भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और कैपिटल सिटी से जुड़ी सड़कों को अमेरिका से अच्छा बताया था. लेकिन हालात यह हैं कि प्रदेश की 40 से ज्यादा मुख्य सड़कें जर्जर हालत में हैं. इनकी मरम्मत, रखरखाव और पुनर्निर्माण के लिए सरकार फंड की कमी से जूझ रही है.
मध्यप्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से राजधानी भोपाल को जोड़ने वाली अधिकांश सड़कें जर्जर हैं. कई सड़कों पर सिर्फ 80 किलोमीटर की दूरी तय करने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है. यात्री इन सड़कों पर सफर करने की बजाए दूसरे वैकल्पिक मार्गों से अपना सफर पूरा करते हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जुड़ने वाली कुछ प्रमुख सड़कों की स्थिति इस प्रकार है.
भोपाल-जबलपुर मार्ग
इस मार्ग की लंबाई 300 किमी है, लेकिन पिछले कई सालों से मार्ग की हालत बद से बदतर हैं. जबलपुर में हाईकोर्ट होने के कारण राजधानी भोपाल से आम लोगों का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन ज्यादातर लोग वैकल्पिक मार्गों का उपयोग कर जबलपुर जाते हैं.
भोपाल-विदिशा मार्ग
इस सड़क की लंबाई महज 58 किलोमीटर है. भोपाल से विश्व पर्यटन क्षेत्र सांची को जोड़ने वाले मार्ग का पुनर्निर्माण कई सालों से नहीं हो पाया है. जबकि विदिशा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक कर चुकी हैं.
भोपाल-होशंगाबाद मार्ग
इस सड़क की लंबाई 76 किमी है, जिसके जरिए भोपाल से होशंगाबाद पहुंचने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है. जबकि यह इलाका मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के विधानसभा क्षेत्र बुदनी को राजधानी भोपाल से जोड़ता है.
भोपाल-सागर मार्ग
साल 2003 के विधानसभा चुनाव में सड़कों की जर्जर स्थिति बताने का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण रहे भोपाल-सागर मार्ग का हाल भी ऐसा ही है. हालांकि रायसेन तक इसे फोरलेन कर दिया गया है, लेकिन रायसेन से लेकर सागर तक कई जगह सड़क की स्थिति जर्जर है और लोग वैकल्पिक मार्गों का उपयोग कर रहे हैं.
टूर-ट्रैवल व्यवसाय से जुड़े लोग परेशान
ऐसी सड़कों पर रोजाना सफर करने वाले ट्रक ड्राइवर असलम बताते हैं कि कई जगहों पर तो अच्छी सड़कें हैं, लेकिन खराब सड़कें भी हैं जिन पर वाहन चालाना रिस्की है. वहीं टूर और ट्रैवल्स व्यवसाय से जुड़े योगेंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि खराब सड़कों के कारण गाड़ियों को भारी नुकसान होता है, समय ज्यादा लगता है. जहां 2 घंटे में पहुंचना चाहिए, वहां 4 घंटे लगते हैं और गाड़ी का एवरेज भी बिगड़ता है. ऐसे में पर्यटक भी दूरी बनाने लगते हैं.
अगले बजट में बन पाएंगी नई सड़कें
प्रदेश भर में सड़कों की खस्ताहालत और खासकर राजधानी को जोडने वाली सड़कों की बदहाली पर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव का कहना है कि फिलहाल सड़कों का सर्वे हो रहा है, जिसके बाद उनकी मरम्मत की जाएगी. साथ ही अगले बजट में नई सड़कों के निर्माण के लिए फंड का प्रावधान किया जाएगा. लोकनिर्माण मंत्री की मानें तो राज्य में अगले वर्ष कोई भी सड़क खराब नहीं रहेगी. राजधानी भोपाल से हर गांव की सड़क से कनेक्टिविटी हो जाएगी.
कमलनाथ सरकार ने भी किए थे प्रयास
पूर्व लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने बताया कि उन्होंने 40 मुख्य मार्ग चिन्हित किए थे और तय किया था कि इन 40 मार्गों पर व्यवसायिक वाहनों से टोल टैक्स वसूल कर सड़कों का पुनर्निर्माण और मरम्मत करेंगे. लेकिन फंड की कमी से काम आगे नहीं बढ़ सका. उन्होने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को मिलने वाला सेंट्रल रोड फंड बंद कर दिया था. अब हमारी सरकार चली गई, लेकिन शिवराज सरकार में भी अब तक कुछ नहीं हुआ.
अमेरिका से अच्छी एमपी की सड़कें बताने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के प्रदेश की सड़कें विकास की बदसूरत तस्वीर पेश कर रही हैं. सड़कों की हालत ऐसी है कि वो मौत का दावत देती दिख रही हैं. सड़क पर गड्ढे नहीं, गड्ढों में सड़क हैं. जिससे राहगीरों का सफर जानलेवा साबित हो रहा है. विपक्ष के आरोप और सरकार के दावों के बाद अब देखना होगा कि जनता को इन बदहाल सड़कों से कब तक आजादी मिलेगी.