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MP Election 2023: BJP की चौथी लिस्ट में सिंधिया समर्थकों का जलवा, सूची में उनको तवज्जो जिन्होंने निभाया कमलनाथ सरकार गिराने में अहम रोल

बीजेपी में सिंधिया समर्थकों का जलवा बरकरार है. पार्टी ने अपनी चौथी लिस्ट में उन लोगों को दोबारा से टिकट दिया है, जिन्होंने कांग्रेस सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. ये सभी कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के बीजेपी में शामिल हो गए थे. पढ़े बीजेपी की चौथी लिस्ट में सिंधिया समर्थकों का विश्लेषण...

MP Election 2023
बीजेपी ने जारी की चौथी लिस्ट, सिंधिया समर्थकों को मिला टिकट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 9, 2023, 6:55 PM IST

भोपाल। बीजेपी की चौथी सूची में सिंधिया समर्थकों का दबदबा कायम है. पार्टी ने उन लोगों को टिकट दिया है, जिन्होंने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. ये लोग कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. जिसके बाद राज्य मे बीजेपी की शिवराज सरकार दोबारा से स्थापित हुई थी. अब बीजेपी ने फिर उनपर भरोसा जताया है.

सिंधिया समर्थकों पर फिर भरोसा: कमलनाथ सरकार में पूर्व मंत्री और वर्तमान में सिंधिया समर्थक मंत्रियों पर फिर से भरोसा जताकर बीजेपी ने ये संदेश दिया है कि जिनके बलबूते प्रदेश में बीजेपी सरकार बनी थी, उन पर बीजेपी का भरोसा कायम है. जिन सिंधिया समर्थकों को पार्टी ने टिकट दिया है, उनमें गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी के नाम शामिल हैं. इनके अलावा बिसाहुलाल सिंह, हरदीप सिंह, मनोज चौधरी को भी पार्टी ने टिकट दिया है.

सरकार गिराने में जिनका रहा रोल, उनको मिली तवज्जो: सूची में उन लोगों को तवज्जों मिली है, जिन्होंने सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई है. बीजेपी की लिस्ट से स्पष्ट होता है कि ये वो लिस्ट है, जिन्होंने बीजेपी के साथ वफादारी की, और कांग्रेस के साथ गद्दारी. इस सूची में वो नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद इन सभी ने उपचुनाव लड़ा और जीता भी. इनकी साख पार्टी से अलग है, जनता इनके चेहरे पर वोट देती आई है.

जीत के लिए उम्र का क्राइटेरिया ताक पर: इस सूची में वे नाम हैं, जो पार्टी के मुताबिक उम्रदराज हो चुके हैं. लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है. पार्टी को लग रहा है कि यदि वो उम्र का क्राइटेरिया आगे रखती है, तो हो सकता है, उनको इसका नुकसान उठाना पड़े. लिहाजा, अपने उम्र के फॉर्मूले को पार्टी आगे नहीं बढ़ा पाई है.

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2018 में हार से बीजेपी ने लिया सबक: बीजेपी का वोट प्रतिशत 2018 में 42 प्रतिशत था, तो वहीं कांग्रेस का 41, लेकिन सीटों में बीजेपी पिछड़ गई थी. उसे 109 सीटें ही मिली थी, तो वहीं कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं. एमपी में दोनो दलों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस को बसपा, सपा और निर्दलियों का सहारा मिल गया था और उसने सरकार बना ली थी.


सिर्फ 15 महीने ही चली थी कमलनाथ की सरकार: कमलनाथ अपनी सरकार सिर्फ 15 महीने ही चला पाए थे. सिंधिया की नाराजगी कमलनाथ को भारी पड़ी थी. एमपी में ऑपरेशन लोटस चलाया गया और 2019 में 15 महीने की सरकार को ढहा दिया गया. इसमें सबसे बड़ा हाथ सिंधिया का रहा था. इसका इनाम भी बीजेपी ने उन्हें दिया, और केंद्र में मंत्री बनाया. उनके समर्थकों को प्रदेश में मंत्री पद भी दिया गया. इसके अलावा हारे हुए समर्थकों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था.

भोपाल। बीजेपी की चौथी सूची में सिंधिया समर्थकों का दबदबा कायम है. पार्टी ने उन लोगों को टिकट दिया है, जिन्होंने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. ये लोग कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. जिसके बाद राज्य मे बीजेपी की शिवराज सरकार दोबारा से स्थापित हुई थी. अब बीजेपी ने फिर उनपर भरोसा जताया है.

सिंधिया समर्थकों पर फिर भरोसा: कमलनाथ सरकार में पूर्व मंत्री और वर्तमान में सिंधिया समर्थक मंत्रियों पर फिर से भरोसा जताकर बीजेपी ने ये संदेश दिया है कि जिनके बलबूते प्रदेश में बीजेपी सरकार बनी थी, उन पर बीजेपी का भरोसा कायम है. जिन सिंधिया समर्थकों को पार्टी ने टिकट दिया है, उनमें गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युमन सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी के नाम शामिल हैं. इनके अलावा बिसाहुलाल सिंह, हरदीप सिंह, मनोज चौधरी को भी पार्टी ने टिकट दिया है.

सरकार गिराने में जिनका रहा रोल, उनको मिली तवज्जो: सूची में उन लोगों को तवज्जों मिली है, जिन्होंने सरकार गिराने में अहम भूमिका निभाई है. बीजेपी की लिस्ट से स्पष्ट होता है कि ये वो लिस्ट है, जिन्होंने बीजेपी के साथ वफादारी की, और कांग्रेस के साथ गद्दारी. इस सूची में वो नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद इन सभी ने उपचुनाव लड़ा और जीता भी. इनकी साख पार्टी से अलग है, जनता इनके चेहरे पर वोट देती आई है.

जीत के लिए उम्र का क्राइटेरिया ताक पर: इस सूची में वे नाम हैं, जो पार्टी के मुताबिक उम्रदराज हो चुके हैं. लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है. पार्टी को लग रहा है कि यदि वो उम्र का क्राइटेरिया आगे रखती है, तो हो सकता है, उनको इसका नुकसान उठाना पड़े. लिहाजा, अपने उम्र के फॉर्मूले को पार्टी आगे नहीं बढ़ा पाई है.

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2018 में हार से बीजेपी ने लिया सबक: बीजेपी का वोट प्रतिशत 2018 में 42 प्रतिशत था, तो वहीं कांग्रेस का 41, लेकिन सीटों में बीजेपी पिछड़ गई थी. उसे 109 सीटें ही मिली थी, तो वहीं कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं. एमपी में दोनो दलों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस को बसपा, सपा और निर्दलियों का सहारा मिल गया था और उसने सरकार बना ली थी.


सिर्फ 15 महीने ही चली थी कमलनाथ की सरकार: कमलनाथ अपनी सरकार सिर्फ 15 महीने ही चला पाए थे. सिंधिया की नाराजगी कमलनाथ को भारी पड़ी थी. एमपी में ऑपरेशन लोटस चलाया गया और 2019 में 15 महीने की सरकार को ढहा दिया गया. इसमें सबसे बड़ा हाथ सिंधिया का रहा था. इसका इनाम भी बीजेपी ने उन्हें दिया, और केंद्र में मंत्री बनाया. उनके समर्थकों को प्रदेश में मंत्री पद भी दिया गया. इसके अलावा हारे हुए समर्थकों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया था.

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