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नेता प्रतिपक्ष का फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा, विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास

Congress Legislature Party Meeting: नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस विधायक दल की बैठक संपन्न हुई. कांग्रेस विधायकों ने आसपी सहमति से नेता प्रतिपक्ष का फैसला आलाकमान पर छोड़ दिया है.

Congress legislature party meeting in Bhopal
नेता प्रतिपक्ष का फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 14, 2023, 3:25 PM IST

Updated : Dec 14, 2023, 3:50 PM IST

नेता प्रतिपक्ष को लेकर बोले उमंग सिंगार

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन का फैसला कांग्रेस विधायकों ने पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है. कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर दिल्ली पार्टी कार्यालय भेज दिया है. विधायक दल की बैठक में प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और राज्यसभा सांसद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मौजूद थे. बैठक में कांग्रेस विधायक ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी आलाकमान जो फैसला करेगा वह सभी को मंजूर होगा.

दिल्ली नाम तय कर जारी करेगा आदेश: मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तय करने के लिए कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में विधायकों की बैठक बुलाई गई. बैठक में फैसला किया गया कि नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी जो फैसला करेगी वह सभी को मंजूर होगा. इसके बाद सभी विधायकों ने एक मत से एक लाइन का प्रस्ताव पास कर दिल्ली भेज दिया. अब जल्द ही कांग्रेस के टॉप लीडर्स मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष का नाम तय कर जल्द ही आदेश जारी करेंगे. मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 18 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है. यह सत्र पांच दिनों तक चलेगा. विधानसभा सत्र की शुरुआत के पहले नेता प्रतिपक्ष के नाम का फैसला हो जाएगा.

सदन में विपक्ष की धार बनाए रखना चुनौती: माना जा रहा है कि कांग्रेस ऐसे विधायक को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंप सकती है जो विधानसभा में विपक्षी पार्टी की धार को बनाए रख सके. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के सिर्फ 66 विधायक ही जीत कर आ सके हैं. नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रहे. इसके अलावा सदन में सत्ता पक्ष पर लगातार हमले करने वाले पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, सज्जन वर्मा, तरुण भनोट, विधायक कुणाल चौधरी जैसे कई युवा चेहरे अपनी जमीन नहीं बचा सके.

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यह बन सकते हैं नेता प्रतिपक्ष: कांग्रेस के सामने विधानसभा में बड़ी चुनौती अपने तीखे तेवर को बनाए रखना होगी. अनुभव के हिसाब से नेता प्रतिपक्ष का फैसला लिया गया तो पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को एक बार फिर विपक्ष के नेता की कमान सौंप जा सकती है. रामनिवास रावत भी संसदीय कार्य विधि के अच्छे जानकार हैं, वह मुख्य सचेतक भी रहे हैं. इसलिए नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में वह भी मजबूत दावेदार हैं. इसके अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष रहे वाला बच्चन और युवा नेता उमंग सिंगार को भी नेता प्रतिपक्ष बनाए जा सकता है.

नेता प्रतिपक्ष को लेकर बोले उमंग सिंगार

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन का फैसला कांग्रेस विधायकों ने पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है. कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित कर दिल्ली पार्टी कार्यालय भेज दिया है. विधायक दल की बैठक में प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और राज्यसभा सांसद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मौजूद थे. बैठक में कांग्रेस विधायक ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी आलाकमान जो फैसला करेगा वह सभी को मंजूर होगा.

दिल्ली नाम तय कर जारी करेगा आदेश: मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तय करने के लिए कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में विधायकों की बैठक बुलाई गई. बैठक में फैसला किया गया कि नेता प्रतिपक्ष को लेकर पार्टी जो फैसला करेगी वह सभी को मंजूर होगा. इसके बाद सभी विधायकों ने एक मत से एक लाइन का प्रस्ताव पास कर दिल्ली भेज दिया. अब जल्द ही कांग्रेस के टॉप लीडर्स मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष का नाम तय कर जल्द ही आदेश जारी करेंगे. मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र 18 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है. यह सत्र पांच दिनों तक चलेगा. विधानसभा सत्र की शुरुआत के पहले नेता प्रतिपक्ष के नाम का फैसला हो जाएगा.

सदन में विपक्ष की धार बनाए रखना चुनौती: माना जा रहा है कि कांग्रेस ऐसे विधायक को नेता प्रतिपक्ष की कमान सौंप सकती है जो विधानसभा में विपक्षी पार्टी की धार को बनाए रख सके. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के सिर्फ 66 विधायक ही जीत कर आ सके हैं. नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं रहे. इसके अलावा सदन में सत्ता पक्ष पर लगातार हमले करने वाले पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, सज्जन वर्मा, तरुण भनोट, विधायक कुणाल चौधरी जैसे कई युवा चेहरे अपनी जमीन नहीं बचा सके.

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Last Updated : Dec 14, 2023, 3:50 PM IST
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