भोपाल। पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार शाहपुरा स्थित एथेनियम कवर्ड कैंपस में रहते हैं, इस कवर्ड कैंपस में 36 डुप्लेक्स बने हैं. इस कैंपस से सटा हुआ ही एक प्लॉट कंप्यूटर व्यवसायी मानवेंद्र सिंह गौर का है, जिस पर वे अपना मकान बना रहे हैं और इस मकान तक जाने का एक रास्ता कैंपस में से है. करीब डेढ़ महीने पहले इस रास्ते से निकलने पर पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार और बिल्डर प्रदीप शर्मा ने रोक लगा दी थी, इसके बाद 19 सितंबर को पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार और बिल्डर ने अपनी निगरानी में खड़े होकर मानवेंद्र सिंह का गेट तुड़वा दिया और उसकी जगह एक दीवार खड़ी कर दी.
ईटीवी ने जब इस मामले में बात की थी तो बिल्डर प्रदीप शर्मा ने कहा था कि वे जो कर रहे हैं वह लीगल है, इसके बाद पीड़ित पक्ष मानवेंद्र सिंह गौर ने जिला प्रशासन और नगर निगम में गुहार लगाई और अपने सभी दस्तावेज सबमिट किए. इसके आधार पर नगर निवेषक (TANDCP) नगर निगम की तरफ से बिल्डर प्रदीप शर्मा को नोटिस जारी करके स्पष्ट लिखा गया कि आपकी कॉलोनी से सटी सड़क से कोर्डिनेट करके मकान की अनुमति दी गई है, इसलिए आपके द्वारा रोका गया रास्ता गलत है और 7 दिन में बाउंड्री हटाएं. इसके बाद भी जब बिल्डर ने बाउंड्री नहीं हटाई ताे 4 अक्टूबर को नगर निवेषक ने दोबारा बिल्डर को नोटिस भेजा और बाउंड्री हटाने के लिए कहा.
इस नोटिस में 24 घंटे का समय बिल्डर को दिया गया था, लेकिन इसके बाद भी उसने बाउंड्री नहीं हटाई. तब जाकर 5 अक्टूबर को नगर निवेषक ने पुलिस उपायुक्त लॉ एंड आर्डर को लिखा कि "नगर निगम अतिक्रमण विरोधी दल प्रियदर्शिनी एथेनियम में अवैध तरीके से किए गए निर्माण को तोड़ा जाएगा. अत: पुलिस बल मुहैया कराएं." कुल 15 लोगों का स्टॉफ मांगा गया था. यह कार्रवाई 6 अक्टूबर को होनी थी, लेकिन अमला नहीं मिलने की वजह से 7 अक्टूबर को कार्रवाई हुई.
36 बंगलों में रहने वालों में पूर्व डीजीपी, एडीजी और आईएफएस अफसर शामिल: जिस एथेनियम कॉलोनी का यह विवाद है, उसमें पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार समेत अन्य कई रिटायर्ड अफसर रहते हैं. इनमें आईपीएस, आईएफएस समेत व्यवसायी भी शामिल हैं. यहां विवाद की शुरूआत 26 अगस्त को हुई, जब सोशल मीडिया पर पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार और शहर के कंप्यूटर व्यापारी मानवेंद्र सिंह गौर के बीच हो रही है बहस का वीडियो वायरल हुआ. वीडियो की खोजबीन की तो पता चला कि एथेनियम कॉलोनी से सटा एक प्लॉट खरीदकर मानवेंद्र सिंह मकान बना रहे हैं और टीएंडसीपी ने उन्हें कोर्डिनेशन रोज्ञ (निकलने के लिए सड़क) कॉलोनी के भीतर से दी है. इस बात पर पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार समेत कॉलोनी के अनिल शिवानी को आपत्ति थी, बिल्डर प्रदीप शर्मा को आगे करके इन्होंने काम रोकने के लिए हंगामा किया. वह वीडियो ईटीवी भारत के पास मौजूद है.
मामला शाहपुरा थाने तक पहुंचा और फिर आपत्ति लेने वाले पीछे हट गए, वहीं मानवेंद्र सिंह अपना काम करते रहे. अचानक 19 सितंबर को फिर एक वीडियो सामने आया, जिसमें उसी जगह पुलिसकर्मी अपनी निगरानी में गेट के सामने दीवार खड़ी करते दिखाई दिए. मामले की तह तक जाने के लिए ईटीवी भारत ने मौका मुआयना किया और पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार समेत बिल्डर से सीधी बात की. पूर्व डीजीपी राजेंद्र कुमार ने कैमरे पर बोलने से इंकार कर दिया, लेकिन मौखिक बताया कि "यह कवर्ड कैंपस की रोड है और सिर्फ वास्तु के लिए इस तरह से रोड निकालने की कोशिश की जा रही है." बिल्डर प्रदीप शर्मा ने ऑन कैमरा कहा कि "यहां से रास्ता नहीं दिया जा सकता, क्योंकि यह कवर्ड कैंपस है. जबकि टीएंडसीपी द्वारा जारी किए गए लेटर की कॉपी से साफ पता चलता है कि यह कोर्डिनेशन रोड है और इसे बंद नहीं किया जा सकता."
यह लिखा है टीएंडसीपी के आदेश में: ईटीवी भारत के पास टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (T&CP) का आदेश मौजूद हैं. टीएंडसीपी की तरफ से बिल्डर प्रदीप शर्मा के नाम से 14 सितंबर 2023 को यह पत्र जारी किया गया था, इसमें लिखा है कि मानवेंद्र सिंह गौर द्वारा कार्यालय में शिकायत की गई थी कि "बाबड़िया कला के खसरा क्रमांक 85/2/10, 86/1/1, 86/1/2, 86/2/2, 86/1/3 एवं अन्य रकबा 2.417 हेक्टेयर पर दी गई. भवन अनुज्ञा में जो कोर्डिनेशन मार्ग बताया गया था, वह बाउंड्रीवॉल बनाकर बंद कर दिया गया है क्योंकि इससे उन्हें आने-जाने में दिक्कत हो रही है. आदेश में लिखा है कि कार्यालय द्वारा शिकायतकर्ता यानी मानवेंद्र सिंह को 18 फरवरी 2019 को भवन अनुज्ञा दी गई थी, जिसमें 7.50 मीटर मार्ग कोर्डिनेट करते हुए अनुमति दी गई थी. टीएंडसीपी ने बिल्डर से सात दिन में जवाब मांगा और यह भी लिखा कि आपके द्वारा बाउंड्रीवॉल से मार्ग को रोका गया है तो इसे शीघ्र हटाने की व्यवस्था करें. इस पत्र की एक कॉपी नगर निगम के टाउन प्लानर को भी भेजी और लिखा कि आप भी जांच करके कार्रवाई करें.