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अब नियमित रूप से चलेगा बसों की जांच का अभियान, सीएम के आदेश के बाद परिवहन विभाग नींद से क्यों जागा... - inspection of buses

Transport department in action after Guna bus accident: गुना में दर्दनाक हादसे के बाद एक बार फिर परिवहन विभाग की नींद खुल गई है. सीएम की सख्ती के बाद अब बसों की जांच का अभियान नियमित रूप से चलाया जाएगा.Buses checked regularly

Transport department in action after Guna bus accident
सीएम के आदेश के बाद परिवहन विभाग नींद से जागा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 28, 2023, 5:06 PM IST

भोपाल। गुना में हुए दर्दनाक बस हादसे के बाद परिवहन विभाग और प्रशासन की नींद एक बार फिर खुल गई है. सीएम की सख्ती के बाद अब प्रदेश में एक बार फिर बसों की जांच का नियमित रूप से अभियान चलाया जाएगा.

बिना फिटनेस के दौड़ रही थी बस: दरअसल जो बस दुर्घटना का शिकार हुई है वह बिना बीमा और फिटनेस के दौड़ रही थी. बस की फिटनेस अवधि 17 फरवरी 2022 को खत्म हो गई थी और बीमा अवधि 30 अप्रैल 2021 को समाप्त हो चुकी है. इसका मतलब परिवहन विभाग व जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते बस की नियमित जांच नहीं होती है.

12 लोगों की चली गई जान: गुना बस हादसे में 12 से ज्यादा लोग जिंदा जल गए और 14 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जो आग लगने से झुलस गए थे. इन सभी का इलाज चल रहा है.

बसों की होगी अब नियमित जांच: सीएम की सख्ती के बाद परिवहन विभाग और प्रशासन के अधिकारियों की नींद एक बार फिर टूटी है. अब प्रदेश में फिर से बसों की जांच की जा रही है. राजधानी सहित पूरे प्रदेश में अब नियमित रूप से बसों की जांच का अभियान चलाया जा रहा है.

सीएम ने दिए जांच के आदेश: गुना हादसे पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि घटना में जो भी जिम्मेदार है उसे नहीं छोड़ेंगे. इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो इसके लिए प्रबंध करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा इस मामले में जांच के आदेश दिए जा चुके हैं. दुःख की इस घड़ी में पीड़ितों के साथ प्रदेश सरकार खड़ी है. प्रशासन इस तरह की घटनाओं को सख्ती से रोके इसके लिए आवश्यक प्रबंध करेंगे. सड़कों पर इस तरह के जो डेंजर जोन हैं उनको भी चिन्हित किया जाएगा और साथ ही उनमें सुधार भी किया जाएगा.

जांच को लेकर सवाल: प्रदेश में नियमित रूप से यात्री वाहनों की जांच को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रदेश में पूर्व में हुए बस हादसों के बाद भी इस तरह के अभियान चलाए गए हैं लेकिन जल्द ही इनकी इतिश्री हो जाती है. बस मालिकों पर भी कठोर कार्रवाई न होने का नतीजा है जो इस तरह के वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं. इस तरह के वाहन ग्रामीण अंचलों और छोटे कस्बो में ज्यादा चल रहे हैं जिनका फिटनेस और बीमा मालिकों द्वारा नहीं कराया जाता. जिसका खामियाजा ऐसी बसों में सफर करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है कारण उन्हें इन सभी की जानकारी नहीं होती है.

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भोपाल। गुना में हुए दर्दनाक बस हादसे के बाद परिवहन विभाग और प्रशासन की नींद एक बार फिर खुल गई है. सीएम की सख्ती के बाद अब प्रदेश में एक बार फिर बसों की जांच का नियमित रूप से अभियान चलाया जाएगा.

बिना फिटनेस के दौड़ रही थी बस: दरअसल जो बस दुर्घटना का शिकार हुई है वह बिना बीमा और फिटनेस के दौड़ रही थी. बस की फिटनेस अवधि 17 फरवरी 2022 को खत्म हो गई थी और बीमा अवधि 30 अप्रैल 2021 को समाप्त हो चुकी है. इसका मतलब परिवहन विभाग व जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते बस की नियमित जांच नहीं होती है.

12 लोगों की चली गई जान: गुना बस हादसे में 12 से ज्यादा लोग जिंदा जल गए और 14 लोग गंभीर रूप से घायल हैं जो आग लगने से झुलस गए थे. इन सभी का इलाज चल रहा है.

बसों की होगी अब नियमित जांच: सीएम की सख्ती के बाद परिवहन विभाग और प्रशासन के अधिकारियों की नींद एक बार फिर टूटी है. अब प्रदेश में फिर से बसों की जांच की जा रही है. राजधानी सहित पूरे प्रदेश में अब नियमित रूप से बसों की जांच का अभियान चलाया जा रहा है.

सीएम ने दिए जांच के आदेश: गुना हादसे पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि घटना में जो भी जिम्मेदार है उसे नहीं छोड़ेंगे. इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो इसके लिए प्रबंध करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा इस मामले में जांच के आदेश दिए जा चुके हैं. दुःख की इस घड़ी में पीड़ितों के साथ प्रदेश सरकार खड़ी है. प्रशासन इस तरह की घटनाओं को सख्ती से रोके इसके लिए आवश्यक प्रबंध करेंगे. सड़कों पर इस तरह के जो डेंजर जोन हैं उनको भी चिन्हित किया जाएगा और साथ ही उनमें सुधार भी किया जाएगा.

जांच को लेकर सवाल: प्रदेश में नियमित रूप से यात्री वाहनों की जांच को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. प्रदेश में पूर्व में हुए बस हादसों के बाद भी इस तरह के अभियान चलाए गए हैं लेकिन जल्द ही इनकी इतिश्री हो जाती है. बस मालिकों पर भी कठोर कार्रवाई न होने का नतीजा है जो इस तरह के वाहन धड़ल्ले से चल रहे हैं. इस तरह के वाहन ग्रामीण अंचलों और छोटे कस्बो में ज्यादा चल रहे हैं जिनका फिटनेस और बीमा मालिकों द्वारा नहीं कराया जाता. जिसका खामियाजा ऐसी बसों में सफर करने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ता है कारण उन्हें इन सभी की जानकारी नहीं होती है.

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