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राइटर रूमी जाफरी का बयान, हिंदी और उर्दू दोनों मोहब्बत से रही, कुछ सालों से अलग करने की हो रही कोशिश

हिंदी और उर्दू दोनों मोहब्बत से रही... कुछ सालों से इन्हें अलग करने की कोशिश हो रही है. यह बात राइटर डायरेक्टर रूमी जाफरी ने कहा. दरअसल रूमी जाफरी भोपाल में श्याम मुंशी की याद में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे. इस दौरान उन्होंने उर्दू और हिंदी दोनों को बहन और मौसी करार दिया है.

director rumi jafri in bhopal
भोपाल में डायरेक्टर रूमी जाफरी
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Published : May 21, 2023, 6:24 PM IST

Updated : May 21, 2023, 7:17 PM IST

डायरेक्टर रूमी जाफरी ने कहा हिंदू मुसलमानों की लैंग्वेज नहीं हिंदी उर्दू

भोपाल। इतिहासकार और साहित्यकार श्याम मुंशी की स्मृति में 'मेरा भोपाल बकौल श्याम मुंशी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें शामिल होने के लिए फिल्म राइटर व डायरेक्टर रूमी जाफरी गायक हरिहरन के साथ भोपाल पहुंचे थे. इस दौरान फिल्म डायरेक्टर रूमी जाफरी ने धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों पर निशाना साधा है. रूमी जाफरी ने भाषा को भी धर्म से जोड़कर बटवारा करने वालों पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि "न हिंदी हिंदुओं की लैंग्वेज है, न उर्दू मुसलमानों की."

हिंदू-मुसलमानों की लैंग्वेज नहीं हिंदी-उर्दू: रूमी जाफरी से जब पूछा गया कि आज के समय में हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं को धर्म से जोड़कर भी देखा जाता है. इस पर उन्होंने कहा कि "आजादी के बाद ऐसा माहौल बन गया की उर्दू मुसलमानों की भाषा है और सनातन में संस्कृत भाषा हिंदुओं की है. यह दोनों ही मोहब्बत के साथ रही, लेकिन कुछ सालों से इन्हें अलग करने की कोशिश की जा रही है, जो कामयाब नहीं होगी. यह दोनों भाषा एक दूसरे में इस तरह से घुलमिल गई है की ये अलग हो नहीं सकती. जैसे पानी या कॉफी में अगर दूध मिल जाता है तो उसे चाह कर भी आप अलग नहीं कर सकते हैं. वैसे ही ये दोनों भाषाओं के साथ भी ऐसा ही है. किसी भी रिलीजन की जुबान वह होती है, जिसमें उसके धार्मिक ग्रंथ होते हैं. इसलिए मैं कहता हूं कि न हिंदी हिंदुओं की, न उर्दू मुसलमानों की लैंग्वेज है. यह तो हिंदुस्तान की लैंग्वेज है."

  1. इस पुस्तकालय में मौजूद हैं हिंदू धर्म ग्रंथों की उर्दू में लिखीं किताबें
  2. उर्दू के लिए हिंदू लड़की का असीम प्यार, लोग बोले बन जाओगी मुसलमान

उर्दू के बिना गजल नहीं: उर्दू भाषा को लेकर गायक हरिहरन ने कहा कि "वह गजल गाते हैं. गजलों में जो भाषा उपयोग होती है, वह अधिकतर उर्दू ही होते हैं. ऐसे में अगर वह उर्दू शब्दों का उपयोग बंद कर देंगे तो उनका तो करियर ही खत्म हो जाएगा. इसी वजह से दोनों भाषाओं का समावेश जरूरी है." हरिहरन ने बताया कि "श्याम मुंशी उनके बहुत अच्छे दोस्तों में से एक थे. साहित्यकार श्याम मुंशी का उर्दू और फारसी लैंग्वेज पर बेहद अच्छी पकड़ थी. कई बार जब उनसे बात होती थी तो कई ऐसी रचनाएं निकल कर सामने आती थी जो दिल को छू जाती थी. श्याम मुंशी के साथ मिलने के लिए वह जब भोपाल आते थे तो अक्सर उनके घर की छत पर बैठकर कई बार चाय पर चर्चा भी होती थी. साथ ही उनके कई दोस्त भी होते थे. इस दौरान गजलें हुआ करती थी." हरिहरन ने कहा कि आने वाले समय में वह कुछ एल्बम के प्रोजेक्ट पर काम करने वाले हैं. वह अपने बेटे के साथ इन एल्बम के माध्यम से जल्द ही संगीत प्रेमियों के बीच आएंगे.

