भोपाल। मध्यप्रदेश में 1 लाख 40 हजार स्कूल हैं. इन स्कूलों में 3 लाख 50 हजार से अधिक शिक्षक नियुक्त होने चाहिए. लेकिन इनमें से अभी भी 70,000 पद खाली पड़े हुए हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश के शिक्षक संघ एक बार फिर सरकार के खिलाफ शंखनाद करने जा रहे हैं. यह सभी शिक्षक 5 मार्च को मध्यप्रदेश में विधानसभा सत्र के दौरान एक बड़ा आंदोलन करने की रूपरेखा बना रहे हैं. इसको लेकर प्रदेश भर में चयनित और संविदा शिक्षकों के साथ ही अन्य शिक्षक संगठन भी एकजुट हो चुके हैं.
भोपाल में बड़ा आंदोलन: दरअसल चुनावी साल में मध्यप्रदेश में शिक्षक भी अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. जिसमें पुरानी पेंशन सहित वेतनमान की राशि बढ़ाने और संविदा शिक्षकों को परमानेंट किए जाने की मांग प्रमुख है. ऐसे में शिक्षक संघ अब 5 मार्च मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जन्मदिन के दिन राजधानी भोपाल में एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा बना रहा है. इस रूपरेखा के लिए तमाम शिक्षक संगठनों को व्यक्तिगत रूप से मैसेज कर एकत्रित किया जा रहा है. शिक्षक संघ के अध्यक्ष जगदीश यादव का कहना है कि उनके साथ में संविदा शिक्षक भी हैं जो अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ एकजुट होने की तैयारी में आंदोलन में शामिल होंगे. पुरानी पेंशन की मांग को लेकर परमानेंट शिक्षक वैसे ही आंदोलनरत हैं. ऐसे में सरकार को जगाने के लिए भोपाल में आंदोलन किया जाएगा.
सीमित संख्या में भर्ती करती है सरकार: मध्यप्रदेश में प्राइमरी से लेकर हायर सेकेंडरी और हाई स्कूल के कुल स्कूलों की संख्या 1 लाख 40 हजार के आसपास है, जिसमें अभी 2 लाख 86000 के आसपास शिक्षकों की नियुक्ति की जा चुकी है. लेकिन अभी भी मध्य प्रदेश के स्कूलों में लगभग 70,000 पद खाली पड़े हुए हैं. इन पदों को भरने के लिए लगातार शिक्षक संघ आंदोलनरत है. लेकिन सरकार हर बार सीमित संख्या में भर्ती करती है.
चुनावों में सरकार को भुगतना पड़ेगा खामियाजा: चुनावी साल में इस बार सरकार लगभग 40000 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति करने की तैयारी का ऐलान पहले ही कर चुकी है. लेकिन अभी भी यह ऐलान सिर्फ ऐलान ही रह गया है. ऐसे में शिक्षक संघ का कहना है कि अगर सरकार इनकी नियुक्ति नहीं करती है तो निश्चित ही चुनावी साल में इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है. संविदा शिक्षक जहां परमानेंट होने के लिए सरकार से लगातार मांग कर रहे हैंं. वहीं दूसरी ओर परमानेंट शिक्षक पुरानी पेंशन और अन्य मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं. ऐसे में विधानसभा सत्र के बीच में यह सभी शिक्षक विधानसभा घेरने की रणनीति भी बना रहे हैं. फिलहाल 5 मार्च को इन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.