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कला-संस्कृति: 'उत्तराधिकार' में हुई भारिया जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति

राजधानी भोपाल के ट्राइबल म्यूजियम में पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' के तहत प्रस्तुतियां जारी हैं, इस कार्यक्रम के अंतर्गत भारिया जनजातीय नृत्य भड़म और सैताम की प्रस्तुति की गई, जिसे यूटयूब चैनल पर प्रसारित किया गया.

Bharatiya tribal dance performed
भारिया जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति
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Published : Aug 17, 2020, 1:28 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग की पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में भारिया जनजाति के नृत्य भड़म और सैताम की प्रस्तुति का प्रसारण जनजातीय संग्रहालय के यूट्यूब चैनल पर किया गया. इस दौरान कलाकारों के मंच पर आदिवासी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी लेकिन इस बार उन्हें दर्शकों की तालियों का आवाज सुनाई नहीं दी क्योंकि इस बार विभाग के सभी कार्यक्रम कोरोना के कारण सोशल मीडिया पर लाइव दिखाए जा रहे हैं.

Bharatiya tribal dance performed
भारिया जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति

भारिया जनजाति छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट क्षेत्र और उसके आसपास निवास करने वाली प्रमुख जनजाति है. इसके अलावा जबलपुर के आसपास भी इस जनजाति के लोग निवास करते हैं. वहीं भारिया जनजाति के नृत्यों को देखते हुए जीवन, प्रकृति और संस्कृति के प्रति गहरा सरोकार उद्घाटित होता है.

Bharatiya tribal dance performed
सैतान नृत्य

भड़म और सैताम भारिया जनजाति के परंपरागत नृत्य हैं. भड़म नृत्य कई नामों से प्रचलित है, जिसे गुन्नू साही, भड़नी, भड़नई, भरनोटी या भंगम नृत्य भी कहा जाता है. विवाह के अवसर पर यह समूह नृत्य भारियाओं का सर्वाधिक प्रिय नृत्य माना जाता है. यह नृत्य थोड़े-थोड़े देर में रात भर चलता है. इसमें 20 से 50-60 नर्तक हिस्सा लेते हैं, जिसमें ढोल, टिमकी और झांझ मुख्य वाद्य यन्त्र शामिल होते हैं, टिमकी की संख्या ढोल से दोगुनी होती है.

Bharatiya tribal dance performed
सैताम नृत्य में लोक संस्कृति की महक

सैताम नृत्य भारिया महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें एक पुरुष घेरे के बीच ढोलक बजाता है, इस नृत्य किशोरियों की अधिक हिस्सेदारी होती है, जो इसे और भी सुंदर बनाता है. विवाह के अवसर पर युवतियां हाथ में मंजीरा या फिर चिट्कुला लेकर रात भर नाचती हैं. हाथ, पैर और कमर के साथ चलने और झुकने से सैताम नृत्य किसी तालाब की लहर जैसा दिखाई देता है.

Bharatiya tribal dance performed
सैताम नृत्य की प्रस्तुति देतीं भारिया महिलाएं

भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग की पारम्परिक संगीत की श्रृंखला 'उत्तराधिकार' में भारिया जनजाति के नृत्य भड़म और सैताम की प्रस्तुति का प्रसारण जनजातीय संग्रहालय के यूट्यूब चैनल पर किया गया. इस दौरान कलाकारों के मंच पर आदिवासी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी लेकिन इस बार उन्हें दर्शकों की तालियों का आवाज सुनाई नहीं दी क्योंकि इस बार विभाग के सभी कार्यक्रम कोरोना के कारण सोशल मीडिया पर लाइव दिखाए जा रहे हैं.

Bharatiya tribal dance performed
भारिया जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति

भारिया जनजाति छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट क्षेत्र और उसके आसपास निवास करने वाली प्रमुख जनजाति है. इसके अलावा जबलपुर के आसपास भी इस जनजाति के लोग निवास करते हैं. वहीं भारिया जनजाति के नृत्यों को देखते हुए जीवन, प्रकृति और संस्कृति के प्रति गहरा सरोकार उद्घाटित होता है.

Bharatiya tribal dance performed
सैतान नृत्य

भड़म और सैताम भारिया जनजाति के परंपरागत नृत्य हैं. भड़म नृत्य कई नामों से प्रचलित है, जिसे गुन्नू साही, भड़नी, भड़नई, भरनोटी या भंगम नृत्य भी कहा जाता है. विवाह के अवसर पर यह समूह नृत्य भारियाओं का सर्वाधिक प्रिय नृत्य माना जाता है. यह नृत्य थोड़े-थोड़े देर में रात भर चलता है. इसमें 20 से 50-60 नर्तक हिस्सा लेते हैं, जिसमें ढोल, टिमकी और झांझ मुख्य वाद्य यन्त्र शामिल होते हैं, टिमकी की संख्या ढोल से दोगुनी होती है.

Bharatiya tribal dance performed
सैताम नृत्य में लोक संस्कृति की महक

सैताम नृत्य भारिया महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें एक पुरुष घेरे के बीच ढोलक बजाता है, इस नृत्य किशोरियों की अधिक हिस्सेदारी होती है, जो इसे और भी सुंदर बनाता है. विवाह के अवसर पर युवतियां हाथ में मंजीरा या फिर चिट्कुला लेकर रात भर नाचती हैं. हाथ, पैर और कमर के साथ चलने और झुकने से सैताम नृत्य किसी तालाब की लहर जैसा दिखाई देता है.

Bharatiya tribal dance performed
सैताम नृत्य की प्रस्तुति देतीं भारिया महिलाएं
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