भोपाल। कोरोना महामारी के कारण मृतकों की संख्या राजधानी में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में आमजन के मस्तिष्क में यह विचार आ ही जाता है कि मृतकों के अंतिम संस्कार क्रिया क्रम में लगने वाली वस्तुओं के विक्रेताओं की अच्छी कमाई हो रही होगी. वह मनमाने दामों पर सामान बेच रहे होंगे, लेकिन ऐसा नहीं है राजधानी में अर्थी में लगने वाले बांस घास और कंडे बेचने वाले मुनासिब दामों पर ही सामान बेच रहे हैं.
अर्थी की 10 से 12 दुकानें
बांस व्यापारी हुकुम सिंह ने बताया कि भोपाल के पंचशील नगर मेन रोड पर 10 से 12 अर्थी के सामान की दुकानें हैं. इस समय हमारे पास जो ग्राहक आते हैं, वह बहुत परेशानी में ही आते हैं. वे सोचते हैं कि लॉकडाउन में सामान महंगा मिलेगा, लेकिन हमें ऐसे लोगों को जिस रेट में वह सामान मांगते हैं, उन्हें उसी रेट में दे देते हैं.
जस के तस बांस का धंधा
हुकुम सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारा इस महामारी के कारण धंधा बढ़ा हो, बस सेवा के कारण हम लोग यहां दिन भर बैठे रहते हैं. उन्होंने कहा कि धार्मिक हिसाब से लोग सिर्फ एक बांस का टुकड़ा और कुछ घास हमसे ले जाते हैं. सिर्फ परंपरा निभाने के लिए अर्थी का पूरा सामान नहीं ले जाते. उन्होंने बताया कि अर्थी में पहले दो बांस लगते थे, एक बांस की सीट लगती थी, कंडे और घास लगती थी.
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यह सामान लगभग 300 में आ जाता था. कोरोना प्रोटोकॉल के चलते लोग शव को सीधे श्मशान घाट ले जाते हैं. वहीं अंतिम संस्कार हो जाता है. उन्होंने कहा कि हमारा जो रेट पहले था. हम उसी रेट पर बेच रहे हैं कोई फायदा नहीं कमा रहे हैं. अभी बांस और घास की बड़ी दिक्कत हो रही है. डबल ट्रिपल रेट पर घास और बांस हमें मिल रहा है. अजीब विडंबना है कि शव अपनों के चार कंधों को तरस रहे हैं और कंधे देने वालों के लिए बांस बेचने वाले अपने ग्राहकों को तरस रहे हैं.