भोपाल। अयोध्या आंदोलन का हिस्सा रहे इस कारसेवक की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं है. उसने कारसेवा के जरिए राजनीति भी नहीं चमकाई. 30 साल पहले विवादित ढांचे के मलबे में दबा एक कारसेवक 30 साल से अपाहिज है. विवादित ढांचे के मलबे में दबकर उसके शरीर का आधा हिस्सा खराब हो गया. इस कारसेवक की आखिरी ख्वाहिश है, अयोध्या में राम लला के दर्शन. पैरों से लाचार ये रामभक्त अचल सिंह चाहता है कि अगर उसे तीन पहिए की साईकिल मिल जाए तो वो अभी से अयोध्या के लिए कूच कर दे. जिस अयोध्या में भगवान राम का मंदिर देखने उसने 30 बरस पहले जान की बाजी लगाई थी. ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
मैं घिसटते जाऊंगा अपने राम लला को देखने: भोपाल के ग्रामीण इलाके में सुआखेड़ी में रहने वाले अचल सिंह का पूरा दिन इन दिनों राम नाम जपते बीतता है. ये जाप इसलिए है कि किसी तरह भगवान राम उनकी सुन ले और कोई उसे अयोध्या तक पहुंचा दे. अचल सिंह पैरों से इस कदर लाचार हैं कि खड़े भी नहीं हो पाते. कहते हैं अगर कोई तीन पहिए की साईकिल मुझे दिला दे. तो मैं तो अभी से अयोध्या के लिए निकल जाऊं. एक बार अपने भगवान राम के दर्शन तो कर लूं. अचल सिंह ईटीवी भारत से बातचीत में कहते हैं मेरी अपील सब लोगों से है कोई मदद करेगा पहुंचा देगा मुझे उम्मीद है.
कार सेवा के दौरान अपाहिज हुए अचल: अचल सिंह 1992 में कार सेवकों के साथ भोपाल से यूपी कार सेवा के लिए गए थे. कार सेवा के दौरान विवादित ढांचे के मलबे में अचल इस तरह से दबे कि बेहोश हो गए. जब होश में आए तो लखनऊ के एक अस्पताल में थे. इस दुर्घटना में उनके शरीर के नीचे के हिस्से में इतनी गहरी चोट आई कि 31 साल से अचल बिस्तर पर ही हैं. चलते हैं तो हाथ का सहारा लेकर. घर के अकेले कमाने वाले अचल ने इन बरसों में बहुत संघर्ष देखा.
अचल कहते हैं मैने किसी के सामने कभी हाथ नहीं फैलाये. मुझे जो सहारा है तो बस अपने राम का है. आज तक उसी के सहारे जिया हूं. आगे भी उसे के सहारे जिंदा रहूंगा. राम ही मेरी रक्षा करता है, वही आसरा देता है. उसी की कृपा हुई तो 22 जनवरी को राम लला के दर्शन करने अयोध्या भी पहुंच जाऊंगा. अचल सिंह बताते हैं कि बाबरी विध्वंस मामले में उस पर मामला भी दर्ज हुआ था.
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जिस आंदोलन ने बीजेपी की सत्ता चमकाई...उसी का कर्णधार है अचल: कारसेवक अचल सिंह बीजेपी के उस राम जनमभूमि आंदोलन का हिस्सा रहा. जिस आंदोलन की बदौलत बीजेपी की राजनीति चमकी थी और बीजेपी देश की सत्ता तक पहुंची. कार सेवक बनकर जहां बीजेपी के कई नेताओं की राजनीति ने रफ्तार पकड़ी. वहीं अचल जैसे राम भक्त इस आंदोलन में अपना सबकुछ खो देने के बाद भी अब तक घिसट ही रहे हैं. हालांकि अचल को कोई अफसोस भी नहीं है. वो कहते हैं राम की मर्जी मानता हूं मैं इसे भी. जिसके हाथ में सबकी सत्ता है, उससे मांगता हूं. बाकियों से क्या मांगू और क्यों मांगू. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है.