भोपाल। मध्यप्रदेश के किसानों को सरकार सिर्फ 15 हजार रुपए में पायलट बनाने की तैयारी कर रही है, लेकिन यह पायलट हवाई जहाज के नहीं, बल्कि ड्रोन के होंगे. इसके लिए कृषि विभाग प्रदेश का पहला पायलट ट्रेनिंग स्कूल भोपाल में खोलने जा रही है (MP first Drone Pilot Training). ट्रेनिंग के लिए विभाग को देश की 2 संस्थाओं के प्रस्ताव मिले हैं, जिस पर इस माह के अंत तक अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा. ट्रेनिंग के बाद किसान अपने खेतों में ड्रोन की मदद से दवाओं और खाद का छिड़काव कर सकेंगे. साथ ही इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाकर अपनी आय भी बढ़ा सकेंगे. सरकार इसके लिए 70 फीसदी तक अलग से अनुदान भी दे रही है.
विभाग को दो संस्थाओं से मिले प्रस्ताव: केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई ड्रोन नीति में ड्रोन का उपयोग खेती में करने की अनुमति दी है. इसके बाद मध्यप्रदेश के किसानों को ड्रोन की ट्रेनिंग दिलाने के लिए कृषि विभाग प्रदेश का पहला ड्रोन ट्रेनिंग स्कूल भोपाल में खोलने जा रही है. कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय को ड्रोन स्कूल के लिए इंदिरा गांधी नेशनल उड़ान एकादमी, अमेठी और अन्ना यूनिवर्सिटी चेन्नई से प्रस्ताव मिले हैं. इन दोनों प्रस्तावों पर इस माह के अंत तक फैसला कर लिया जाएगा. इसके संचालक राजीव चौधरी के मुताबिक दोनों संस्थाओं से मिले प्रस्ताव में प्रति किसान 30 हजार रुपए ट्रेनिंग का खर्च बताया गया है. इसमें से 50 फीसदी सरकार किसान को अनुदान देगी. उनका कहना है कि ''ड्रोन को उड़ाने के लिए पायलट का लाइसेंस लेना जरूरी है. आमतौर पर देश के किसी संस्थान से ट्रेनिंग का खर्चा करीबन 1 लाख तक जाता है''.
ट्रेनिंग लेकर कर सकते हैं उपयोग: कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने इसके लिए भोपाल और जबलपुर दोनों स्थानों पर जमीन देखी थी, लेकिन बाद में इसे भोपाल में ही खोलने का निर्णय लिया गया. उधर ट्रेनिंग स्कूल के लिए जरूरी उपकरणों और ड्रोन की खरीदी के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं. जल्द ही इसकी खरीदी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. संचालक राजीव चौधरी कहते हैं कि ''आमतौर पर किसान मैन्युअली खेतों में दवाओं का छिड़काव करते हैं, जिससे किसान को शारीरिक नुकसान तो पहुंचता ही है साथ ही फसलों पर पूरी तरह से दवाओं का छिड़काव नहीं हो पाता. पायलट ट्रेनिंग के बाद किसान स्वरोजगार के रूप में भी इससे लाभ ले सकता हैं''.
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ड्रोन खरीदने पर 70 फीसदी तक का अनुदान: ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग के अलावा सरकार ड्रोन खरीदने पर 70 फीसदी तक का अनुदान भी दे रही है. कस्टम हायरिंग केंद्रों और एफपीओ यानी कृषक उत्पादक कंपनी द्वारा ड्रोन खरीदने पर ये अनुदान दिया जा रहा है. इसके अलावा अगर लघु सीमांत किसान और अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के किसान ड्रोन खरीदते हैं तो उन्हें 50 फीसदी अनुदान और अन्य वर्ग के किसानों को 40 फीसदी तक का अनुदान सरकार दे रही है.
क्या कहते हैं विशेषक: किसानों के खेतों में दवा और खाद के छिड़काव के लिए बेंगलुरु की ड्रोन कंपनी प्रदेश की दवा कंपनियों को ड्रोन उपलब्ध करा रही है. ताकि किसानों को दवा छिड़काव के लिए रेंटल सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. कंपनी के एमपी हेड अभिषेक सेना गुप्ता बताते हैं कि, ड्रोन से दवा का छिड़काव बेहद आसान होता है. सिर्फ 6 मिनिट में एक एकड़ दवा का छिड़काव हो जाता है. ड्रोन सबसे पहले पूरे खेत की मैपिंग करता है और उसके बाद एक तरफ से छिड़काव करना शुरू कर देता है. इससे छिड़काव का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि कम समय में, कम लागत में और कम दवा में ज्यादा असर होता है.