भोपाल। मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव के मतदान के पहले चुनाव आयोग ने सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने की अनुमति नहीं दी है. अब इस मामले में नई सरकार की गठन के बाद ही कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है. दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धनतेरस के दिन कर्मचारियों को चार पीस दी महंगाई भत्ता दिए जाने को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखा था और अनुरोध किया था कि प्रदेश के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिए जाने की अनुमति दी जाए.
नई सरकार के गठन तक इंतजार: लेकिन चुनाव आयोग ने फिलहाल महंगाई भत्ता दिए जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि आयोग द्वारा महंगाई भत्ता क्या आदेश न दिए जाने से प्रदेश के करीब 7 लाख कर्मचारी प्रभावित हुए हैं. इसके अलावा साढे 4 लाख रिटायर्ड कर्मचारियों को भी निराशा हाथ लगी है. अब चुनाव का रिजल्ट आने और नई सरकार बनने तक कर्मचारियों को इंतजार करना होगा.
Also Read: |
अभी मिल रहा 42 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता: महंगाई भत्ते को लेकर कर्मचारी संगठनों द्वारा लगातार मांग की जा रही थी. धनतेरस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी थी कि उन्होंने चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन अब अनुमति न मिलने से कर्मचारियों को जुलाई 2023 से मिलने वाला महंगाई भत्ता और महंगाई राहत के लिए चुनाव परिणाम तक का इंतजार करना होगा. बता दें कि केंद्र सरकार ने जुलाई 2023 से कर्मचारियों का महंगाई भत्ता चार फीसदी बढ़ाकर 46 फीसदी करने का ऐलान कर दिया है था. अभी मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को 42 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है.