चाहिए.

ये भी पढ़ें...

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.