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Bhopal फुटबॉल की प्रतिभाएं तो गांव में ही मिलेंगी, जाने क्यों इस खेल में पिछड़ा है भारत - शहरों में संसाधन और गांवों में मिलती हैं प्रतिभा

हर जगह या यूं कहें हर देश में फुटबॉल फीवर देखते बनता है. बड़ी टीमों के बीच में फुटबॉल में भारत का नामोनिशान नहीं है. यहां तक कि वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाइंग मैचों तक में भारत नाम नहीं आता. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या सिर्फ क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसमें भारतीय टीम का दबदबा है. फुटबॉल को वह मुकाम क्यों नहीं मिल पाता. जेपी सर के नाम से मशहूर राष्ट्रिय कोच जयप्रकाश जी का कहना है, इसके बहुत से कारण है. जिस वजह से फुटबॉल उस मुकाम पर नहीं है जहां क्रिकेट है.(Bhopal football talents found only in village)

bhopal football talents found only in village
फुटबॉल की प्रतिभाएं तो गांव में ही मिलेंगी
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Published : Nov 24, 2022, 12:56 PM IST

भोपाल। फुटबॉल का वर्ल्ड कप चल रहा है. जिसमें दुनिया भर से चुनिंदा 32 देशों की टीमें हिस्सा ले रही हैं. हर जगह इसकी दीवानगी देखते बनती है. लेकिन इन बड़ी टीमों के बीच में फुटबॉल में भारत का नामोनिशान नहीं है. यहां तक कि वर्ल्ड कप में भारत की टीम भी नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या सिर्फ क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसमें भारतीय टीम का दबदबा है और फुटबॉल को वह मुकाम क्यों नहीं मिल पाता. ऐसे में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय स्तर के कोच और Head coach of Madhya Pradesh Football Academy जयप्रकाश सिंह से बात की. जेपी सर के नाम से मशहूर जयप्रकाश जी का कहना है, इसके बहुत से कारण है. जिस वजह से फुटबॉल उस मुकाम पर नहीं है जहां क्रिकेट है. (know why India is backward in this game)

शहरों में संसाधन और गांवों में मिलती हैं प्रतिभा

शहरों में संसाधन और गांवों में मिलती हैं प्रतिभाः अधिकतर बच्चे और खिलाड़ी फुटबॉल मैदान पर तभी जुड़ पाते हैं जब तक फुटबॉल का वर्ल्ड कप या बड़ा टूर्नामेंट चलता है. उसके बाद इन बच्चों की कमी ग्राउंड के ऊपर भी साफ नजर आती है. हम प्रतिभाओं को शहरी स्तर पर ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं. जबकि गांव में अगर प्रतिभाओं को ढूंढ़ा जाए तो निश्चित है वह प्रतिभाएं मिलेंगी. जो फुटबॉल को बेहतर बना पाएंगे. इसका एक कारण यह भी है कि शहरों में तो फुटबॉल के लिए संसाधन मिल पाते हैं, गांव में वह संसाधन नहीं होते, लेकिन वहां प्रतिभाएं होती हैं. अगर गांव तक भी संसाधन पहुंचे तो वह खिलाड़ी भी निकल कर सामने आएंगे जो भारत का नाम फुटबॉल में रोशन कर सकते हैं. (Resources in cities and talents in villages)

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क्रिकेट को दोष देना ठीक नहींः कोच से जब यह पूछा गया क्या क्रिकेट के कारण फुटबॉल पीछे रह गया है. तो उनका कहना था कि क्रिकेट को इतना दोष नहीं देना चाहिए. फुटबॉल में भी कहीं ना कहीं कमी नजर आती है. हम लोग फुटबॉल को उतना समय नहीं दे पाते जितनी आवश्यकता होती है. फुटबॉल में चेहरे नहीं है, जो क्रिकेट में होते हैं. क्रिकेट में बड़े नाम होते हैं सुनील गावस्कर हो, कपिल देव, सचिन या विराट कोहली. हर माता-पिता उन्हीं की तरह बच्चों को बनाना चाहता है. लेकिन फुटबॉल में ऐसे चेहरे नहीं है.एक समय जब फुटबॉल खिलाड़ियों का अच्छा समय रहता है तो उन्हें लोग जानते हैं. खिलाड़ियों का दौर बदलता है, और नए खिलाड़ी नहीं आते. तब जैसे ही उनका दौर खत्म होता है फिर हमारी फुटबॉल गिरकर वहीं आ जाती है. (It is not right to blame cricket)

