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भोपाल में निगरानी समिति ने किया गैस पीड़ित बस्तियों का निरीक्षण, लिया पानी का सैंपल

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Published : Jun 22, 2023, 9:34 PM IST

भोपाल में गैस पीड़ित बस्तियों में अभी भी कई लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई निगरानी समिति के सदस्यों ने यहां का निरीक्षण किया और पानी के सैंपल कलेक्ट किए. गैस पीड़ितों का कहना था कि वह आज भी इस प्रदूषित और जहरीले पानी को पीने के लिए मजबूर हैं.

gas affected area in bhopal inspection
भोपाल में गैस प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण

भोपाल। 1984 में हुए गैस रिसाव की वजह से राजधानी में अभी भी कई लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने एक टीम गठित की थी. इस टीम द्वारा यहां का निरीक्षण किया गया. निगरानी समिति के सदस्यों ने भोपाल के गैस पीड़ित बस्तियों का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने यहां के पानी का सैंपल कलेक्ट किया. गैस पीड़ितों ने बताया कि वह आज भी प्रदूषित और जहरीले पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. इसके कारण उन्हें कई बीमारियां हो सकती हैं.

gas affected area in bhopal inspection
भोपाल में गैस प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति ने किया निरिक्षण: 2 और 3 दिसंबर 1984 को मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे. कई साल बीत जाने के बाद भी यहां के लोग अभी भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. यहां पर रसायन अभी भी जमीन के नीचे मौजूद है, इस कारण यहां पानी प्रदूषित हो रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक समिति का गठन किया गया था. गुरुवार को यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे की वजह से भूजल प्रभावित 42 मोहल्लों में से निशातपुरा स्थित बृज विहार कालोनी का सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति ने निरिक्षण किया.

भूजल के सैंपल लिए: भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने यहां समिति के संज्ञान में लाया और बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 2012 और 2018 के स्पष्ट आदेशों के बाद भी यहां के रहवासियों को आज तक जहरीला भूजल पीने को मजबूर किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नगर निगम को घर-घर मुफ्त शुद्ध पेयजल के कनेक्शन देने के आदेश के बावजूद भी इस मोहल्ले में साफ पानी मुहैया नहीं कराया गया. मध्य प्रदेश जिला विधिक प्राधिकरण के संयुक्त सचिव मनोज सिंह ने भोपाल जिला विधिक प्रकरण के चेयरमैन को इस मोहल्ले का स्पॉट वेरिफिकेशन कर भूजल के सैंपल लेने के लिए आदेशित किया. गुरुवार को समिति के सदस्यों के समक्ष मध्य प्रदेश प्रदूषण नियन्त्र बोर्ड, लोक यांत्रिकी विभाग द्वारा इस मोहल्ले के 5 स्थानों से सैंपल लिए गए. ये काम चेयरमैन भोपाल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन के समक्ष हुआ.

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2 टंकियों से साफ पानी मुहैया करने का आदेश: इधर, मोहल्ले के लोगों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यहां के रहवासी जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. 15 परिवार जहरीले पानी की वजह से घर छोड़ कर जा चुके हैं, लगभग हर घर में बीमारी है. नगर निगम द्वारा यहां के लोगों को नल द्वारा साफ पानी मुहैया न कराना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. समिति के अध्यक्ष ने यहां के रहवासियों के लिए नगर निगम को 2 टंकियों से साफ पानी मुहैया कराने का आदेश दिया है.

कई टन कचरा से पानी प्रभावित: रचना ढींगरा का कहना है कि बार-बार निरीक्षण के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता. सरकार अभी तक इन गैस पीड़ितों को स्वच्छ पेयजल मुहैया नहीं करा पाई है. कई टन कचरा अभी भी यहां जमीन के अंदर मौजूद है, जिसका निष्पादन तक नहीं किया गया है. अगर उस कचरे का जल्द से जल्द निष्पादन नहीं किया जाता तो जो रसायन जमीन के अंदर मौजूद है उसके कारण यहां का पानी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी भी इस अभिशाप से मुक्त नहीं होगी.

भोपाल। 1984 में हुए गैस रिसाव की वजह से राजधानी में अभी भी कई लोग जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने एक टीम गठित की थी. इस टीम द्वारा यहां का निरीक्षण किया गया. निगरानी समिति के सदस्यों ने भोपाल के गैस पीड़ित बस्तियों का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने यहां के पानी का सैंपल कलेक्ट किया. गैस पीड़ितों ने बताया कि वह आज भी प्रदूषित और जहरीले पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. इसके कारण उन्हें कई बीमारियां हो सकती हैं.

gas affected area in bhopal inspection
भोपाल में गैस प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति ने किया निरिक्षण: 2 और 3 दिसंबर 1984 को मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिसमें हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे. कई साल बीत जाने के बाद भी यहां के लोग अभी भी दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. यहां पर रसायन अभी भी जमीन के नीचे मौजूद है, इस कारण यहां पानी प्रदूषित हो रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक समिति का गठन किया गया था. गुरुवार को यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे की वजह से भूजल प्रभावित 42 मोहल्लों में से निशातपुरा स्थित बृज विहार कालोनी का सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति ने निरिक्षण किया.

भूजल के सैंपल लिए: भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन की रचना ढिंगरा ने यहां समिति के संज्ञान में लाया और बताया कि सुप्रीम कोर्ट के 2012 और 2018 के स्पष्ट आदेशों के बाद भी यहां के रहवासियों को आज तक जहरीला भूजल पीने को मजबूर किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नगर निगम को घर-घर मुफ्त शुद्ध पेयजल के कनेक्शन देने के आदेश के बावजूद भी इस मोहल्ले में साफ पानी मुहैया नहीं कराया गया. मध्य प्रदेश जिला विधिक प्राधिकरण के संयुक्त सचिव मनोज सिंह ने भोपाल जिला विधिक प्रकरण के चेयरमैन को इस मोहल्ले का स्पॉट वेरिफिकेशन कर भूजल के सैंपल लेने के लिए आदेशित किया. गुरुवार को समिति के सदस्यों के समक्ष मध्य प्रदेश प्रदूषण नियन्त्र बोर्ड, लोक यांत्रिकी विभाग द्वारा इस मोहल्ले के 5 स्थानों से सैंपल लिए गए. ये काम चेयरमैन भोपाल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन के समक्ष हुआ.

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2 टंकियों से साफ पानी मुहैया करने का आदेश: इधर, मोहल्ले के लोगों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी यहां के रहवासी जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं. 15 परिवार जहरीले पानी की वजह से घर छोड़ कर जा चुके हैं, लगभग हर घर में बीमारी है. नगर निगम द्वारा यहां के लोगों को नल द्वारा साफ पानी मुहैया न कराना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है. समिति के अध्यक्ष ने यहां के रहवासियों के लिए नगर निगम को 2 टंकियों से साफ पानी मुहैया कराने का आदेश दिया है.

कई टन कचरा से पानी प्रभावित: रचना ढींगरा का कहना है कि बार-बार निरीक्षण के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता. सरकार अभी तक इन गैस पीड़ितों को स्वच्छ पेयजल मुहैया नहीं करा पाई है. कई टन कचरा अभी भी यहां जमीन के अंदर मौजूद है, जिसका निष्पादन तक नहीं किया गया है. अगर उस कचरे का जल्द से जल्द निष्पादन नहीं किया जाता तो जो रसायन जमीन के अंदर मौजूद है उसके कारण यहां का पानी प्रभावित हो रहा है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी भी इस अभिशाप से मुक्त नहीं होगी.

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