भोपाल। सहकारिता समितियों के कर्मियों के घेराव की न तो इंटेलिजेंस और न ही प्रशासन को भनक लगी. पैक्स कर्मचारियों ने भोपाल आकर सीएम निवास का घेराव कर लिया. इस प्रदर्शन में इंटेलिजेंस फेल्योर और पुलिस तंत्र की नाकामी सामने आई है. पुलिस और प्रशासन को जब पता चला तब तक हजारों की संख्या में सहकारिता कर्मी CM निवास तक पहुंच गए. आनन-फानन में भारी पुलिस बल को बुलाया गया और आंदोलन कर रहे सहकारी कर्मियों को सीएम निवास से थोड़ी दूर रविंद्र भवन के पास पहुंचाया गया. सहकारी कर्मचारी के नेता अशोक मिश्र का कहना कि "'हम लोग सरकारी अनाज के साथ भंडारण और सहकारी समितियों में खाद्यान बांटने का काम करते हैं. हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हमारा आंदोलन और उग्र होगा.''
क्या है इनकी मांगे: सहकारिता कर्मियों की पहली मांग वेतन विसंगति को दूर करने की है. दूसरी, बैंक कर्मियों को जिस तरह से सेवा नियमों के तहत भर्ती किया जाता है, उसी तहत सहकारी कर्मियों को भी भर्ती किया जाए. उन्होंने सेवा नियमों में बदलाव की मांग की है. कर्मियों का कहना है कि ''60% पद की भर्ती समितियों से की जाएं और 40% बाहर के लोगों को लिया जाए. अभी प्रबंधक को 8000 प्रति माह, सेल्समैन को 6000, कंप्यूटर ऑपरेटर को 3000 मिलते हैं, इनकी मांग है कि इनको बढ़ाया जाए.''
मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे कर्मचारी: बता दें कि पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समितियां) सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारी सालों से मांगे करते आए हैं. मांगों पर किसी तरह की सहमति नहीं मिलने से नाराज कर्मीं सड़कों पर उतर आए. शुक्रवार को यह कर्मचारी सीएम हाउस का घेराव करने पहुंच गए. लोगों के अचानक सीएम हाउस पहुंचने की खबर से पुलिस सक्रिय हुई और इन्हें बैरिकेडिंग कर पॉलिटेक्निक चौराहे पर रोक दिया गया.
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जारी वेतनमान तत्काल लागू करने की मांग: दरसअल सहकारी संस्थाओं के कर्मचारी शासन की अहम योजनाओं का क्रियान्वयन धरातल पर लाने का काम करते हैं. जैसे खाद्यान वितरण, गेहूं, चना, मसूर, सरसों, मूंग, धान, बाजरा, आदि उपार्जन ऋण वितरण वसूली आदि कार्य आम नागरिकों और किसानों के हित में शासन के निर्देशों का पालन करते है. कर्मचारियों की मांग है कि पैक्स सहकारी संस्थाओं में कार्यरत प्रभारी प्रबंधक/सहायक प्रबंधक, लिपिक, केशियर, विक्रेता, कनिष्ठ विक्रेता कम्यूटर आपरेटर, भृत्य, चौकीदार, तुलैया आदि कर्मचारियों का वर्ष 2019 में जारी सेवा नियम आदेश से लाभ का बिन्दु हटाकर जारी वेतनमान तत्काल लागू किया जाए. वर्ष 2021 में जारी शासन की कमेटी की रिपोर्ट का पालन किया जाए.
उग्र आंदोलन की दी चेतावनी: इसके अलावा कर्मचारियों की मांग है कि प्राइवेट उपभोक्ता भण्डार, स्वसहायता समूह, वन समिति आदि को 200 प्रति क्विंटल, कमीशन एवं 2 किलो प्रति क्विंटल सोर्टेज दिए जाने के आदेश जारी किये जाएं. इन मांगों का निराकरण आंदोलन के बाद भी नहीं किया जाता है तो आगे की रणनीति के तहत 8 अप्रैल से 22 अप्रैल तक सभी कर्मचारी काली पट्टी बांधकर कार्य करते हुए शासन का विरोध करेंगे.