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MP Politics सिंधिया समर्थक मंत्री महेंद्र सिसौदिया नौकरशाही से हैरान, कांग्रेस बोली नौकरशाहों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त

मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सिंधिया समर्थकों मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के एक पत्र ने पार्टी की अंदरूनी राजनीति को उजागर कर दिया है. शिवपुरी जिले के एसपी पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर को मंत्री ने पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिये सीएम शिवराज के खास माने जाने वाले मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निशाने पर लिया है. भाजपा और सिंधिया समर्थकों के बीच चल रही अंदरुनी कलह का असर 2023 के विधानसभा चुनावों पर पड़ने के पूरे आसार हैं. Bureaucracy dominates in Madhya Pradesh, Mahendra Singh Sisodia letter to Collector

Congress target BJP
सिंधिया समर्थक मंत्री नौकरशाही से हैरान
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Published : Sep 4, 2022, 8:28 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में सिंधिया समर्थक मंत्रियों का गुस्सा नौकरशाही पर फूट रहा है. मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने तो अपना गुस्सा सार्वजानिक कर सरकार के अहम अफसर को कटघरे में खड़ा कर दिया. लेकिन ये पहला मामला नहीं है, इसके पहले सिंधिया समर्थक मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव भी नौकरशाही के रवैये से नाराज दिखे थे. पिछले महीने राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव भी सहकारिता विभाग के अधिकारी द्वारा की गई नियुक्तियों को निरस्त करने और उनके कार्यकाल में हुए घोटाले की जांच की मांग उच्च अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उनके पत्र पर विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कांग्रेस ने साधा शिवराज सरकार पर निशाना

मप्र मंत्रिमंडल के ज्यादातर मंत्रियों की यही शिकायत: शिवराज मंत्रिमंडल के कुछ कद्दावर मंत्रियों को छोड़ दिया जाए तो नौकरशाही के रवैये को लेकर ज्यादातर मंत्रियों की यही शिकायत है. उनका दर्द भी सामने आ चुका है. कई बैठकों में वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने ही नौकरशाही के अड़ियल रुख की शिकायत कर चुके हैं. कैबिनेट में भी इस तरह के किस्से बाहर निकलकर आते रहते हैं. मध्यप्रदेश में नौकरशाही हावी है. लेकिन कोई ऐसा पहला मौका नहीं था जब शिवराज सिंह चौहान को नौकरशाही के जरिए घेरा गया हो. इससे पहले भी कई दफा उन पर हमले नौकरशाही के जरिए किए गए हैं.

सिंधिया समर्थक मंत्री बीजेपी में गुटबाजी के शिकार: पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिंधिया के मंत्री बीजेपी के अनुशासन को तार तार कर रहे हैं. मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने मुख्य सचिव को निशाने पर लिया है. इसके पहले बृजेंद्र सिंह यादव भी अधिकारियों के रवैये को लेकर पत्र लिख चुके हैं. नगरीय निकाय में सिंधिया और बीजेपी में पहले से स्थापित नेताओं के बीच जमकर वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिल रही है, जिसका नतीजा ग्वालियर में सामने आया.

Politics of MP क्या सिंधिया समर्थक मंत्रियों को नहीं शिवराज सरकार पर भरोसा, इस लेटर से फिर खड़े हुए सवाल

टिकट पर घमासान के आसार: अब 2023 में सिंधिया खेमे और बीजेपी नेताओं के बीच टिकट पर घमासान होने के पूरे आसार हैं, जिसका असर सत्ता में काबिज बीजेपी पर पड़ने वाला है. अब पार्टी में अहम की लड़ाई शुरू हो गयी है. यहां भी कांग्रेस की तरह छत्रपों की एंट्री हो गयी है. बता दें कि टीआई के ट्रांसफर को लेकर सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया प्रशासन से नाराज है, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास और भरोसेमंद माने जाने वाले मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निरंकुश बताया है. Minister Mahendra Sisodia angry

कांग्रेस बोली-शिवराज सरकार में नौकरशाही हावी: नौकरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच मचे घमासान को लेकर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बयान दिया है. उनका कहना है कि ''यदि इस तरह के मामले आते हैं तो आपस में मसले सुलझाना चाहिए. जनप्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि होता है उसका सम्मान किया जाना चाहिए''. वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने जनप्रतिनिधियों का पक्ष लिया है. उन्होंने कहा कि ''शिवराज सरकार में नौकरशाही हावी है, और यदि कोई अधिकारी मंत्री की नहीं सुन रहा तो साफ तौर पर समझा जा सकता है कि नौकरशाहों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है"'.

