शहडोल (अखिलेश शुक्ला): मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग के किसान खेती के नए तरीके अपनाते रहते हैं. वे खेती में प्रयोग करके अच्छी फसलों के साथ उसे कमाई का जरिए भी बना रहे हैं. आज हम बात करेंगे एक ऐसी तकनीक की, जिसमें सिंचाई में ना तो ज्यादा लागत लगेगी, ना ज्यादा मेहनत पड़ेगी. हर पौधे तक सीधे पानी पहुंचेगा. पानी की भी बचत होगी और उत्पादन में भी इजाफा होगा. ड्रिप इर्रिगेशन एक ऐसी सिंचाई की तकनीक है, जो किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
ड्रिप इर्रिगेशन से कैसे होती है सिंचाई
ड्रिप इर्रिगेशन से आखिर कैसे होती है सिंचाई, इसे लेकर हमने किसान सत्य कुमार से बात की. उन्होंने बताया कि "ड्रिप इर्रिगेशन खेती किसानी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि इस पद्धति से सिंचाई करने से लाभ ही लाभ होते हैं. एक बार ड्रिप इर्रिगेशन अगर आपने अपने खेतों पर लगवा लिया है, तो फिर आपको परेशान नहीं होना पड़ेगा. बस बटन दबाइये आराम से बैठ जाइए. हर पौधे के तने तक पानी बूंद-बूंद करके पहुंचेगी. इसमें फायदे भी बहुत होते हैं.
एक तो पानी की बचत होती है .साथ ही बूंद-बूंद कर जब पानी पौधे के नीचे पहुंचता है, तो पौधे में धीरे-धीरे पानी जाता है. जिससे पौधे को बहुत फायदा होता है. किसान सत्यकुमार बताते हैं कि दूसरी पद्धति से अगर सिंचाई करते हैं, तो उसमें लागत लगती है. सिंचाई के लिए मजदूर लगते हैं, लेकिन ड्रिप इर्रिगेशन में ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है, इसमें समय लागत और मेहनत तीनों की बचत होती है. ड्रिप इर्रिगेशन सिंचाई की बहुत ही अच्छी तकनीक में से एक है."
किन फसलों में ड्रिप इर्रिगेशन हिट ?
कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक दीपक चौहान बताते हैं की "सब्जी वर्गीय कोई भी फसल की खेती करें ड्रिप इर्रिगेशन सिंचाई के लिए बहुत ही अच्छा माध्यम होगा. इसके अलावा पौधे वर्गी जो फसल हैं, उसके लिए भी ड्रिप इर्रिगेशन बहुत काम का है. अनाज वाले फसलों को छोड़ दें, तो ज्यादातर फसलों के लिए ड्रिप इर्रिगेशन सिंचाई में बहुत ही शानदार तरीके से काम करता है."
ड्रिप इर्रिगेशन के फायदे
ड्रिप इर्रिगेशन पद्धति से फसलों की सिंचाई करने से कई फायदे होते हैं. कृषि अभियांत्रिकी वैज्ञानिक दीपक चौहान बताते हैं "ड्रिप इर्रिगेशन से सिंचाई अगर कोई किसान करता है, तो सबसे पहले पानी की बचत होती है. लगभग 80% तक पानी बच जाता है. उसे दूसरे फसलों की सिंचाई के लिए आप उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा समय, लागत और मेहनत की बचत होती है. सिंचाई के लिए किसी मजदूर की जरूरत नहीं पड़ती है. एक बार ड्रिप इर्रिगेशन तकनीक को अपने खेतों पर लगवा लिया है, तो फिर बटन दबाया और सिंचाई का फायदा उठाइए.
इसके अलावा ड्रिप इर्रिगेशन के माध्यम से कई तरह के खाद भी डालकर हम पौधे के तने तक पहुंचा सकते हैं. ड्रिप इर्रिगेशन माध्यम से पौधे के तने में सीधे जड़ में पानी पहुंचता है. जिससे पौधे को भी पानी लगता है. बूंद-बूंद कर पानी चलता रहता है, तो फसल के लिए वह काफी फायदेमंद होता है. ड्रिप इर्रिगेशन से अगर फसलों की सिंचाई करते हैं, तो खरपतवार नहीं आएंगे. इधर-उधर पानी नहीं जाएगा तो अनावश्यक खरपतवार नहीं उगेंगे. जिससे लागत बचेगी.
खरपतवार निकालने के लिए ना कोई अनावश्यक दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ेगा ना मजदूरों को लगाकर उसे निकलवाना पड़ेगा. ड्रिप इरीगेशन से फसलों की पैदावार भी बढ़ती है. लगभग 20% तक फसल पैदावार ड्रिप इर्रिगेशन माध्यम से बढ़ जाता है.
कितनी सब्सिडी, कैसे लगवाएं ?
शहडोल हॉर्टिकल्चर विभाग के ग्रामीण उद्यानकी विस्तार अधिकारी विक्रम कलमे बताते हैं कि "अगर आप ड्रिप इर्रिगेशन के लिए अप्लाई करना चाहते हैं, तो आप अपने क्षेत्र के उद्यानिकी विभाग में जाकर आवेदन दे सकते हैं. इसमें अच्छी खासी सब्सिडी भी मिलती है, जो छोटे किसान होते हैं, जो 5 एकड़ तक जमीन वाले किसान होते हैं. उन्हें सरकार 55% तक सब्सिडी दे रही है. जो बड़े किसान होते हैं, मतलब 5 एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसान होते हैं, उनको 45% तक की सब्सिडी ड्रिप लगाने में दी जा रही है.
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ग्रामीण उद्यानिकी विस्तार अधिकारी विक्रम कलमे बताते हैं कि अगर आप एक एकड़ जमीन पर ड्रिप इर्रिगेशन लगवाते हैं, तो लगभग 60,000 तक कास्ट आ जाती है, लेकिन इसमें अगर आप छोटे किसान हैं तो 55% तक की सब्सिडी रहेगी. बड़े किसान हैं तो 45% तक की सब्सिडी रहेगी. मतलब ड्रिप इर्रिगेशन सिस्टम लगवाने में भी आपको आसानी होगी और पैसों की भी बचत होगी.