भोपाल। दुल्हन बनी हैं वो...सिंगार भी किया है..लेकिन उन आंखों में कोई चेहरा नहीं. मेंहदी उन लड़कियों ने भी रचाई है, लेकिन हथेली पर किसी शख्स का नाम नहीं है. जिस उम्र में ब्याह के बाद लड़कियां एक बंधन के साथ सात जन्मों के लिए बंधने जाती हैं. उस उम्र में ये लड़कियां इस जन्म का नहीं अगले कई जन्मों का बंधन खोल रही हैं. ये रिश्ता देह से परे है. इंसानी समझ के पार है. ये शिव की सजनियां हैं. जो सात फेरे नहीं सात प्रतिज्ञा के साथ आगे बढ़ रही हैं. भगवान से वर मांगती है दुनिया. वो भगवान को अपना वर बनाने जा रही हैं. भोपाल में 23 ब्रम्हकन्याओं ने शिव की सजनी बनना स्वीकार किया है.
मिलिए इनसे, ये हैं शिव की सजनी: 27 बरस की निकिता एमबीए कर चुकी हैं. उनके सामने अच्छा खासा कैरियर भी था. और अपनी ही सहेलियों की तरह की लकदक ज़िंदगी भी. निकिता ने भी देखा शादी का सपना, लेकिन किसी इंसान से नहीं. इसके पीछे उनकी दलील भी चिलस्प है. निकिता कहती हैं, पति का साथ तो एक उम्र का होगा ना. छूटना तय है. आपका या उसका लेकिन मैने तो ऐसा साथ चुना है. इहलोक से परलोक तक जिसे साथ ही रहना है. बताइए इतनी तो लड़कियां है शिव की सजनी बनने का सौभाग्य किसे मिलता है.
शिव से नाता जोड़ने छोड़ी रिसर्चर की नौकरी: बीके वंदना एमएसएसी गोल्डमेडलिस्ट हैं. जॉब किया. रिसर्चर रहीं, लेकिन किसी भी काम में वो खुशी नहीं मिली जो उनको आत्मिक संतोष दे सके. वंदना कहती हैं मैं बाहर ढूंढ रही थी. खुशी तो मेरे भीतर थी. यहां आश्रम में आने के बाद पूरी तरह से मेरा ट्रान्सफॉरमेंशन हो गया. इंटरनल होती है हैप्पीनेस और हम इसे बाहर ढूंढते रहते हैं.
पार्टी में चिल नहीं, कुछ अलग करना था: खुशबू मार्केटिंग फील्ड से हैं.अपने आस पास बिखरी रंगीनियों से वाकिफ हैं पूरी तरह से. कहती हैं उन्हें पार्टी में चिल करना होता है. स्मोकिंग में मज़ा आता है. मेरा मामला अलग है मुझे शुरु से सादगी अच्छी लगती थी. तो बस मैने उस दुनिया से आगे इस दुनिया की नई यात्रा शुरु कर दी.खुशबू ने अपनी हथेलियों पर जो मेंहदी रचाई है उसमें एक हथेली पर भगवान शिव दूसरी हथेली पर वरमाला लिए दुल्हन यानि खुद वो है.
भोले से ब्याह में फेरे नहीं 7 प्रतिज्ञा: ब्रम्हकुमारियों का ये ब्याह बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे कोई आम विवाह लेकिन यहां सात फेरे के बजाए सात प्रतिज्ञाएं ली जाती हैं. पहली प्रतिज्ञा आश्रम के अनुशासन का पालन. जहां भेजा जाएगा वहा जाएंगे. सेवा आदेश का पालन करेगे. कलयुग की दुनिया का आकर्षण नहीं रखेंगे. ब्रम्हचर्य का पालन करेंगे. खान पान की शुद्धता रखेंगे. बम्हमुहुर्त से अपना दिन शुरु करेंगे.
Geeta Gyan : जो कर्म नियमित है और जो आसक्ति , राग व द्वेष से रहित...
इन ब्रम्हकुमारियों का लक्ष्य विश्व कल्याण: ब्रम्हकुमारी आश्रम की जोनल इंचार्ज बीके अवधेश कुमारी कहती हैं ये लड़कियां बाकी सारी लड़कियों से अलग हैं. ये ब्रम्हा की बेटियां है शिव की सजनी हैं. इनका संकल्प अलग है. इनके लक्ष्य अलग. विश्व कल्याण की राह पर हैं अब सब. ये सब शिव की सजनी बनने के बाद अब एक ही लक्ष्य लेकर निकलेंगी कि कैसे विश्व का कल्याण कर सकें.