भोपाल। मध्य प्रदेश में मोहन कैबिनेट 21 दिसंबर की शाम को बन सकती है. मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल के विस्तार की राजभवन में तैयारियां हो गई हैं. बता दें कि रविवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, कैलाश विजयवर्गीय सहित प्रदेश के दिग्गज नेताओं की जेपी नड्डा के घर बैठक हुई थी, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे. बैठक में करीब तीन दर्जन नामों पर चर्चा हुई, जिसमें कई नामों पर सहमति बनी है. इसमें नए चेहरे के साथ ही पुराने चेहरों पर भी चर्चा हुई.
पहली बार में 18 से 20 मंत्री ले सकते हैं शपथ: मंगलवार शाम को मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल की स्थिति साफ हो जाएगी. माना जा रहा है कि पहली बार में 18 से 20 मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है. प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह, रीति पाठक, संपत्तिया उईके के नाम मंत्रियों की लिस्ट में सबसे आगे चल रहे हैं. इसके अलावा रमेश मेंदोला, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत, विष्णु खत्री, भगवान दास सबनानी या अशोक रोहाणी, हेमंत खंडेलवाल, निर्मला भूरिया, प्रदीप लारिया और संजय पाठक के नाम भी मंत्रियों की लिस्ट में शामिल हैं. वहीं कई नाम हैं जिन पर एक दौर की चर्चा बाकी है. इनमें भूपेंद्र सिंह, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह, विश्वास सारंग, रामेश्वर शर्मा, शैलेंद्र जैन या अनिल जैन, जय सिंह मरावी शामिल हैं.
तीन बार के मंत्रियों को लेकर फंसा पेंच: गोपाल भार्गव, विजय शाह, जयंत मलैया, अर्चना चिटनिस, मीना सिंह, अजय विश्नोई को लेकर पेंच फंसा हुआ है.
केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद आखिरी फैसला: सूत्रों की माने तो कैबिनेट के गठन पर अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा करने के बाद ही लगेगी और जल्द ही इसे पूरा करने की कोशिश होगी. बता दें कि मध्य प्रदेश में मोहन यादव ने नए मुख्यमंत्री के तौर पर पद की शपथ ले ली है. उनके साथ दो डिप्टी सीएम ने भी शपथ ले ली है. उपमुख्यमंत्री के रूप में जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला ने शपथ ली है. इसके बाद सबकी नजर मंत्रिमंडल के गठन पर हैं.
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संघ के करीबी व जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश: भाजपा नेतृत्व ने जिस तरह तीनों राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाया है. उसी तरह मंत्रिमंडल में युवा और नए चेहरे दिख सकते हैं. माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में कई नाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. साथ ही संघ के करीबी और जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश होगी. वहीं, कुछ महिला विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह मिलने की संभावना है. इस बार कैबिनेट में उन मंत्रियों को जगह नहीं मिलेगी जिनको पहले भी मंत्री पद दिया जा चुका हैं, लेकिन एक बार के विधायकों को मंत्री पद देकर केंद्रीय नेतृत्व एक अलग संदेश देना चाहेगा.