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कुख्यात शिकारी शोएब कुरैशी की जमानत याचिका खारिज, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई - bhopal court news

बैरसिया में नील गाय का शिकार करने वाले आरोपी को पिछले दिनों वन विभाग ने गिरफ्तार किया था. मामले में कुख्यात शिकारी शोएब कुरेशी की जमानत याचिका को आज खारिज कर दिया गया है.

Notorious hunter Shoaib Qureshi's bail plea rejected
कुख्यात शिकारी शोएब कुरैशी की जमानत याचिका खारिज
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Published : May 16, 2020, 6:25 PM IST

भोपाल। राजधानी के बैरसिया क्षेत्र में बीते 15 अप्रैल की रात वन विभाग की टीम ने शोएब कुरेशी सहित अन्य आरोपियो को गिरफ्तार किया था. इन आरोपियों को नीलगाय के शिकार के मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार करने के बाद इन्हें जेल भेज दिया गया था. वहीं प्रदेश में लॉक डाउन लागू होने के चलते काम प्रभावित हुआ है, लेकिन इस मामले में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से इस मामले में सुनवाई हुई और आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में वन्य प्राणी नीलगाय के शिकार के मामले मे पूर्व पार्षद और बैरसिया के कुख्यात शिकारी शोएब कुरेशी की जमानत खारिज कर दी है. शोएब कुरेशी ने 15-16 अप्रैल की दरम्यानी रात मश्कूर उल्लाह, इरशाद खां, हसीन खां के साथ मिलकर रिछाई गांव के आरक्षित वन क्षेत्र में वन्यप्राणी नीलगाय का अवैध शिकार किया था. जिसके चलते बैरसिया रेंजर और उनकी टीम ने शोएब कुरेशी और हसीन खां को शिकार के साथ मौके से गिरफ्तार किया था.

इसके अलावा शोएब के पास से एक 30.06 बन्दूक, 3 चाकू, दो चारपहिया वाहन के साथ वन्यप्राणी नीलगाय का मांस और अंग जप्त किया था. वहीं मामले के दो आरोपी मौके से फरार हो गए थे. इसी मामले में दो अन्य आरोपियों की जमानत पहले हो चुकी थी, जिसके बाद शोएब ने जमानत की याचिका लगाई थी. जमानत के लिए आरोपी के वकील हनीफ खां ने अपर सत्र न्यायाधीश के सामने तर्क दिया था कि शोएब एक प्रतिष्टित व्यक्ति हैं, दो बार पार्षद रह चुके हैं, उनकी राजनैतिक छवि धूमिल करने के लिए सत्तादल निराधार आरोप में उन्हे फंसवाते रहते हैं. शोएब को किसी भी मामले मे आज तक किसी भी न्यायालय द्वारा दंडित नहीं किया गया है.

वकील ने कहा कि शोएब एक कृषक हैं, जमानत ना मिलने पर उसे आर्थिक नुकसान हो सकता है. वहीं शोएब कुरेशी हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं. शोएब को पहले भी ऐसे अपराधों में जमानत मिल चुकी है. प्रकरण में दो और आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. ऐसे में समानता के आधार पर शोएब को भी जमानत मिलने चाहिए.

वकील की सभी दलीलें हुईं खारिज

वहीं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सुधाविजय सिंह भदौरिया के तर्कों और पैरवी ने शोएब के मंसूबों पर पानी फेर दिया. भदौरिया ने शोएब के वकील के तर्कों को खारिज करते हुए बताया कि आरोपी शोएब एक आदतन अपराधी है, जो बार-बार वन्य प्राणियों का अवैध शिकार जैसे गंभीर अपराध करता है. शोएब नरसिंहगढ़ रेंज में वन्य प्राणी काले हिरण के अवैध शिकार सहित कई अन्य मामलों में आरोपी हैं. उन्होंने कहा कि शोएब कुरैशी को राजनैतिक छवि की चिंता होती, तो शिकार जैसे गंभीर अपराध नहीं करता. शोएब हृदय रोगी है, तो कोरोना जैसी महामारी के समय आधी रात को शिकार खेलने क्यों गया था. शोएब कुरेशी दो बार जिलाबदर रह चुका है, इस पर रासुका के तहत कार्रवाई भी हो चुकी है. आरोपी ने पूछताछ के दौरान अपने सभी अवैध शिकार कबूल करते हुए यह कहा है कि जबतक उसकी आंखो में रौशनी है, शिकार करना उसका शौक है और वह शिकार करता रहेगा.
विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई

अभियोजन अधिकारी की दलीलें सुनने के बाद अपर सत्र न्यायालय ने आरोपी का जमानत आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरोपी का आचरण और अपराध की गम्भीरता को देखते हुए उसे समानता और अन्य किसी प्रतिभूति पर मुक्त किया जाना उचित नहीं है. दोनों वकीलों के तर्क सुनने के बाद अपर सत्र न्यायधीश तृप्ति शर्मा ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि लॉक डाउन के चलते न्यायालय का काम अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो रहा है और ऐसे में गंभीर मामले की सुनवाई भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही की जा रही है.