Bureaucracy dominates in Madhya Pradesh, Tussle between scindia supporter and BJP, Mahendra Singh Sisodia letter to collector, Congress target BJP

भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में सिंधिया समर्थक मंत्रियों का गुस्सा नौकरशाही पर फूट रहा है. मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने तो अपना गुस्सा सार्वजानिक कर सरकार के अहम अफसर को कटघरे में खड़ा कर दिया. लेकिन ये पहला मामला नहीं है, इसके पहले सिंधिया समर्थक मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव भी नौकरशाही के रवैये से नाराज दिखे थे. पिछले महीने राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव भी सहकारिता विभाग के अधिकारी द्वारा की गई नियुक्तियों को निरस्त करने और उनके कार्यकाल में हुए घोटाले की जांच की मांग उच्च अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उनके पत्र पर विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

कांग्रेस ने साधा शिवराज सरकार पर निशाना

मप्र मंत्रिमंडल के ज्यादातर मंत्रियों की यही शिकायत: शिवराज मंत्रिमंडल के कुछ कद्दावर मंत्रियों को छोड़ दिया जाए तो नौकरशाही के रवैये को लेकर ज्यादातर मंत्रियों की यही शिकायत है. उनका दर्द भी सामने आ चुका है. कई बैठकों में वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने ही नौकरशाही के अड़ियल रुख की शिकायत कर चुके हैं. कैबिनेट में भी इस तरह के किस्से बाहर निकलकर आते रहते हैं. मध्यप्रदेश में नौकरशाही हावी है. लेकिन कोई ऐसा पहला मौका नहीं था जब शिवराज सिंह चौहान को नौकरशाही के जरिए घेरा गया हो. इससे पहले भी कई दफा उन पर हमले नौकरशाही के जरिए किए गए हैं.

सिंधिया समर्थक मंत्री बीजेपी में गुटबाजी के शिकार: पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिंधिया के मंत्री बीजेपी के अनुशासन को तार तार कर रहे हैं. मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने मुख्य सचिव को निशाने पर लिया है. इसके पहले बृजेंद्र सिंह यादव भी अधिकारियों के रवैये को लेकर पत्र लिख चुके हैं. नगरीय निकाय में सिंधिया और बीजेपी में पहले से स्थापित नेताओं के बीच जमकर वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिल रही है, जिसका नतीजा ग्वालियर में सामने आया.

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टिकट पर घमासान के आसार: अब 2023 में सिंधिया खेमे और बीजेपी नेताओं के बीच टिकट पर घमासान होने के पूरे आसार हैं, जिसका असर सत्ता में काबिज बीजेपी पर पड़ने वाला है. अब पार्टी में अहम की लड़ाई शुरू हो गयी है. यहां भी कांग्रेस की तरह छत्रपों की एंट्री हो गयी है. बता दें कि टीआई के ट्रांसफर को लेकर सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया प्रशासन से नाराज है, उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खास और भरोसेमंद माने जाने वाले मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निरंकुश बताया है. Minister Mahendra Sisodia angry

कांग्रेस बोली-शिवराज सरकार में नौकरशाही हावी: नौकरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच मचे घमासान को लेकर पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बयान दिया है. उनका कहना है कि ''यदि इस तरह के मामले आते हैं तो आपस में मसले सुलझाना चाहिए. जनप्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि होता है उसका सम्मान किया जाना चाहिए''. वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह ने जनप्रतिनिधियों का पक्ष लिया है. उन्होंने कहा कि ''शिवराज सरकार में नौकरशाही हावी है, और यदि कोई अधिकारी मंत्री की नहीं सुन रहा तो साफ तौर पर समझा जा सकता है कि नौकरशाहों को मुख्यमंत्री का संरक्षण प्राप्त है"'.

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