भोपाल। एनिमल और नेचर लवर के लिए सतपुड़ा नेशनल पार्क किसी जन्नत से कम नहीं है. अगर आपको जानवरों और वनस्पति से प्यार है और उनकी विशेष प्रजातियों के बारे में जानने की रुचि रखते हैं, तो आपको एक बार यहां जरूर आना चाहिए. यह पार्क सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां टाइगर विशेष रूप से पाए जाते हैं. यह पार्क एमपी के होशंगाबाद जिले में स्थित है. टाइगर के अलावा यहां बारहसिंगा, ब्लैकबक, धोल, स्लॉथ बीयर, दलदल वाले मगरमच्छ, सांभर, चीतल और अन्य जानवर भी दिखते हैं. साथ ही यहां पक्षियों की भी काफी प्रजातियां पाई जाती हैं.
2,133 वर्ग किलोमीटर में फैले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में स्तनधारियों की 52 प्रजातियां, 31 सरीसृपों और 3 सौ पक्षियों की प्रजातियां रहती हैं, जिनमें से 14 लुप्तप्राय हैं. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में आर्बरियल स्तनधारियों जैसे फ्लाइंग स्क्विरेल, इंडियन जाइंट स्क्विरेल और लीफ नोज्ड बैट्स का भी वास है. यूरेशियन ओटर और स्मूथ कोटेड ओटर भी यहां पाए जाते हैं. यह एमपी का एक अनूठा पार्क है, जहां पर साइकिल, कैनोइंग और ट्रेकिंग जैसी प्रदूषण मुक्त गतिविधियों की अनुमति है.
वनस्पति पशुवर्ग
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है, सतपुड़ा पर्वतमाला के जंगल जैव विविधता से समृद्ध हैं और कई लुप्तप्राय प्रजातियों से आबाद हैं. इस विशेषता को ध्यान में रखते हुए, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को वर्ष 1999 में मध्य प्रदेश का पहला बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था. पचमढ़ी पठार की उच्च श्रृंखलाएं सल वनों से आच्छादित हैं, जबकि घने सागौन वन इसकी निचली पहाड़ी श्रेणियों में फैले हुए हैं. यहां, हिमालयी क्षेत्र की 26 प्रजातियां और नीलगिरि क्षेत्रों की 42 प्रजातियां पाई जाती हैं. जिसके कारण सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को पश्चिमी घाट के उत्तरी छोर के रूप में भी जाना जाता है.
यह बड़ी भूमि बाघों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है. यह क्षेत्र लगभग 14 लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, जिनमें से विशालकाय गिलहरी, भारतीय स्किमर, ब्लैक बेलिड टर्न, लीफ-नोज्ड बैट आदि क्षेत्र की विशेषता है. यहां पक्षियों की तीन सौ से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मालाबा पाइड हॉर्नबिल, मालाबार व्हिस्लिंग थ्रश और मध्य प्रदेश के राज्य पक्षी पैराडाइज फ्लाईकैचर (डूडराज) शामिल हैं. इसके अलावा, शरद ऋतु के दौरान बड़े पक्षियों जैसे कि बार-हेडेड गीज़, पिंटल्स, स्पॉट-बिल, चम्मच-बिल आदि जैसे प्रवासी पक्षी भी दिखाई देते हैं. यूरेशियन ओटर को भी यहाँ पूर्व में देखा जा चुका है.