ETV Bharat / state

भोपाल में भी है हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर कई हाॅल और स्टेडियम - Major Dhyan Chand Khel Ratna Award

शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हॉकी प्रेमियों को तोहफा देते हुए खेल के क्षेत्र के सबसे बड़े पुरस्‍कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है.सिर्फ पुरस्कार ही नहीं बल्कि कई जगहों के नाम भी उन्हें सम्मान देने के लिए रखे गए है.हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद नाम पर प्रदेश में ऐसे कई स्टेडियम है जो इनके नाम पर रखे गए है.

Many halls and stadium in the name of dhyan chand
हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर कई हाॅल और स्टेडियम
author img

By

Published : Aug 8, 2021, 3:01 PM IST

भोपाल(Bhopal)। मेजर ध्यानचंद (DHYANCHAND) के नाम पर अब खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. ऐसे में ध्यानचंद के नाम पर भोपाल में भी कई जगह है.भोपाल की इन्हीं जगह का जायजा ईटीवी भारत की टीम ने भी लिया और देखा कि उनके नाम पर आखिर भोपाल में क्या-क्या है.शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हॉकी प्रेमियों को तोहफा देते हुए खेल के क्षेत्र के सबसे बड़े पुरस्‍कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी थी.

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर कई हाॅल और स्टेडियम

भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में ध्यानचंद हॉल

हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर अब खेल रत्न अवॉर्ड हो गया है.इसको लेकर एक ओर जहां विवाद चल रहा है और लोग नाम को लेकर संशय उठा रहे हैं.तो दूसरी ओर हम आपको बताते हैं कि केवल मेजर ध्यानचंद के नाम पर अवार्ड ही नहीं है.बल्कि मध्यप्रदेश के साथ देशभर में कई ऐसी जगह पहले से ही उनके नाम से कई स्टेडियम है.एक समय हॉकी में अपना जलवा दिखाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में ध्यानचंद हॉल बनाया गया है. उनके नाम से जब से स्टेडियम बना है तभी से ही रखा गया है. जिसमें उस समय के ध्यानचंद की एक पेंटिंग भी लगाई गई है जिसमें वह खेलते हुए नजर आते हैं.

dhyan chand
ध्यानचंद की तस्वीर

2011 में बना था ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम

इधर भोपाल में 2011 में बने एक स्टेडियम का नाम ही ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम रखा गया है.सेकंड स्टॉप पर बने इस स्टेडियम में कभी मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक ध्यानचंद खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां सिखाते थे.अभी इस स्टेडियम का रिनोवेशन चल रहा है और नई टर्फ यहां लगाई जानी है.लेकिन इसी स्टेडियम से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियो ने निकलकर दुनिया भर में अपना नाम कमाया है.

Many halls and stadium in the name of dhyan chand
ध्यानचंद के नाम पर कई हाॅल और स्टेडियम

इधर भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में फिजिकल एजुकेशन विभाग का नाम भी ध्यानचंद के नाम पर रखा गया है तो मध्यप्रदेश के बैतूल में कैंसर का एक मिशन ही ध्यानचंद कैंसर मिशन के नाम पर जाना जाता है. तो यूपी के अयोध्या में एक ब्लड बैंक ही पूरी अशोक ध्यानचंद के नाम पर चल रहा है. वही राजस्थान में बुजुर्गों के लिए ओल्ड एज होम भी मेजर ध्यानचंद के नाम पर है.

boxing court
बॉक्सिग कोर्ट

जानिए ध्यानचंद के बारे में

ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज (तब के इलाहाबाद) में श्रद्धा सिंह और समेश्वर सिंह के यहां हुआ था. ध्यानचंद ब्रिटिश आर्मी में सैनिक थे और हॉकी में उनकी रुचि बचपन से ही थी. सिर्फ 16 साल की उम्र में वह ब्रिटिश सेना से जुड़ गए थे. 1922 से 1926 के बीच वह कई रेजिमेंट गेम्स और हॉकी टूर्नमेंट में खेलते रहे.

karate
कराटे

कैसा पड़ा ध्यानचंद नाम

ध्यानचंद को हॉकी से इतना लगाव था कि वह रात को ड्यूटी खत्म करने के बाद भी शाम को हॉकी खेलने जाते थे. इसी वजह से उनके नाम के आगे चंद (चांद) जुड़ गया.

कमलनाथ का वार : बाढ़ में सोती रही सरकार, सिर्फ घोषणावीर ना बनें शिवराज, बेघर लोगों को तुरंत पहुंचाएं मदद

प्रख्यात ध्यानचंद की उपलब्धियां

हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया और तीनों ही बार देश को गोल्ड मेडल दिलाया.

1936 को जर्मनी के साथ हुए मुकाबले में दिखाया था शानदार खेल

भारत ने 1936 के ओलंपिक हॉकी फाइनल में जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था.जिसमें ध्यानचंद ने अकेले 3 गोल किए थे.