श्याम मुंशी की याद में कार्यक्रम का आयोजन: बता दें कि श्याम मुंशी की 27 अप्रैल 2021 में कोरोना के दौरान 48 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी. इनकी याद में 'मेरा भोपाल बकौल श्याम मुंशी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें हिस्सा लेने के लिए उनके करीबी दोस्तों को बुलाया गया था. इसमें हरिहरन और रूमी जाफरी भी शामिल हुए.

डायरेक्टर रूमी जाफरी ने कहा हिंदू मुसलमानों की लैंग्वेज नहीं हिंदी उर्दू

भोपाल। इतिहासकार और साहित्यकार श्याम मुंशी की स्मृति में 'मेरा भोपाल बकौल श्याम मुंशी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसमें शामिल होने के लिए फिल्म राइटर व डायरेक्टर रूमी जाफरी गायक हरिहरन के साथ भोपाल पहुंचे थे. इस दौरान फिल्म डायरेक्टर रूमी जाफरी ने धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों पर निशाना साधा है. रूमी जाफरी ने भाषा को भी धर्म से जोड़कर बटवारा करने वालों पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि "न हिंदी हिंदुओं की लैंग्वेज है, न उर्दू मुसलमानों की."

हिंदू-मुसलमानों की लैंग्वेज नहीं हिंदी-उर्दू: रूमी जाफरी से जब पूछा गया कि आज के समय में हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं को धर्म से जोड़कर भी देखा जाता है. इस पर उन्होंने कहा कि "आजादी के बाद ऐसा माहौल बन गया की उर्दू मुसलमानों की भाषा है और सनातन में संस्कृत भाषा हिंदुओं की है. यह दोनों ही मोहब्बत के साथ रही, लेकिन कुछ सालों से इन्हें अलग करने की कोशिश की जा रही है, जो कामयाब नहीं होगी. यह दोनों भाषा एक दूसरे में इस तरह से घुलमिल गई है की ये अलग हो नहीं सकती. जैसे पानी या कॉफी में अगर दूध मिल जाता है तो उसे चाह कर भी आप अलग नहीं कर सकते हैं. वैसे ही ये दोनों भाषाओं के साथ भी ऐसा ही है. किसी भी रिलीजन की जुबान वह होती है, जिसमें उसके धार्मिक ग्रंथ होते हैं. इसलिए मैं कहता हूं कि न हिंदी हिंदुओं की, न उर्दू मुसलमानों की लैंग्वेज है. यह तो हिंदुस्तान की लैंग्वेज है."

  1. इस पुस्तकालय में मौजूद हैं हिंदू धर्म ग्रंथों की उर्दू में लिखीं किताबें
  2. उर्दू के लिए हिंदू लड़की का असीम प्यार, लोग बोले बन जाओगी मुसलमान

उर्दू के बिना गजल नहीं: उर्दू भाषा को लेकर गायक हरिहरन ने कहा कि "वह गजल गाते हैं. गजलों में जो भाषा उपयोग होती है, वह अधिकतर उर्दू ही होते हैं. ऐसे में अगर वह उर्दू शब्दों का उपयोग बंद कर देंगे तो उनका तो करियर ही खत्म हो जाएगा. इसी वजह से दोनों भाषाओं का समावेश जरूरी है." हरिहरन ने बताया कि "श्याम मुंशी उनके बहुत अच्छे दोस्तों में से एक थे. साहित्यकार श्याम मुंशी का उर्दू और फारसी लैंग्वेज पर बेहद अच्छी पकड़ थी. कई बार जब उनसे बात होती थी तो कई ऐसी रचनाएं निकल कर सामने आती थी जो दिल को छू जाती थी. श्याम मुंशी के साथ मिलने के लिए वह जब भोपाल आते थे तो अक्सर उनके घर की छत पर बैठकर कई बार चाय पर चर्चा भी होती थी. साथ ही उनके कई दोस्त भी होते थे. इस दौरान गजलें हुआ करती थी." हरिहरन ने कहा कि आने वाले समय में वह कुछ एल्बम के प्रोजेक्ट पर काम करने वाले हैं. वह अपने बेटे के साथ इन एल्बम के माध्यम से जल्द ही संगीत प्रेमियों के बीच आएंगे.

श्याम मुंशी की याद में कार्यक्रम का आयोजन: बता दें कि श्याम मुंशी की 27 अप्रैल 2021 में कोरोना के दौरान 48 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी. इनकी याद में 'मेरा भोपाल बकौल श्याम मुंशी' कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें हिस्सा लेने के लिए उनके करीबी दोस्तों को बुलाया गया था. इसमें हरिहरन और रूमी जाफरी भी शामिल हुए.

Last Updated : May 21, 2023, 7:17 PM IST
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