भोपाल। लोकरंग उत्सव में रविंद्र भवन के मुख्य मंच पर आयोजित गतिविधियों में बिली कलाओं पर आधारित समवेत नेत्र प्रस्तुति हुई, जिसकी शुरुआत प्रताप सिंह और उनके साथी धारा भील जनजाति के भगोरिया नृत्य हुई.
भगोरिया नृत्य में विविध पदचाप समूह वाली चक्रपाली तथा पिरामिड मिस्र मुद्राएं आकर्षण का केंद्र रही. बता दें भगोरिया नृत्य मध्य प्रदेश के एक विस्तृत भू-भाग में फैले जनजाति भील का सुप्रसिद्ध लोक नृत्य है.

भगोरिया नृत्य का नाम फाल्गुन मास में पड़ने वाले भगोरिया पर्व के कारण ही पड़ा है. यह प्रसिद्ध नृत्य भारत के प्रमुख त्यौहार होली के अवसर पर किया जाता है. इस पर्व में आयोजित हाट बाजार के द्वारा अविवाहित युवतियों को अपना मनपसंद जीवनसाथी चुनने का अवसर प्रदान होता है.