भोपाल. मध्यप्रदेश की एक ऐसी विधानसभा सीट बीते 20 साल से बीजेपी के राज में भी संघ और बीजेपी का सबसे बड़ा सिरदर्द बनी हुई है. ये भोपाल की उत्तर विधानसभा सीट है. जहां से एमपी के इकलौते मुस्लिम विधायक आरिफ अकील ने लगातार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया है. 2023 के विधानसभा चुनाव मे इस सीट से आरिफ अकील के बेटे आतिफ अकील कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.
आतिफ अकील की पहचान भरोसा और ताकत आरिफ हैं, जो डायलिसिस के बावजूद अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. चुनावी राजनीति में नाबाद पारी खेल चुके आरिफ ने जब अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे को सौंपी है, तो उनके लिए सबसे बड़ी मुश्किल बन कर खड़े हैं खुद उनके ही भाई आमिर अकील....क्या उत्तर भोपाल की राजनीति करवट लेगी? क्या आरिफ अकील अपने बेटे कांग्रेस उम्मीदवार आतिफ अकील के साथ अपनी बीसियों साल की सियासी जमीन बचा पाएंगे? क्या आतिफ के साथ आरिफ अकील का नाम बन पाएगा जीत की गारंटी?
ईटीवी भारत ने उत्तर भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार आतिफ अकील के साथ विधायक आरिफ अकील से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उत्तर भोपाल में भाई आमिर अकील की बगावत पर पहली बार बेबाक होकर बोले आरिफ अकील ने कहा- "वो पच्चीस साल से मेरा काम देख रहे थे. तो क्या मालिक बन जाएंगे. मेरे हाथ में कुछ नहीं था. सर्वे में बेटे आतिफ अकील का नाम आया. हक सबका बराबर होता है जो जनता की कसौटी पर खरा उतरा उसका नाम आ गया."
तो इस बार किसे मिलेगा उत्तर: उत्तर भोपाल में जीत का इतिहास रच चुके आरिफ अकील के लिए ये चुनाव उनके सियासी जीवन का सबसे मुश्किल चुनाव है. हालांकि, आत्मविश्वास से लबरेज आरिफ अकील ईटीवी भारत से बातचीत में ये कहते हैं कि उनका बेटा आतिफ इस बार उनके चुनाव से भी बड़े अंतर से ये मुकाबला जीतेगा. लेकिन एक पिता की फिक्र की डायलिसिस करवाने के बाद भी आरिफ अकील सुस्ताते नहीं, चुनाव कार्यालय पहुंच जाते हैं. जिस समय हम उनसे बातचीत के लिए पहुंचे, तब बुखार में थे.
हमने सवाल किया आपके नाम के अलावा आतिफ अकील के पास जीत की कौन सी गारंटी है. आरिफ अकील जवाब में कहते हैं, साढे तीन साल से जब से मैं बीमार पड़ा हूं. मेरा सारा काम आतिफ देख रहे हैं. आतिफ कहते हैं, जो अब्बू का अंदाज़ था, काम करने का लोगों की मदद करना, हर हाल में 2018 के विधानसभा चुनाव से, मैं उसी नक्शेकदम पर हूं. सियासत भले विरासत में मिली हो. लेकिन अब्बू के चुनाव से मैने अपनी जमीन तैयार की है. वार्डों की जिम्मेदारी ली है.
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आमिर- आरिफ की दरार...दर्द का रिश्ता: आरिफ अकील के लिए ये पहला चुनाव है, जब बडी चुनौती बाहर से नहीं घर से है. बीजेपी ने यहां से आलोक शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिन्हे आरिफ अकील 2008 में कम अंतर से चुनाव हरा चुके हैं. लेकिन आरिफ अकील की फिलहाल बड़ी चुनौती बनें हैं, उनके अपने भाई आमिर अकील. आरिफ अकील के साथ 1998 से लगातार सक्रीय फईम कहते हैं, जिस हालत में आरिफ भाई हैं. उनकी सेहत जिस तरह से नासाज है. इसमें सबसे पहली फिक्र तो भाई को करनी चाहिए. आतिफ अकील भावुक होकर कहते हैं, चाचा हैं मेरे मना लूंगा. घर का मामला है हमारे. वो हमारा हिस्सा हैं. अलग थोड़ी जाएंगे.
अब्बू का काम आगे बढ़ाना है: आरिफ अकील की डीलडौल...वैसी ही मुस्कान और तोल कर बोलते हैं आतिफ. लेकिन ये कहते हुए भावुक हो जाते हैं. मुझे अब्बू के काम को आगे बढ़ाना है. ये उत्तर भोपाल मेरा भी परिवार है. अब पार्टी ने मुझे जिम्मेदारी सौंपी है, तो अब्बू के नक्शेकदम पर आगे बढूंगा और इनके लिए काम करूंगा.