भोपाल। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया है. जनता के लिए कोरोना काल किसी तबाही से कम नहीं रहा. लाखों लोगों की नौकरी गिरती अर्थव्यवस्था के कारण चली गई. लॉकडाउन के बाद से बैपटरी अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. धीरे-धीरे सब ठीक भी हो रहा है. वहीं भोपाल नगर निगम पर भी कोरोना का असर देखने को मिला, लेकिन निगम के अधिकारियों ने ऐसा प्लान तैयार किया कि खाली खजाने को भरने के साथ-साथ पिछली बार का भी राजस्व वसूली का रिकॉर्ड टूट गया.
बॉर्नविटा का दिखा असर
भोपाल नगर निगम को कोरोना काल के दौरान राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ था. लॉकडाउन के 3 महीने की बात की जाए, तो निगम को 2019 की तुलना में 15 करोड़ 56 लाख रुपये का नुकसान हुआ, लेकिन लॉकडाउन खत्म होते ही निगम ने अपने राजस्व को भरने के लिए कमर कस ली. वसूली के लिए वार्ड स्तर पर कैंप लगाए गए. घर-घर दस्तक देकर बकायेदारों को सूचना दी गई. इसके अलावा जिस वार्ड में कम वसूली हुई, उन एचओ को निगम कमिश्नर ने बॉर्नविटा बांटा. वहीं जहां की वसूली ज्यादा हुई, वहां गिफ्ट दिए गए. इसका मकसद कर्मचारियों में काम के प्रति एनर्जी लाना था, जिसका असर भी देखने को मिला. जो निगम लॉकडाउन के दौरान 15 करोड़ 56 लाख रुपये के नुकसान में था, उसे पिछली बार की तुलना में 33 फीसदी ज्यादा राजस्व मिला.
निगम को पिछली बार की तुलना में इस बार 33 फीसदी ज्यादा राजस्व वसूली हुई है. 1 अप्रैल 2019 से 4 जनवरी 2020 तक निगम के खाते में 152 करोड़ 33 लाख 31 हजार रुपए आए, तो वहीं 1 अप्रैल 2020 से 4 जनवरी 2021 तक निगम के खजाने में 203 करोड़ 70 लाख रुपये आए. इसमें लॉकडा के 3 महीने भी शामिल है, जहां निगम की कोई वसूली नहीं हुई थी.
भोपाल नगर निगम को संपत्ति कर से सबसे अधिक राजस्व मिलता है. पिछली बार नगर निगम को 87 करोड़ 25 लाख 52 हजार रुपए मिले थे, तो वहीं इस बार 111 करोड़ 16 लाख रुपये प्राप्त हुए, जो पिछली बार की तुलना में 23 करोड़ 90 लाख रुपये से ज्यादा है.
- लैंड बिल्डिंग रेंट में पिछली बार 3 करोड़ 86 लाख रुपए आए थे. वहीं इस बार 4 करोड़ 89 लाख रुपये आए.
- कॉम्प्लेक्स और शॉप रेंट में पिछली बार 9 करोड़ 39 लाख रुपए आए थे, जबकि इस बार 14 करोड़ 14 लाख आए.
- जलकर में पिछली बार 28 करोड़ 24 लाख रुपए आए थे, जबकि इस बार 32 करोड़ 43 लाख रुपये नगर निगम के खाते में पहुंचे.
- सॉलिड वेस्ट में पिछली बार 5 करोड़ 9 लाख रुपये आए थे, तो वहीं इस बार 6 करोड़ 4 लाख रुपये खाते में आए.
- हार्डिंग में नगर निगम को पिछली बार 25 लाख रुपए मिले थे. इस बार 77 लाख 93 हजार रुपए मिले हैं.
- ट्रेड लाइसेंस में 1 करोड़ 80 लाख रुपए प्राप्त हुए. वहीं इस बार दो करोड़ चार लाख रुपए मिले हैं.
- स्पॉट फाइन में पिछली बार 3 लाख रुपये नगर निगम के खाते में आए थे, जो बढ़कर इस बार 20 लाख 50 हजार रुपये हो गए.
इंटरटेनमेंट और रेहटी मार्केट में हुआ नुकसान
- इंटरटेनमेंट में पिछली बार निगम के खाते में 72 लाख रुपये आए थे, जो घटकर सिर्फ 3 लाख 21 हजार रुपये हो गए. एंटरटेनमेंट टैक्स में नगर निगम को करीब 69 लाख रुपये का नुकसान हुआ.
- रेहटी मार्केट से पिछली बार 27 लाख रुपये की आमदनी हुई, जबकि इस बार सिर्फ 5 लाख 81 हजार रुपये नगर निगम को मिले है.
निगम की संपत्ति किराए पर
टैक्स वसूली के अलावा नगर निगम कई और तरीके से अपना खजाना भर रहा है. निगम ने खजाना भरने के लिए संपत्ति को किराए पर देने की तैयारी की है. नगर निगम कमिश्नर वीएस चौधरी कोलसानी ने बताया कि 20 से 25 नगर निगम की प्रॉपर्टी है, जिसे लीज पर देने की तैयारी की जा रही है. जिन बाजारों में निगम की संपत्ति खाली पड़ी है, वहां पर कमर्शियल दुकानें बनाकर किराए पर दिया जाएगा, जिससे नगर निगम आय में बढ़ोतरी हो सकें.