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चलो अयोध्या...एमपी में 35 लाख परिवारों को न्यौता, 22 जनवरी को अयोध्या में होंगे एमपी के 121 संत

Akshat Distribution Campaign of VHP: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पहुंचने के लिए विश्व हिंदू परिषद पूरे देश में अभियान चला रही है. एमपी में विश्व हिंदू परिषद ने 35 लाख परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया है.

Ayodhya Ram Mandir news
विश्व हिंदू परिषद का एमपी में अक्षत वितरण अभियान
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 6, 2024, 9:44 PM IST

Updated : Jan 6, 2024, 10:28 PM IST

भोपाल। अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह जनमानस की आस्था का उत्सव बन सके. इसके लिए विश्व हिंदू परिषद पूरे देश में विशेष अभियान चला रहा है. विश्व हिंदू परिषद ने ही देश भर में आंदोलन चला कर अयोध्या में राम लला के लिए अलख जगाई थी. अब अकेले मध्यप्रदेश में विश्व हिंदू परिषद ने 35 लाख परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया है.उन्हें अयोध्या पहुंचने का न्यौता दिया जाएगा.

15 दिन चलेगा अक्षत वितरण अभियान

एमपी के 35 लाख घरों तक पहुंचने के लिए एक जनवरी से शुरू हुआ अक्षत वितरण अभियान 15 जनवरी तक चलेगा. विश्व हिंदू परिषद के प्रान्त मंत्री राजेश जैन ने बताया कि अभी तक मध्यभारत प्रान्त के सभी 32 जिलों के 12552 मोहल्ले और ग्राम समेत 12000 टोली के 85000 कार्यकर्ताओं के माध्यम से 8 लाख 50 हजार परिवार को अक्षत देकर निमंत्रित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि प्रांत के सभी 16 हजार गांवों के 35 लाख परिवारों को न्यौता भेजा जाएगा.

मध्यभारत प्रांत से जाएंगे 121 संत

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री राजेश जैन ने बताया कि 22 जनवरी के कार्यक्रम में मध्यभारत प्रांत के 121 संत अयोध्या के लिए निमंत्रित किए गए हैं. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को सम्पूर्ण प्रान्त में भव्य दिव्य दीपोत्सव मनेगा. प्रांत के 11 हजार से अधिक मंदिरों में उत्सव मनेगा. 22 जनवरी के कार्यक्रमों के लिए हम लाखों परिवारों को निमंत्रित कर विश्व में 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' के उद्घोष को सार्थक करेंगे.

ये भी पढ़ें:

फिर जन-जन में लौटेंगे राम

विहिप के प्रांत मंत्री एवं अक्षत वितरण अभियान के प्रांत संयोजक राजेश जैन ने कहा कि प्रभु श्रीराम धर्म की मूर्ति नहीं विग्रह हैं. स्वयं धर्म हैं, जीवन का मर्म हैं, आदि और अंत हैं. प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात पहले राजमहल में और अब 500 वर्षों के संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी 2024 को जन्म भूमि पर बने भव्य मंदिर में लौट रहे हैं. श्रीराम की अयोध्या यानि त्याग, अयोध्या यानि लोकतंत्र, अयोध्या यानि मर्यादा है. उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए 72 बार संघर्ष हुआ. हर पीढ़ी ने लड़ाई लड़ी, किंतु कभी हार नहीं मानी. इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की है.

भोपाल। अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह जनमानस की आस्था का उत्सव बन सके. इसके लिए विश्व हिंदू परिषद पूरे देश में विशेष अभियान चला रहा है. विश्व हिंदू परिषद ने ही देश भर में आंदोलन चला कर अयोध्या में राम लला के लिए अलख जगाई थी. अब अकेले मध्यप्रदेश में विश्व हिंदू परिषद ने 35 लाख परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया है.उन्हें अयोध्या पहुंचने का न्यौता दिया जाएगा.

15 दिन चलेगा अक्षत वितरण अभियान

एमपी के 35 लाख घरों तक पहुंचने के लिए एक जनवरी से शुरू हुआ अक्षत वितरण अभियान 15 जनवरी तक चलेगा. विश्व हिंदू परिषद के प्रान्त मंत्री राजेश जैन ने बताया कि अभी तक मध्यभारत प्रान्त के सभी 32 जिलों के 12552 मोहल्ले और ग्राम समेत 12000 टोली के 85000 कार्यकर्ताओं के माध्यम से 8 लाख 50 हजार परिवार को अक्षत देकर निमंत्रित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि प्रांत के सभी 16 हजार गांवों के 35 लाख परिवारों को न्यौता भेजा जाएगा.

मध्यभारत प्रांत से जाएंगे 121 संत

विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री राजेश जैन ने बताया कि 22 जनवरी के कार्यक्रम में मध्यभारत प्रांत के 121 संत अयोध्या के लिए निमंत्रित किए गए हैं. उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को सम्पूर्ण प्रान्त में भव्य दिव्य दीपोत्सव मनेगा. प्रांत के 11 हजार से अधिक मंदिरों में उत्सव मनेगा. 22 जनवरी के कार्यक्रमों के लिए हम लाखों परिवारों को निमंत्रित कर विश्व में 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' के उद्घोष को सार्थक करेंगे.

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विहिप के प्रांत मंत्री एवं अक्षत वितरण अभियान के प्रांत संयोजक राजेश जैन ने कहा कि प्रभु श्रीराम धर्म की मूर्ति नहीं विग्रह हैं. स्वयं धर्म हैं, जीवन का मर्म हैं, आदि और अंत हैं. प्रभु श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात पहले राजमहल में और अब 500 वर्षों के संघर्ष के पश्चात 22 जनवरी 2024 को जन्म भूमि पर बने भव्य मंदिर में लौट रहे हैं. श्रीराम की अयोध्या यानि त्याग, अयोध्या यानि लोकतंत्र, अयोध्या यानि मर्यादा है. उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए 72 बार संघर्ष हुआ. हर पीढ़ी ने लड़ाई लड़ी, किंतु कभी हार नहीं मानी. इस संघर्ष में हर भाषा, वर्ग, समुदाय व संप्रदाय के लोगों ने सहभागिता की है.

Last Updated : Jan 6, 2024, 10:28 PM IST
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