भारत की इस जीत के बाद हिटलर हताश होकर और गुस्से में स्टेडियम छोड़ कर चला गया था.

शाम को हिटलर ने ध्यानचंद से जर्मनी की सेना में भर्ती होने का ऑफर दिया जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया था.

भोपाल(Bhopal)। मेजर ध्यानचंद (DHYANCHAND) के नाम पर अब खेल रत्न अवॉर्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है. ऐसे में ध्यानचंद के नाम पर भोपाल में भी कई जगह है.भोपाल की इन्हीं जगह का जायजा ईटीवी भारत की टीम ने भी लिया और देखा कि उनके नाम पर आखिर भोपाल में क्या-क्या है.शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हॉकी प्रेमियों को तोहफा देते हुए खेल के क्षेत्र के सबसे बड़े पुरस्‍कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी थी.

हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के नाम पर कई हाॅल और स्टेडियम

भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में ध्यानचंद हॉल

हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर अब खेल रत्न अवॉर्ड हो गया है.इसको लेकर एक ओर जहां विवाद चल रहा है और लोग नाम को लेकर संशय उठा रहे हैं.तो दूसरी ओर हम आपको बताते हैं कि केवल मेजर ध्यानचंद के नाम पर अवार्ड ही नहीं है.बल्कि मध्यप्रदेश के साथ देशभर में कई ऐसी जगह पहले से ही उनके नाम से कई स्टेडियम है.एक समय हॉकी में अपना जलवा दिखाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में ध्यानचंद हॉल बनाया गया है. उनके नाम से जब से स्टेडियम बना है तभी से ही रखा गया है. जिसमें उस समय के ध्यानचंद की एक पेंटिंग भी लगाई गई है जिसमें वह खेलते हुए नजर आते हैं.

dhyan chand
ध्यानचंद की तस्वीर

2011 में बना था ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम

इधर भोपाल में 2011 में बने एक स्टेडियम का नाम ही ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम रखा गया है.सेकंड स्टॉप पर बने इस स्टेडियम में कभी मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक ध्यानचंद खिलाड़ियों को खेल की बारीकियां सिखाते थे.अभी इस स्टेडियम का रिनोवेशन चल रहा है और नई टर्फ यहां लगाई जानी है.लेकिन इसी स्टेडियम से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियो ने निकलकर दुनिया भर में अपना नाम कमाया है.

Many halls and stadium in the name of dhyan chand
ध्यानचंद के नाम पर कई हाॅल और स्टेडियम

इधर भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में फिजिकल एजुकेशन विभाग का नाम भी ध्यानचंद के नाम पर रखा गया है तो मध्यप्रदेश के बैतूल में कैंसर का एक मिशन ही ध्यानचंद कैंसर मिशन के नाम पर जाना जाता है. तो यूपी के अयोध्या में एक ब्लड बैंक ही पूरी अशोक ध्यानचंद के नाम पर चल रहा है. वही राजस्थान में बुजुर्गों के लिए ओल्ड एज होम भी मेजर ध्यानचंद के नाम पर है.

boxing court
बॉक्सिग कोर्ट

जानिए ध्यानचंद के बारे में

ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज (तब के इलाहाबाद) में श्रद्धा सिंह और समेश्वर सिंह के यहां हुआ था. ध्यानचंद ब्रिटिश आर्मी में सैनिक थे और हॉकी में उनकी रुचि बचपन से ही थी. सिर्फ 16 साल की उम्र में वह ब्रिटिश सेना से जुड़ गए थे. 1922 से 1926 के बीच वह कई रेजिमेंट गेम्स और हॉकी टूर्नमेंट में खेलते रहे.

karate
कराटे

कैसा पड़ा ध्यानचंद नाम

ध्यानचंद को हॉकी से इतना लगाव था कि वह रात को ड्यूटी खत्म करने के बाद भी शाम को हॉकी खेलने जाते थे. इसी वजह से उनके नाम के आगे चंद (चांद) जुड़ गया.

कमलनाथ का वार : बाढ़ में सोती रही सरकार, सिर्फ घोषणावीर ना बनें शिवराज, बेघर लोगों को तुरंत पहुंचाएं मदद

प्रख्यात ध्यानचंद की उपलब्धियां

हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया और तीनों ही बार देश को गोल्ड मेडल दिलाया.

1936 को जर्मनी के साथ हुए मुकाबले में दिखाया था शानदार खेल

भारत ने 1936 के ओलंपिक हॉकी फाइनल में जर्मनी को 8-1 से हरा दिया था.जिसमें ध्यानचंद ने अकेले 3 गोल किए थे.

भारत की इस जीत के बाद हिटलर हताश होकर और गुस्से में स्टेडियम छोड़ कर चला गया था.

शाम को हिटलर ने ध्यानचंद से जर्मनी की सेना में भर्ती होने का ऑफर दिया जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.