भोपाल। फुटबॉल का वर्ल्ड कप चल रहा है. जिसमें दुनिया भर से चुनिंदा 32 देशों की टीमें हिस्सा ले रही हैं. हर जगह इसकी दीवानगी देखते बनती है. लेकिन इन बड़ी टीमों के बीच में फुटबॉल में भारत का नामोनिशान नहीं है. यहां तक कि वर्ल्ड कप में भारत की टीम भी नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या सिर्फ क्रिकेट ही एक ऐसा खेल है, जिसमें भारतीय टीम का दबदबा है और फुटबॉल को वह मुकाम क्यों नहीं मिल पाता. ऐसे में ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय स्तर के कोच और Head coach of Madhya Pradesh Football Academy जयप्रकाश सिंह से बात की. जेपी सर के नाम से मशहूर जयप्रकाश जी का कहना है, इसके बहुत से कारण है. जिस वजह से फुटबॉल उस मुकाम पर नहीं है जहां क्रिकेट है. (know why India is backward in this game)

शहरों में संसाधन और गांवों में मिलती हैं प्रतिभा

शहरों में संसाधन और गांवों में मिलती हैं प्रतिभाः अधिकतर बच्चे और खिलाड़ी फुटबॉल मैदान पर तभी जुड़ पाते हैं जब तक फुटबॉल का वर्ल्ड कप या बड़ा टूर्नामेंट चलता है. उसके बाद इन बच्चों की कमी ग्राउंड के ऊपर भी साफ नजर आती है. हम प्रतिभाओं को शहरी स्तर पर ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं. जबकि गांव में अगर प्रतिभाओं को ढूंढ़ा जाए तो निश्चित है वह प्रतिभाएं मिलेंगी. जो फुटबॉल को बेहतर बना पाएंगे. इसका एक कारण यह भी है कि शहरों में तो फुटबॉल के लिए संसाधन मिल पाते हैं, गांव में वह संसाधन नहीं होते, लेकिन वहां प्रतिभाएं होती हैं. अगर गांव तक भी संसाधन पहुंचे तो वह खिलाड़ी भी निकल कर सामने आएंगे जो भारत का नाम फुटबॉल में रोशन कर सकते हैं. (Resources in cities and talents in villages)

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क्रिकेट को दोष देना ठीक नहींः कोच से जब यह पूछा गया क्या क्रिकेट के कारण फुटबॉल पीछे रह गया है. तो उनका कहना था कि क्रिकेट को इतना दोष नहीं देना चाहिए. फुटबॉल में भी कहीं ना कहीं कमी नजर आती है. हम लोग फुटबॉल को उतना समय नहीं दे पाते जितनी आवश्यकता होती है. फुटबॉल में चेहरे नहीं है, जो क्रिकेट में होते हैं. क्रिकेट में बड़े नाम होते हैं सुनील गावस्कर हो, कपिल देव, सचिन या विराट कोहली. हर माता-पिता उन्हीं की तरह बच्चों को बनाना चाहता है. लेकिन फुटबॉल में ऐसे चेहरे नहीं है.एक समय जब फुटबॉल खिलाड़ियों का अच्छा समय रहता है तो उन्हें लोग जानते हैं. खिलाड़ियों का दौर बदलता है, और नए खिलाड़ी नहीं आते. तब जैसे ही उनका दौर खत्म होता है फिर हमारी फुटबॉल गिरकर वहीं आ जाती है. (It is not right to blame cricket)

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