भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर अब हमारे बीच नहीं रहे. बुधवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया. बात अगर उनके सियासी सफर की हो तो उनका सियासी सफर बहुत अच्छा रहा. गौर जिंदादिल नेता थे. उनकी बेबाकी और मजाकिया अंदाज से सभी भली- भांति वाकिफ रहे हैं. इसके अलावा बाबूलाल गौर पक्षी और प्रकृति के काफी करीब थे. बाबूलाल गौर को पक्षी और प्रकृति के प्रति काफी प्रेम था.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर पक्षी और प्रकृति के काफी करीब थे. उनके बंगले पर कबूतर, मुर्गे, खरगोश, तुर्की का मुर्गा यह सब और तरह- तरह के पक्षी बाबूलाल गौर ने पाल रखे थे. गौर सुबह सबसे पहले यहीं पर आकर बैठते थे और सभी पक्षियों को दाना खिलाते थे. बाबूलाल गौर ने अपने बंगले के पीछे के हिस्से में नर्मदा कुटी के नाम से एक छोटा सा घर भी बना रखा था, जहां पर वह तमाम लोगों से मुलाकात करते थे.
बाबूलाल गौर के घर जब भी कोई मेहमान आता था, तो वे अपने पक्षी और प्रकृति प्रेम से जरूर मिलवाते थे. बाबूलाल गौर के पक्षी भी बहुत फ्रेंडली है. गौर का घर मध्यप्रदेश का इकलौता बंगला है, जहां इतने पेड़-पौधे और पशु-पक्षी देखने को मिलते थे. उनका का कहना था कि उनका घर सबके लिए हैं और सभी पशु- पक्षी वहां रह सकते हैं, क्योंकि प्रकृति है तो हम हैं. गौर एक छोटे बच्चे की तरह अपने पशु- पक्षियों के साथ रहना और खेला करते थे.
बता दें जिस तरह एक छोटे- छोटे बच्चे अपने घरों में चहलकदमी और मस्ती करते हैं, उसी तरह गौर के बंगले में रहने वाले पशु- पक्षी भी बच्चों की तरह चहलकदमी और मस्ती करते हैं. शायद यही वजह है कि आज उनके बंगले पर मौजूद पशु-पक्षी और प्रकृति भी बाबूलाल गौर को याद कर रहे होंगें.