भोपाल। राजधानी के बैरसिया क्षेत्र में बीते 15 अप्रैल की रात वन विभाग की टीम ने शोएब कुरेशी सहित अन्य आरोपियो को गिरफ्तार किया था. इन आरोपियों को नीलगाय के शिकार के मामले में रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार करने के बाद इन्हें जेल भेज दिया गया था. वहीं प्रदेश में लॉक डाउन लागू होने के चलते काम प्रभावित हुआ है, लेकिन इस मामले में वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से इस मामले में सुनवाई हुई और आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में वन्य प्राणी नीलगाय के शिकार के मामले मे पूर्व पार्षद और बैरसिया के कुख्यात शिकारी शोएब कुरेशी की जमानत खारिज कर दी है. शोएब कुरेशी ने 15-16 अप्रैल की दरम्यानी रात मश्कूर उल्लाह, इरशाद खां, हसीन खां के साथ मिलकर रिछाई गांव के आरक्षित वन क्षेत्र में वन्यप्राणी नीलगाय का अवैध शिकार किया था. जिसके चलते बैरसिया रेंजर और उनकी टीम ने शोएब कुरेशी और हसीन खां को शिकार के साथ मौके से गिरफ्तार किया था.

इसके अलावा शोएब के पास से एक 30.06 बन्दूक, 3 चाकू, दो चारपहिया वाहन के साथ वन्यप्राणी नीलगाय का मांस और अंग जप्त किया था. वहीं मामले के दो आरोपी मौके से फरार हो गए थे. इसी मामले में दो अन्य आरोपियों की जमानत पहले हो चुकी थी, जिसके बाद शोएब ने जमानत की याचिका लगाई थी. जमानत के लिए आरोपी के वकील हनीफ खां ने अपर सत्र न्यायाधीश के सामने तर्क दिया था कि शोएब एक प्रतिष्टित व्यक्ति हैं, दो बार पार्षद रह चुके हैं, उनकी राजनैतिक छवि धूमिल करने के लिए सत्तादल निराधार आरोप में उन्हे फंसवाते रहते हैं. शोएब को किसी भी मामले मे आज तक किसी भी न्यायालय द्वारा दंडित नहीं किया गया है.

वकील ने कहा कि शोएब एक कृषक हैं, जमानत ना मिलने पर उसे आर्थिक नुकसान हो सकता है. वहीं शोएब कुरेशी हृदय की बीमारी से पीड़ित हैं. शोएब को पहले भी ऐसे अपराधों में जमानत मिल चुकी है. प्रकरण में दो और आरोपियों को जमानत मिल चुकी है. ऐसे में समानता के आधार पर शोएब को भी जमानत मिलने चाहिए.

वकील की सभी दलीलें हुईं खारिज

वहीं सहायक जिला अभियोजन अधिकारी सुधाविजय सिंह भदौरिया के तर्कों और पैरवी ने शोएब के मंसूबों पर पानी फेर दिया. भदौरिया ने शोएब के वकील के तर्कों को खारिज करते हुए बताया कि आरोपी शोएब एक आदतन अपराधी है, जो बार-बार वन्य प्राणियों का अवैध शिकार जैसे गंभीर अपराध करता है. शोएब नरसिंहगढ़ रेंज में वन्य प्राणी काले हिरण के अवैध शिकार सहित कई अन्य मामलों में आरोपी हैं. उन्होंने कहा कि शोएब कुरैशी को राजनैतिक छवि की चिंता होती, तो शिकार जैसे गंभीर अपराध नहीं करता. शोएब हृदय रोगी है, तो कोरोना जैसी महामारी के समय आधी रात को शिकार खेलने क्यों गया था. शोएब कुरेशी दो बार जिलाबदर रह चुका है, इस पर रासुका के तहत कार्रवाई भी हो चुकी है. आरोपी ने पूछताछ के दौरान अपने सभी अवैध शिकार कबूल करते हुए यह कहा है कि जबतक उसकी आंखो में रौशनी है, शिकार करना उसका शौक है और वह शिकार करता रहेगा.
विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई

अभियोजन अधिकारी की दलीलें सुनने के बाद अपर सत्र न्यायालय ने आरोपी का जमानत आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दी कि आरोपी का आचरण और अपराध की गम्भीरता को देखते हुए उसे समानता और अन्य किसी प्रतिभूति पर मुक्त किया जाना उचित नहीं है. दोनों वकीलों के तर्क सुनने के बाद अपर सत्र न्यायधीश तृप्ति शर्मा ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि लॉक डाउन के चलते न्यायालय का काम अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो रहा है और ऐसे में गंभीर मामले की सुनवाई भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही की जा रही है.

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