भोपाल। आस्था में लगे दरबारों में पर्ची का प्रादुर्भाव बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री महाराज से काफी पहले का है. पहली बार दरबारों में भविष्य की पर्चियों की एंट्री पंडोखर सरकार यानि गुरुशरण महाराज ने करवाई थी. क्या वजह रही की पर्ची से भविष्य और भूतकाल बांचने के इस प्रयोग में पंडोखर महाराज पीछे छूट गए और धीरेन्द्र शास्त्री महाराज ने कम समय में ज्यादा ख्याति प्राप्त कर ली. क्या शुरुआत से विवादित बोल और लगातार विवादों में बने रहना धीरेन्द्र शास्त्री को उनके समकालीन और सीनियर महाराजों से काफी आगे ले गया. क्या वाकई हिंदू राष्ट्र का आव्हान और धर्मांतरण के विवाद में बागेश्वर धाम महाराज की एंट्री ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया, या उन पर उठे सवालों ने उन्हें अचानक इतनी सुर्खियों में ला दिया कि सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा ट्रेंड किए जाने वाले शख्स बागेश्वर धाम बन गए हैं.
पंडोखर महाराज से बागेश्वर धाम तक,पर्ची और दरबार: पंडोखर महाराज और बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री दोनों एक ही धारा के बाबा हैं. महाराज जो पर्ची निकालकर भविष्य भूत बताते हैं. दोनों ही दरबार लगाते हैं. टोकन सिस्टम भी दोनों के यहां है. दोनों के यहां धाम पर जाकर हाजिरी लगानी होती है. पंडोखर महाराज शुल्क से टोकन देते हैं, बागेश्वर धाम में ये मुफ्त है. तो सवाल ये है कि क्या वजह है कि दरबार लगाने और पर्ची निकालने के मामले में पंडोखर महाराज से उम्र और अनुभव में काफी छोटे होने के बावजूद बागेश्वर धाम महाराज की ख्याति कम वक्त में ज्यादा हुई है. सोशल मीडिया से लेकर हकीकत में भी बागेश्वर धाम के फॉलोअर्स बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज है. प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक राजनेताओ में भी बागेश्वर धाम महाराज की रीच ज्यादा है. बनिस्बत पंडोखर सरकार के.
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बागेश्वर धाम महाराज के बोल बम: पंडोखर सरकार और बागेश्वर धाम के महाराज धीरेन्द्र शास्त्री में बुनियादी फर्क ये है कि पंडोखर सरकार के प्रवचन पर्ची के आस पास ही हमेशा से रहे हैं. वैसे भले वो विवादों में आए हों लेकिन अपने बयानों को लेकर उन्होंने सुर्खियां कम ही बंटोरी है. इनके मुकाबले धीरेन्द्र शास्त्री शुरुआत से ही अपने बोल से बवाल मचाते रहे हैं. शुरुआत ही उनके दरबार में दिए गए इस बयान से हुई थी. जब उन्होंने पत्थरबाजों को लेकर बुलडोजर चलाए जाने की बात कही थी. मीडिया की निगाह बागेश्वर धाम धीरेन्द्र शास्त्री उसी समय से चर्चा में आए. असल में उस बयान के साथ ही बागेश्वर धाम ने राजनीति का ट्रैक भी पकड़ लिया था. अघोषित रुप से अपनी राजनीतिक आस्था भी घोषित कर दी थी. उनके दरबारों में बढ़ती भीड़, उनके फॉलोअर्स की बढ़ती तादात चुनावी साल में नेताओं के लिए भी मौका है कि एक को साध के चुनाव से पहले एक मुश्त कितने वोट साधे जा सकते हैं. यही वजह है कि नेता अपने-अपने इलाकों में अब धीरेन्द्र शास्त्री महाराज का दरबार सजा रहे हैं.
पंडोखर सरकार की पर्ची ने डाला साख पर असर: दतिया जिले में पंडोखर धाम से मशहूर स्थान के नाम से पंडोखर सरकार पुकारे जाने वाले गुरुशरण महाराज पिछले दिनों उस समय चर्चा में आए, जब पूर्व मंत्री इमरती देवी उनसे मिलने पहुंची थीं. बागेश्वर धाम के मुकाबले पंडोखर महाराज के दरबार में क्षेत्र विशेष की सियासी शख्सियत ही पहुंचती रही हैं. उस समय इमरती देवी ने चुनाव हार जाने को लेकर सवाल किया था और पंडोखर सरकार ने बताया था कि इसके पीछे जो हैं उनका नाम अकेले में बताएंगे. बाद में पिछले दिनों पानीपत के पुलिस अधिकारियों ने चोरी के सामान को लेकर महाराज के दरबार में अर्जी लगाई. इनके घर से ही चोरी हुई थी और कीमती सामान गया था. लेकिन पंडोखर सरकार ने पंजाब से आरोपियों को पकड़ने की जो जानकारी दी वो गलत निकली. यानि उनकी साख पर सवाल उठा.
बागेश्वर धाम महाराज का सियासी रुख: बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री महाराज ने जिस तरह से धर्मांतरण का मुद्दा उठाया. अब लगातार हिंदू राष्ट्र की हुंकार भर रहे हैं. माना जा रहा है कि 2023 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये जमीन बनाई जा रही है और चुनाव नजदीक आ जाने तक धीरेन्द्र शास्त्री महाराज सियासी माहौल बनाने में उत्प्रेरक की भूमिका में आ सकते हैं.
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राजनीति को दिशा देना संतों का काम-पंडोखर सरकार: पंडोखर सरकार ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि महाभारत काल से लेकर रामायण युग त्रेता युग द्वापर युग सभी में गुरुओं का स्थान राजनीतिक कार्यों को दिशा देने का रहा है. गुरु और संतों का कार्य रहता है कि वह राजनीति को उचित दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करें. पंडोखर सरकार ने धर्मांतरण के मुद्दे पर कहा कि धर्मांतरण किन परिस्थितियों में किसने किया है, उन परिस्थितियों को जानना सभी को जरूरी है और अगर कोई व्यक्ति सनातन छोड़कर अन्य धर्म में जा रहा है तो इसकी जिम्मेदारी भी महात्माओं को समझना चाहिए. जो लोग गए हैं उनको समझा कर अपने धर्म में वापस लौटा कर लाना चाहिए. ये जिम्मेदारी सभी संतो महाराजों की है. बाबा बागेश्वर धाम पर नागपुर से उठे विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में भी कहा है इस तरीके का कोई भी कार्य अंधविश्वास नहीं होते, आप हम सबका विश्वास ही सारे कार्यों को करने में सहयोग प्रदान करता है. मैं सम्मान करता हूं इस फैसले का जो हिंदू हित सनातन के लिए आया है.