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राजधानी के तालाब हो रहे बदनाम, खूबसूरत झीलें सुसाइड पॉइंट में तब्दील

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Published : Oct 27, 2020, 1:25 PM IST

झीलों की नगरी भोपाल के बड़े और छोटे तालाब में लगातार आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं. लॉकडाउन के बाद अनलॉक के दौरान कई मामले सामने आ चुके हैं. भोपाल की शान कहे जाने वाली झीलें भी बदनाम हो रही हैं. पढ़िए ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट.

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खूबसूरत झीलें सुसाइड पॉइंट में तब्दील

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को देश और दुनिया में झीलों का शहर नाम से जाना जाता है. यहां हर साल लाखों पर्यटक झीलों की सुंदरता निहारने आते हैं. लेकिन अफसोस की बात ये है कि, खूबसूरत शहर के ये तालाब अब बदनाम होते जा रहे हैं. क्योंकि यहां आए दिन सुसाइड के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले 3 महीनों की ही बात करें तो इन तालाबों में कूदकर लगभग 20 लोग जान दे चुके हैं.

खूबसूरत झीलें सुसाइड पॉइंट में तब्दील

आइए नजर डालते हैं पिछले 4 साल के आंकड़ों पर:-

⦁ साल 2017 में कुल 68 लोगों ने तालाब में कूदकर आत्महत्या की. जिनमें में बड़े तालाब में 42, तो छोटे तालाब में 26 लोगों ने जान दी.

⦁ साल 2018 में कुल 93 लोगों ने आत्महत्या की. बड़े तालाब में 39, तो छोटे तालाब में 54 लोगों ने कूदकर जान दी.

⦁ साल 2019 में कुल 51 लोगों ने आत्महत्या की. जिनमें बड़े तालाब में 37, तो छोटे तालाब में 14 लोगों ने जान दी.

⦁ साल 2020 में सितंबर तक कुल 35 लोगों ने तालाब में कूदकर आत्महत्या की. बड़े तालाब में 21, तो छोटे तालाब में 14 लोगों ने जान दी.

बदनाम हो रहे भोपाल के तालाब

राजधानी में लगातार आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं. इनमें से कुछ मामलों के चलते कहीं न कहीं भोपाल की शान कहे जाने वाली झीलें भी बदनाम हो रही हैं. शहर के इन बड़े और छोटे तालाबों में लगातार आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं. आलम ये है कि, पिछले 3 महीनों में ही यहां 20 लोगों ने कूदकर जान दे दी है. वहीं 18 लोग ऐसे भी हैं, जो तालाब में आत्महत्या करने के लिए कूदे थे, लेकिन गोताखोरों की मुस्तैदी से उनकी जान बच गई. कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक, यानी कि जून-जुलाई और सितंबर में ही यहां कई मामले सामने आ चुके हैं. गोताखोरों की मानें तो हाल ही में लगातार तीन दिनों तक बड़े तालाब और शीतल दास की बगिया के पास से शव बरामद हुए हैं. पिछले कुछ दिनों में ही यहां 15 से 20 मामले देखने को मिले हैं. हालांकि इनमें से कुछ लोगों को गोताखोरों की मदद से बचा लिया गया है.

रेलिंग छोटी होने से छलांग लगा देते हैं लोग

भोपाल के कमला पार्क से लेकर खानूगांव और लालघाटी चौराहे तक बड़ा तालाब फैला हुआ है. यहां के कई हिस्से सुसाइड पॉइंट में तब्दील हो चुके हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि, लगातार सुसाइड केस सामने आने के बाद भी यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बड़े तालाब के किनारे बनी रेलिंग्स भी काफी छोटी हैं. जहां से आसानी से लोग तालाब में छलांग लगा लेते हैं. छोटे तालाब पर जरूर रेलिंग के ऊपर बड़ी जाली लगा दी गई है, लेकिन ये जाली केवल एक ही तरफ से लगाई गई है. छोटे तालाब की दूसरी तरफ जाली ही नहीं है, यहां पर भी छोटी रेलिंग लगी हुई है.

निगरानी के लिए कोई नहीं

पुलिस के जवान इन सुसाइड पॉइंट से नदारद रहते हैं. बड़े तालाब और छोटे तालाब की सीमाएं तीन थाना क्षेत्रों में हैं. जिनमें तलैया, कोहेफिजा और श्यामला हिल्स थाना शामिल है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, दोनों तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं. इसलिए फिक्स पॉइंट लगाना संभव नहीं है. लेकिन पेट्रोलिंग पार्टियां लगातार यहां गश्त करती हैं. इन रेलिंग्स के पास अनावश्यक खड़े लोगों को वहां से हटाया भी जाता है. इसके साथ ही बढ़ते सुसाइड के मामलों को देखते हुए पुलिस इसे लेकर जनता के बीच जागरूकता फैलाने का काम भी कर रही है.

