भोपाल। कोरोना वायरस महामारी के हर दिन बढ़ते मामलों ने देश भर में कोहराम मचा रखा है. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से अभी लोगों को राहत मिली भी नहीं है, कि अब एक और खतरा सामने आकर खड़ा हो गया है. कोरोना महामारी के बीच एक नए जानलेवा रोग म्यूकोरमॉइकोसिस याने ब्लैक फंगस (Black fungus) ने दस्तक दी है. इस बीमारी प्रदेश में 450 से अधिक मरीज मिल चुके है. प्रदेश सरकार ने भी ब्लैक फंगस के इलाज के लिए प्रदेश के बड़े जिलों में विशेष आईसीयू वार्ड बनाए है. इस बीमारी का खतरा इतना बढ़ गया है कि इस बिमारी से कुछ रोगियों की मौत हो चुकी है. एलोपैथी में तो इसका इलाज काफी महंगा साबित हो रहा है, लेकिन आय़ुर्वेद दवाओं के जरिए भी इसका उपचार किया जा सकता है, जो कि काफी सस्ता है.
- आयुर्वेद से हो सकेगा ब्लैक फंगस का इलाज
शासकीय खुशीलाल आयुर्वेद चिकित्सालय के नोडल चिकित्सा अधिकारी डॉ. शशांक झा के मुताबिक आयुर्वेद में एंटी फंगल चिकित्सा (Anti fungal therapy) उपलब्ध है. इसमें इंटरनल और एक्सटर्नल इलाज दोनों किए जा सकते हैं. इसके अलावा घरेलू उपचार से भी इसे ठीक किया जा सकता है. डॉ. झा के अनुसार प्रकृति विघात चिकित्सा में रोग के नेचर के विपरीत दवाईयां दी जाती है और यह ब्लैक फंगस में कारगर इलाज है.
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- ब्लैक फंगस से कैसे बचें
- शुगर को कंट्रोल रखें.
- कोविड के इलाज और अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी ब्लड शुगर लेवल की जांच करते रहें.
- स्टेरॉयड्स को ध्यान से लें.
- ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ और स्टेरॉयइल किए गए पानी को प्रयोग में लाएं.
- एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल दवाइयों का सावधानी से इस्तेमाल करें.
- 1 हजार रुपए में महीने भर की दवाएं
आयुर्वेद चिकित्सा में ब्लैक फंगस के उपचार में त्रिफला और हल्दी उबालकर कुल्ला किया जाता है. इसके साथ ही फलत्रिकादी काढ़े का प्रयोग भी किया जा सकता है. इसके अलावा रस माणिक्य, गंधक रसायन, आरोग्य वर्धनी बटी और गिलोय घन बटी का महीने भर सेवन करना होगा. महीने भर की डोज की इन आयुर्वेदिक दवाओं का खर्च 800 से एक हजार रुपए के बीच ही आता है.
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- सही अनुपात में लें आयुर्वेदिक दवाएं
आयुर्वेद चिकित्सा में दवाओं का प्रयोग सही अनुपात में निर्धारित समयावधि में किया जाना जरूरी है, तभी इसका फायदा मिलता है. इलाज के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा लेना नुकसानदायक हो सकता है.
- ब्लैक फंगस में क्या न करें
- किसी भी तरह से अलर्ट को इग्नोर न करें.
- अगर आपको कोविड हुआ है, तो बंद नाक को महज जुकाम मानकर हल्के में न लें.
- फंगल इन्फेक्शन को लेकर जरूरी टेस्ट करवाने में देर न करें.
- भोपाल में मिले 120 मरीज
एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में ब्लैक फंगस या इससे मिलते जुलते इंफेक्शन के 450 के आसपास मामले सामने आए हैं. इस हिसाब से फिलहाल इंजेक्शन के 1600 डोज की जरूरत है. फिलहाल मौजूद स्टॉक के मुताबिक मध्यप्रदेश में एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कमी बनी हुई है. राज्य सरकार इस कमी को दूर करने के लिए लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है. राजधानी भोपाल में ही बीते 10 दिनों में ब्लैक फंगस के 120 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं और इनमें से 6 मरीज अपनी जान गवां चुके हैं.