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Bhopal forgery: पुलिस की गिरफ्त में नटवरलाल, खुद को बताता था स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी, निजी अस्पताल के संचालकों को करता था ब्लैकमेल - खुद को बताता था स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी

मध्यप्रदेश प्रदेश की राजधानी भोपाल में पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग के नटवरलाल को पकड़ा है. वह प्राइवेट अस्पताल वालों को फर्जी शिकायतों के नाम पर धमकाकर पैसे ऐंठता था.

bhopal crime news forgery
पुलिस की गिरफ्त में नटवरलाल
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Published : Feb 13, 2023, 4:15 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में शाहपुरा थाने में फर्जीवाड़ा करने वाले नटवरलाल को पकड़ा गया है. पकड़ा गया आरोपी खुद को स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी बताकर निजी अस्पताल संचालकों से उनकी छवि खराब करने और लाइसेंस रद करने की धमकी देकर पैसों की मांग करता था. उसके खिलाफ एक अन्य मामला भोपाल के तलैया थाने में भी रजिस्टर्ड हुआ है. जिसमें आरोपी द्वारा एक निजी अस्पताल के संचालक को लाइसेंस रद करने का डर दिखाकर 60,000 ले लिए थे.

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ट्रूकॉलर में नटवरलाल का नंबर स्वास्थ्य विभाग शो करता थाः राजधानी भोपाल में शाहपुरा थाने में पकड़ा गया नटवरलाल जो नंबर प्रयोग करता है, उसपर कॉल करने पर ट्रूकॉलर में वह नंबर हेल्थ डिपार्टमेंट का शो करता है. पुलिस लगातार उसके मोबाइल की जांच करवा रही है. इसी बीच भोपाल के तलैया थाना क्षेत्र के जयश्री अस्पताल के संचालक डॉ. अशोक बेडकर ने भी थाने में आकर शिकायत दर्ज कराई है. 3 फरवरी को उक्त नंबर से उनके पास फोन आया था और उनसे भी यही कहा गया कि उनके अस्पताल के खिलाफ मरीज ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायतकर्ता द्वारा उनके अस्पताल के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं. यदि यह शिकायत ऊपर चली जाती है, तो उनके अस्पताल का लाइसेंस रद हो जाएगा. यदि वह शिकायत को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते तो तत्काल 500000 की व्यवस्था करें.

आरोपी से पूछताछ जारीः डॉक्टर अशोक ने तत्काल इतने पैसे होने की बात से इंकार कर दिया. इस पर आरोपी ने उन्हें तत्काल 60,000 अपने खाते में डालने के लिए कहा और डॉक्टर अशोक ने तत्काल उसके दिए हुए नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर दिए। शाहपुरा थाने से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है और उसने बड़ी चालाकी से सिम कार्ड खरीद कर ट्रूकॉलर में हेल्थ डिपार्टमेंट के नाम से अपना नंबर सेव कर लिया. बड़े ही आत्मविश्वास के साथ वह अस्पताल संचालकों को फोन करता था और उन्हें बातों से इतना प्रभावित कर लेता था कि वो लोग उसे पैसा देने के लिए तैयार हो जाते थे. पुलिस अब इस पूरे मामले में गहन विवेचना कर रही है. पुलिस का मानना है कि अभी आरोपी अन्य मामले स्वीकार नहीं कर रहा है हो सकता है कि उसके खाते की जांच से अन्य लोगों के साथ भी इस तरह की जालसाजी करने का मामला सामने आ सकता है.

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एसपी ट्रैफिक को भारी पड़ा पुलिसिया रौब

इंदौर में नहीं थम रहीं फर्जीवाड़ा की घटनाएं, अब कपास का नकली बीज पकड़ाया

एसपी ट्रैफिक को भारी पड़ा पुलिसिया रौबः एक अन्य खबर के अनुसार भोपाल ट्रैफिक एसीपी पराग खरे का होटल कारोबारी को धमकाते हुए वीडियो वायरल हुआ था. भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 6 स्थित बृजवासी भोजनालय के संचालक को धमकाते एवं अभद्रता करते हुए हुए सीसीटीवी में कैद हुए थे ट्रैफिक एसीपी. बताया जा रहा है कि होटल का किराया बढ़ाने को लेकर होटल संचालक को धमका रहे थे. उसके बाद होटल संचालक ने पुलिस कमिश्नर से की थी इस पूरे मामले की शिकायत. जिस पर उनके निलंबन की कार्यवाही की गई है. राजधानी भोपाल में भले ही पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई है परंतु अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यप्रणाली में बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है. अभी भी राजधानी में पदस्थ कई पुलिस वाले अपने पुराने पुलिसिया अंदाज को छोड़ने को तैयार नहीं है. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें ट्रैफिक एसीपी जोन 3 को एक व्यापारी को धमकाना और उसके साथ अभद्रता करना भारी पड़ गया.

भोपाल। राजधानी भोपाल में शाहपुरा थाने में फर्जीवाड़ा करने वाले नटवरलाल को पकड़ा गया है. पकड़ा गया आरोपी खुद को स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी बताकर निजी अस्पताल संचालकों से उनकी छवि खराब करने और लाइसेंस रद करने की धमकी देकर पैसों की मांग करता था. उसके खिलाफ एक अन्य मामला भोपाल के तलैया थाने में भी रजिस्टर्ड हुआ है. जिसमें आरोपी द्वारा एक निजी अस्पताल के संचालक को लाइसेंस रद करने का डर दिखाकर 60,000 ले लिए थे.

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आरोपी से पूछताछ जारीः डॉक्टर अशोक ने तत्काल इतने पैसे होने की बात से इंकार कर दिया. इस पर आरोपी ने उन्हें तत्काल 60,000 अपने खाते में डालने के लिए कहा और डॉक्टर अशोक ने तत्काल उसके दिए हुए नंबर पर पैसे ट्रांसफर कर दिए। शाहपुरा थाने से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है और उसने बड़ी चालाकी से सिम कार्ड खरीद कर ट्रूकॉलर में हेल्थ डिपार्टमेंट के नाम से अपना नंबर सेव कर लिया. बड़े ही आत्मविश्वास के साथ वह अस्पताल संचालकों को फोन करता था और उन्हें बातों से इतना प्रभावित कर लेता था कि वो लोग उसे पैसा देने के लिए तैयार हो जाते थे. पुलिस अब इस पूरे मामले में गहन विवेचना कर रही है. पुलिस का मानना है कि अभी आरोपी अन्य मामले स्वीकार नहीं कर रहा है हो सकता है कि उसके खाते की जांच से अन्य लोगों के साथ भी इस तरह की जालसाजी करने का मामला सामने आ सकता है.

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