भोपाल। प्राइवेट स्कूलों में किताबों का आर्थिक बोझ अभिभावकों पर कम करने के लिए मध्यप्रदेश के पालक संघ ने एक नया प्रयोग किया है. इन्होंने किताबों का मेला लगाकर बच्चों की किताबें एक्सचेंज शुरू की है. इधर किताब एक्सचेंज करवाने आए अभिभावक भी काफी प्रसन्न हुए. उनका कहना था कि इसके माध्यम से उनका पैसा बच रहा है. सरकार को भी ऐसे ही प्रयोग करना चाहिए. इस बुक्स एक्सचेंज मेले के माध्यम से तकरीबन 250 से 300 बच्चों ने अपनी बुक्स का आदान प्रदान किया.
पुस्तक एक्सचेंज मेला: एक तरफ प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस से अभिभावक खासे परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर कई प्राइवेट स्कूलों की किताबें निश्चित दुकानों से ही मिलती हैं. ऐसे में अभिभावकों पर हर साल हजारों रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ता है. एक निश्चित दुकान से किताबें खरीदने के चलते अभिभावक कहीं और से किताब नहीं खरीद पाते क्योंकि स्कूलों का भी उन पर प्रेशर होता है. इसी समस्या को देखते हुए मध्य प्रदेश के पालक संघ ने एक अनोखा प्रयोग किया है. पालक संघ ने भोपाल के चिनार पार्क में एक पुस्तक एक्सचेंज मेला लगाया. इस मेले के माध्यम से पुस्तकों का निशुल्क आदान प्रदान किया गया.
अलग-अलग स्कूलों की किताबें: इस पुस्तक एक्सचेंज मेले में 20 से 22 स्कूलों की किताबों की अलग-अलग स्टॉल लगाई गई थीं. जिस पर में अभिभावक ही बैठे थे और पुस्तकों का एक्सचेंज कर रहे थे. पांचवी कक्षा में पास होकर जो बच्चा छठी में गया है यहां उसने अपनी पांचवी की किताब इन्हें मुफ्त में दी और मुफ्त में ही छठी की किताब उस टेबल से उठा ली. पालक संघ के पदाधिकारियों कहना है कि 1 दिन के बाद भी यह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से यह सुविधा लगातार जारी रखने हैं और जो लोग घरों से आकर पुस्तक एक्सचेंज कर सकते हैं वह भी कर लेंगे.
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आर्थिक बोझ से मुक्ति: पालक संघ के सचिव प्रबोध पांड्या ने बताया कि जिस तरह से हर साल किताबें खरीदने के लिए अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ आता है उसी को कम करने के लिए यह पिछले 2 से 3 साल तक इसी तरह पुस्तकों का एक्सचेंज करते आए हैं. अभी तक यह काम सभी लोग मिलकर आपस में घरों से ही करते थे अब इन्होंने एक मेले के माध्यम से इसका पहली बार आयोजन किया. जिसमें जिस पालक का बच्चा कक्षा पास होकर दूसरी कक्षा में चला जाता है तो वह किताबें यहां पर दे देता है और जिस कक्षा की उसको किताब चाहिए होती है वह यहां से ले जाता है. ऐसे में किसी को भी पैसे देने की आवश्यकता नहीं होती और मुफ्त में किताबें मिल जाती हैं.
अभिभावकों में खुशी: इस मेले में शामिल होने आए अभिभावक भी प्रसन्न नजर आए. अभिभावकों ने बताया कि उनका बेटा 5वीं क्लास पास हुआ है और अब वह सिक्स में जाएगा. ऐसे में यह 5वीं क्लास की यहां पुस्तक देकर जा रहे हैं ,जो किसी अन्य की काम आएंगी जबकि 6वीं क्लास की उन्होंने पुस्तक यहां से लेनी है. वहीं अन्य महिला अभिभावक बताती है कि यह निश्चित ही सकारात्मक प्रयास है. क्योंकि इसके माध्यम से उनके घर का बजट भी बना रहता है और उन्हें अतिरिक्त खर्च किताबों पर नहीं करना पड़ेगा. इनका कहना है कि सरकार को भी इस दिशा में ऐसा सोचना चाहिए और ऐसे मिले सरकारी स्तर पर सरकार को लगवाने चाहिए.