भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में इन दिनों भिखारियों का पूरा रैकेट काम कर रहा है. चौंकाने वाली बात तो यह है कि यह रैकेट मासूम बच्चों को अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं, ये लोग बच्चों को नशीला पदार्थ सुंघाकर बेहोश करते हैं और फिर उनके नाम पर भीख मांगते हैं. पिछले साल भोपाल शहर में ऐसे 340 बच्चों को चिन्हित किया गया था. लेकिन इस साल लॉकडाउन के बाद इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अचानक सड़कों और चौक चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या में इजाफा हो गया है. चौक चौराहों पर कई बच्चे और बड़े भीख मांगते नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि इसके पीछे पूरा एक रैकेट काम कर रहा है. जो बच्चों की मासूमियत को दिखाकर दया भाव दिखाते हैं और भीख मांगते हैं. जब ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि यह रैकेट मासूम बच्चों को नशीला पदार्थ सुंघाकर पहले बेहोश कर देते हैं. जिससे बच्चे 5 से 6 घंटे सोते रहें और फिर इन मासूम बच्चों के हाथ पैर या सिर पर पट्टी बांधी जाती है साथ ही उसमें कोई ऐसा पदार्थ लगा दिया जाता है, जो खून या किसी गहरे घाव जैसा नजर आता है. बाद में बच्चों को लेकर चौक चौराहों पर भीख मांगी जाती है.
बच्चों के नाम पर या उनके घाव को देखकर ज्यादातर लोगों का दिल पसीज जाता है और उन्हें भीख में रुपए दे दिए जाते हैं. हाल ही में पुलिस और चाइल्डलाइन ने ऐसे ही 1 बच्चे और उससे भीख मंगवाने वाले को हिरासत में लिया था. जब पुलिस ने बच्चे की पट्टी हटा कर देखी तो कोई चोट या घाव नहीं था, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की है.
लॉकडाउन के बाद राजस्थान से पलायन कर भोपाल आए भिखारी
पुलिस और चाइल्डलाइन की तफ्तीश में खुलासा हुआ है कि लॉकडाउन के बाद कई भिखारी और बंजारे राजस्थान से भोपाल की ओर पलायन कर आए हैं. बताया जा रहा है कि वैश्विक महामारी कोरोना और लॉकडाउन के बाद यह लोग कोई काम धंधा नहीं होने की वजह से दूसरे शहरों में बस गए हैं. बंजारों के साथ 6 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चे भी हैं. इनमें से छोटे बच्चों को नशीला पदार्थ सुंघाकर बेहोश किया जाता है और फिर उनके नाम पर भीख मांगी जाती है. तो वहीं दो से तीन और पांच साल तक के बच्चों के सिर पैर या हाथ पर पट्टी बांध दी जाती है. साथ ही एक दस्तावेज भी पास रख लिया जाता है, जिस पर बच्चे की बीमारी या गरीबी का जिक्र रहता है. एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि इनमें से ज्यादातर बच्चों के माता-पिता भी यहां नहीं हैं. बल्कि यह बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ यहां आए हैं. इससे पहले हुई कुछ कार्रवाईयों में यह भी पता चला है कि बच्चों के नाम पर भीख मांगने वालों का बच्चों से कोई रिश्ता ही नहीं है.
पिछले साल शहर में थे 340 ऐसे बच्चे
चाइल्डलाइन लगातार ऐसे बच्चों को लेकर काम कर रहा है चाइल्ड लाइन की प्रमुख अर्चना सहाय ने बताया कि पिछले साल पूरे भोपाल शहर में भीख मांगने वाले करीब 340 बच्चे थे. इनमें से 170 बच्चों का चाइल्डलाइन ने स्कूल में एडमिशन करवाया है. अब वह बच्चे स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और भीख मांगना छोड़ अच्छा जीवन जी रहे हैं. लेकिन शेष 170 बच्चे अभी कहां है और क्या कर रहे हैं इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है. हालांकि अर्चना सहाय ने बताया कि इस साल लॉकडाउन के चलते ऐसे बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. इस साल करीब दोगुना यानी कि 600 से ज्यादा भीख मांगने वाले बच्चों को चिन्हित किया गया है.
भीख मंगवाने वाले माफियाओं की तलाश में पुलिस
राजधानी की सड़कों पर भीख मांगने वालों के पीछे कोई बड़ा रैकेट काम कर रहा है, पुलिस को भी इस बात की आशंका है, लिहाजा पुलिस इस मामले में बारीकी से पड़ताल कर रही है. पुलिस पता लगाने की कोशिश कर रही है कि सड़कों पर भीख मांगने वालों के पास जो बच्चे हैं वह उन्हीं के हैं या नहीं या फिर उसके पीछे भी मानव तस्करी जैसा कोई गंभीर अपराध है. राजधानी भोपाल में इससे पहले भी पुलिस ने ऐसे ही एक रैकेट का पर्दाफाश किया था जो बच्चों से भीख मंगवाने का काम करता था. उस दौरान बच्चों से पूछताछ में यह बात भी सामने आई थी कि भीख मंगवाने वाले लोग बड़ी संख्या में बच्चों के रिश्तेदार हैं और बच्चों के माता-पिता को गुमराह कर बच्चों को अपने साथ ले आए हैं. अब पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पुलिस हर बिंदु पर काम कर रही है अगर ऐसा कोई नेटवर्क है तो जल्द ही आरोपी सलाखों के पीछे होंगे.