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को देश और दुनिया में झीलों का शहर नाम से जाना जाता है. यहां हर साल लाखों पर्यटक झीलों की सुंदरता निहारने आते हैं. लेकिन अफसोस की बात ये है कि, खूबसूरत शहर के ये तालाब अब बदनाम होते जा रहे हैं. क्योंकि यहां आए दिन सुसाइड के मामले सामने आ रहे हैं. पिछले 3 महीनों की ही बात करें तो इन तालाबों में कूदकर लगभग 20 लोग जान दे चुके हैं.

खूबसूरत झीलें सुसाइड पॉइंट में तब्दील

आइए नजर डालते हैं पिछले 4 साल के आंकड़ों पर:-

⦁ साल 2017 में कुल 68 लोगों ने तालाब में कूदकर आत्महत्या की. जिनमें में बड़े तालाब में 42, तो छोटे तालाब में 26 लोगों ने जान दी.

⦁ साल 2018 में कुल 93 लोगों ने आत्महत्या की. बड़े तालाब में 39, तो छोटे तालाब में 54 लोगों ने कूदकर जान दी.

⦁ साल 2019 में कुल 51 लोगों ने आत्महत्या की. जिनमें बड़े तालाब में 37, तो छोटे तालाब में 14 लोगों ने जान दी.

⦁ साल 2020 में सितंबर तक कुल 35 लोगों ने तालाब में कूदकर आत्महत्या की. बड़े तालाब में 21, तो छोटे तालाब में 14 लोगों ने जान दी.

बदनाम हो रहे भोपाल के तालाब

राजधानी में लगातार आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं. इनमें से कुछ मामलों के चलते कहीं न कहीं भोपाल की शान कहे जाने वाली झीलें भी बदनाम हो रही हैं. शहर के इन बड़े और छोटे तालाबों में लगातार आत्महत्या करने के मामले सामने आ रहे हैं. आलम ये है कि, पिछले 3 महीनों में ही यहां 20 लोगों ने कूदकर जान दे दी है. वहीं 18 लोग ऐसे भी हैं, जो तालाब में आत्महत्या करने के लिए कूदे थे, लेकिन गोताखोरों की मुस्तैदी से उनकी जान बच गई. कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन के बाद हुए अनलॉक, यानी कि जून-जुलाई और सितंबर में ही यहां कई मामले सामने आ चुके हैं. गोताखोरों की मानें तो हाल ही में लगातार तीन दिनों तक बड़े तालाब और शीतल दास की बगिया के पास से शव बरामद हुए हैं. पिछले कुछ दिनों में ही यहां 15 से 20 मामले देखने को मिले हैं. हालांकि इनमें से कुछ लोगों को गोताखोरों की मदद से बचा लिया गया है.

रेलिंग छोटी होने से छलांग लगा देते हैं लोग

भोपाल के कमला पार्क से लेकर खानूगांव और लालघाटी चौराहे तक बड़ा तालाब फैला हुआ है. यहां के कई हिस्से सुसाइड पॉइंट में तब्दील हो चुके हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि, लगातार सुसाइड केस सामने आने के बाद भी यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है. बड़े तालाब के किनारे बनी रेलिंग्स भी काफी छोटी हैं. जहां से आसानी से लोग तालाब में छलांग लगा लेते हैं. छोटे तालाब पर जरूर रेलिंग के ऊपर बड़ी जाली लगा दी गई है, लेकिन ये जाली केवल एक ही तरफ से लगाई गई है. छोटे तालाब की दूसरी तरफ जाली ही नहीं है, यहां पर भी छोटी रेलिंग लगी हुई है.

निगरानी के लिए कोई नहीं

पुलिस के जवान इन सुसाइड पॉइंट से नदारद रहते हैं. बड़े तालाब और छोटे तालाब की सीमाएं तीन थाना क्षेत्रों में हैं. जिनमें तलैया, कोहेफिजा और श्यामला हिल्स थाना शामिल है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, दोनों तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं. इसलिए फिक्स पॉइंट लगाना संभव नहीं है. लेकिन पेट्रोलिंग पार्टियां लगातार यहां गश्त करती हैं. इन रेलिंग्स के पास अनावश्यक खड़े लोगों को वहां से हटाया भी जाता है. इसके साथ ही बढ़ते सुसाइड के मामलों को देखते हुए पुलिस इसे लेकर जनता के बीच जागरूकता फैलाने का काम भी कर रही है.

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