भोपाल। मध्यप्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है. भोपाल के बाजारों में साफतौर पर लोग हाथ में पॉलिथीन के साथ ही प्लास्टिक बैग और अन्य सामान लेते हुए नजर आ रहे हैं. ETV भारत की टीम ने भी भोपाल के कई बाजारों का निरीक्षण किया तो देखा यहां पर अधिकतर लोग अभी भी इसके प्रति जागरूक नहीं हैं.
इनके बहाने भी अजीब : हमारी टीम ने 10 नंबर मार्केट, न्यू मार्केट और पुराने भोपाल के मार्केट का निरीक्षण किया तो देखा कि कैसे लोग किस तरह से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं. ETV भारत ने जब उनसे बात की तो यह तरह-तरह के बहाने बनाते हुए नजर आए. शॉपिंग करने आईं महिलाओं का कहना था कि उनको तो दुकानदार ने पॉलिथीन दी है. ऐसे में वह लेकर जा रही हैं, लेकिन जब उनसे कहा गया कि आपको मना करना था और घर से थैला लेकर आना था, तब वह बिना कुछ कहे मुंह छुपाते हुए नजर आए.
दुकानदारों के जवाब भी हंसने लायक : वहीं, दुकानदार कहते हैं कि अभी तो स्टॉक बचा हुआ है. पुराना स्टॉक खत्म करना है. इधर, अन्य बाजारों में भी जब हमारी टीम पहुंची तो लोग प्लास्टिक बैग लिए हुए बाजार में नजर आए. जब उनसे पूछा कि यह प्लास्टिक की पन्नी लेकर क्यों घूम रहे हैं तो उनका कहना था कि हां पता है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बैन हो चुकी है लेकिन गलती हो गई और यह कैमरे पर ही माफी मांगते दिखे. इस बारे में नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर एमपी सिंह का कहना है कि निश्चित ही सरकार द्वारा दिए जा रहे आदेशों का पालन कराया जा रहा है, लेकिन फिलहाल निगम का अमला लोकल बॉडी के चुनावों में ड्यूटी पर है. इलेक्शन के बाद बड़े पैमाने पर कार्रवाई की जाएंगी.
बाजारों में धड़ल्ले से इस्तेमाल : बाजारों में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल झड़ल्ले से हो रहा है. प्लास्टिक से बने चम्मच, गिलास, थाली से लेकर पॉलिथीन इस्तेमाल की जा रही हैं. गौरततलब है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए नॉन डिस्पोजेबल प्लास्टिक यानी सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया है. थर्माकोल से बने कप ,प्लेट प्लास्टिक के चम्मच गिलास आदि यह सभी सिंगल यूज प्लास्टिक में आते हैं. उनका एक बार उपयोग होने के बाद वह फेंक दिए जाते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है. साथ ही मवेशी इसे खाकर कई बार काल के गाल में समा जाते हैं.
ये है सजा का प्रावधान : एनजीटी ने 50 माइक्रोन से पतली प्लास्टिक पर बैन किया है. इसके नीचे की प्लास्टिक ना तो रीमैन्युफैक्चरिंग हो पाती है और ना ही नष्ट की जा सकती है, लेकिन अभी भी कई कारखानों में पतली पन्नी आसानी से बन रही है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार जो सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करता है और इस नियम का पालन नहीं करता है, उस पर जुर्माने के साथ ही जेल भेजने का भी प्रावधान है. ₹500 से ₹2000 तक का जुर्माना लगाया जाता है, जबकि 1 से 5 साल की सजा भी हो सकती है.
रोजाना तीन हजार क्विंटल प्लास्टिक का कचरा : मध्य प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार प्रदेश के शहरों में रोजाना करीब 3000 क्विंटल प्लास्टिक का कचरा निकलता है. जिसमें सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला वन टाइम यूज़ प्लास्टिक होता है. इसमें पन्नी से लेकर पानी पीने की बोतल शामिल हैं. भोपाल में रोज 85 क्विंटल सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है, जबकि इंदौर में इसका आंकड़ा 118 क्विंटल है, जबलपुर में 115, सागर में 55, उज्जैन में 105, ग्वालियर में 75, क्विंटल है. इसके अलावा सबसे ज्यादा वन टाइम यूज़ प्लास्टिक रेलवे स्टेशनों पर निकलता है. (Ban on single use plastic only
in paper) (3 thousand quintal plastic waste in MP jelly)